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नकली नोट के बाद नकली दवाइयां, सब गोल—माल है भई सब गोल—माल

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लोगों की जान से खिलवाड़, सबसे ज्यादा नकली दवाईयां सरकारी अस्पतलों में

ऐसे करे असली और नकली दवा की पहचान

 

शबी हेदर

लखनऊ 26 सितम्बर । व्यापार के सुनाहरे काल में यह खबर डरावनी है। जब भारत का दवा व्यापार आने वाले छ वर्षों में 130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस महौल में 53 दवाओं के सैंपल फेल होने की खबर से देश के लोग डर गये हैं। क्योंकि एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक देश में बिकने वाली 25 फीसदी दवाएं नकली है। इनमें पेनकिलर डिक्लोफेनेक, एंटीफंगल दवा फ्लुकोनाजोल, विटामिन डी सप्लीमेंट, बीपी और डायबिटीज की दवा, एसिड रिफलक्स आदि शामिल हैं। सभी दवाएं नामी कंपनियों के लेबल में बाजार में बेची जा रही हैं। इस खबर से लोग भौचक है, डरे हुए हैं और सहम गये है।

 

लेबल असली, दवाई नकली

पूरा खेल दवा सिंडिकेट के मेडिसन माफिया खेल रहे हैं। नामी कंपनियों की दवाईयों के लेबल छपवा कर सब-स्टैंडर्ड सॉल्ट बेच रहे हैं। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) की रिपोर्ट के मुताबिक बुखार की दवा पैरासिटामोल सहित 53 ऐसी दवाइयां है जिनके सैंपल लैब जांच में फेल हो गये। इस संबध में जब सीडीएससीओ ने संबंधित दवा कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा तो कंपनियों ने जवाब दिया कि लेबल पर जो बैच लिखा हुआ है उसका निर्माण उनके द्वारा नहीं किया गया है, यानी उनके नाम पर कोई फर्जी कंपनी नकली दवा बाजार में सप्लाई कर रही है।

 

सरकारी अस्पतालों में सबसे ज्यादा नकली दवाईयां

एसोचैम की वर्ष 2022 की रिपोर्ट में भरोसा करे तो सबसे ज्यादा नकली या सब स्टैंडर्ड दवाएं सरकारी अस्पतलों में सपलाई की जा रही है। सर्वे करने वाले लोगों को सरकारी अस्पतालों में 38 फीसदी दवाएं नकली मिली। भारत में नकली दवाओं का कारोबार सालाना 33 फीसदी की दर से बड़ रहा है। यह 2005 में 67.85 करोड़ डॉलर (30 अरब रुपये) से बढ़कर 2020 में 40 अरब रुपये पर पहुंच चुका है।

ऐसे करे पहचान

ध्यान से देखने पर भी ये नकली दवाएं बिल्कुल असली जैसी ही लगती हैं, लेकिन अधिकतर मामलों में लेबलिंग में कुछ न कुछ कमियां होती हैं, जिससे इनकी पहचान की जा सकती है। यदि आपने पहले यह दवा इस्तेमाल की हुई है तो पुरानी और नई पैकेजिंग की तुलना कर अंतर जानने का प्रयास कर सकते हैं। कई मामलों में नकली दवाओं के लेबलिंग में स्पेलिंग या व्याकरण संबंधी गलतियां होती हैं जो असली दवाओं के मामले में नहीं होती हैं।

केंद्र सरकार ने शीर्ष 300 ब्रांडेड नाम से बिकने वाली दवाओं को नोटिफाई किया हुआ है। अगस्त 2023 के बाद बनी इन सभी दवाओं की पैकेजिंग पर बारकोड या क्यूआर कोड होता है। उसे स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी सामने आ जाती है। नकली दवाओं के बारकोड या क्यूआर कोड को स्कैन करने पर कोई रिस्पॉन्स नहीं मिलता है। दवाएं खरीदते समय जांच लें कि उनकी सीलिंग सही है और पैकेजिंग भी ठीक है।

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