तलाक के बाद दंपती को हुआ गलती का अहसास, बच्चे के लिए आना चाहते थे साथ… अब करनी होगी दोबारा शादी

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चंडीगढ/यूटर्न/7 अगस्त: संगरूर की फैमिली कोर्ट से सहमति से तलाक लेने के बाद दंपती को गलती का अहसास हुआ, लेकिन अब बच्चे के लिए साथ रहने के लिए दोनों को दोबारा शादी करनी होगी। हाईकोर्ट ने तलाक के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज करते हुए दोनों को दोबारा विवाह करने का सुझाव दिया है। संगरूर के तलाकशुदा महिला और पुरुष ने फैमिली कोर्ट की ओर से आपसी सहमति से दिए गए तलाक को रद्द करने की हाईकोर्ट से अपील की थी। इस मामले में बेटी की कस्टडी मां को सौंपी गई थी और डिक्री में स्पष्ट था कि दोनों अपने बयानों से मुकरेंगे नहीं। हाईकोर्ट में अपील दाखिल करते हुए कहा गया कि दोनों को अपनी गलती का अहसास हो गया है और अब वे बच्चे के कल्याण के लिए साथ रहना चाहते हैं, क्योंकि उनके तलाक ने नाबालिग बच्चे को सबसे अधिक प्रभावित किया है।
हाईकोर्ट ने माना है कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के तहत आपसी सहमति से तलाक के खिलाफ अपील इस आधार पर स्वीकार्य नहीं की जा सकती कि वे फिर से पति-पत्नी के रूप में साथ रहना चाहते हैं। पक्षकारों को बाद में अपने शपथ-पत्र वापस लेने और सुलह की इच्छा जताने की अनुमति देना, कोर्ट की अवमानना और झूठी गवाही के बराबर होगा। पीठ ने कहा कि चूंकि अब पक्षों को अपनी गलती का एहसास हो गया है और वे साथ रहना चाहते हैं, इसलिए अधिनियम की धारा 15 के अनुसार, उन्हें फिर से विवाह करने की अनुमति है। अधिनियम में उन पक्षों के पुनर्विवाह पर कोई रोक नहीं है, जिन्होंने तलाक लिया है।
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