AAP ने विरोधियों को 2027 का ट्रेलर दिखाया, शिअद के कमबैक ने चौंकाया, कांग्रेस को ओवर कान्फिडेंस ने हराया, भाजपा फुस

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तरनतारन उपचुनाव में आप की जीत ने कइयों का सूपड़ा किया साफ

कांग्रेस और भाजपा समेत 12 उम्मीदवारों की हुई जमानत जब्त

पंजाब 14 नवंबर। पंजाब के तरनतारन उपचुनाव के बाद एक बार फिर से राज्य के राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा हो गई है। शुक्रवार को तरनतारन विधानसभा सीट के उपचुनाव के नतीजे घोषित हुए। जिसमें आम आदमी पार्टी ने फिर जीत ली है। आप के उम्मीदवार हरमीत संधू ने उपचुनाव में 12,091 वोटों से जीत हासिल की। उन्हें कुल 42,649 वोट मिले। हरमीत संधू चौथी बार यहां से विधायक चुने गए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर शिरोमणि अकाली दल की उम्मीदवार सुखविंदर कौर रंधावा रहीं, जिन्हें 30,558 वोट मिले। तीसरे नंबर पर अकाली दल-वारिस पंजाब दे के उम्मीदवार मनदीप सिंह खालसा को 19,620 वोट मिले। कांग्रेस यहां चौथे नंबर पर रही। उनके उम्मीदवार करणबीर सिंह बुर्ज को 15,078 वोट मिले। भाजपा उम्मीदवार हरजीत सिंह संधू को 10 हजार आंकड़ा भी नहीं छू पाए। उन्हें 6,239 वोट मिले। वहीं 609 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया। वहीं इन नतीजों के सामने आने के बाद चर्चाएं शुरु हो गई है। कहा जा रहा है कि इन नतीजों के जरिए आप ने विरोधियों को 2027 का ट्रेलर दिखाया है। वहीं शिअद के धमाकेदार कमबैक ने सभी को चौंका दिया। इसके अलावा कांग्रेस के लीडरों को उनका ओवर कान्फिडेंस ले बैठा। वहीं भाजपा तो फुस हो गई। हालांकि आप की जीत में यहां सबसे बड़ा फैक्टर प्रदेश की सत्ता का रहा।

कांग्रेस और भाजपा समेत 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त

जानकारी के अनुसार चुनाव में किसी उम्मीदवार को कुल पोल वोटों के 1/6 (16.67 प्रतिशत) से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त होती है। जो शुक्रवार को चुनावी नतीजे आए है, उसमें जिन्हें 19,619 से कम वोट मिले है, उनकी जमानत जब्त हो जाएगी। इस हिसाब से कांग्रेस, बीजेपी समेत 12 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है। तरनतारन के इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ नर्सिंग में सुबह 8 बजे काउंटिंग शुरू हुई। सबसे पहले बैलेट पेपर गिने गए, इसके ईवीएम मशीन से वोटों की गिनती शुरू हुई। कुल 16 राउंड में वोटों की गिनती की गई।

यह अकाली दल की नैतिक जीत – सुखबीर बादल

तरनतारन उपचुनाव रिजल्ट पर शिअद प्रधान सुखबीर बादल ने कहा कि वह तरनतारन साहिब के सभी समझदार और बहादुर वोटरों का धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि वोटरों ने सरकारी तानाशाही और पंजाब पुलिस की दबंगई का डटकर मुकाबला किया और हिंसा, धमकियों तथा पैसों के लालच को ठुकरा कर सही जवाब दिया।उन्होंने कहा कि खालसा पंथ और पंजाब तरनतारन साहिब के इन वोटरों का मैं हमेशा ऋणी रहूंगा।

आप के लिए शिअद का अलार्म, कांग्रेस की राह मुश्किल

हालांकि 9 साल से पंजाब के राजनीतिक हाशिए पर पड़ी अकाली दल की चुनौती आप को चौकन्ना करने वाली है। अकाली दल ने दूसरे नंबर पर आकर पंजाब में कमबैक का अलार्म बजा दिया है। सबसे बड़ी चिंता कांग्रेस के लिए है, जो 2 अकाली दल होने के बावजूद भी चौथे नंबर पर रहा। इसकी बड़ी वजह कांग्रेस प्रधान अमरिंदर राजा वड़िंग का बड़बोलापन माना जा रहा है। इससे यह भी सवाल है कि 2027 में आप का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस कितनी तैयार है और उसकी अगुआई कौन करेगा।

भाजपा यह चुनाव भी हारी

तरनतारन को सिखों की पंथक सीट कहा जाता है। वहीं भाजपा का कोर वोट बैंक शहरों में है। इस वजह से तरनतारन क्षेत्र में भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक वैसे ही कमजोर था। वहीं पार्टी को यहां के वोटरों ने स्वीकार नहीं किया।

कांग्रेस की हार के पीछे कई कारण

कांग्रेस की हार के पीछे बड़ी वजह पार्टी के पंजाब प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की बयानबाजी और हरकतें भी रहीं। राजा वड़िंग ने चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री स्वर्गीय बूटा सिंह पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। वहीं 2 सिख बच्चों के केश से छेड़खानी करते हुए नजर आए। यही नहीं, कांग्रेस ने पार्टी रैली के मंच पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के ऊपर अपने नेशनल नेताओं की फोटो लगा दी। इन तीनों मुद्दों ने तूल पकड़ा और कांग्रेस को इसका नुकसान हुआ। कांग्रेस के उम्मीदवार सिलेक्शन को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार करणबीर सिंह बुर्ज को कमजोर उम्मीदवार के तौर पर देखा गया। करणबीर सिंह का ये पहला विधानसभा चुनाव था। इसके अलावा कांग्रेसी लीडरों में एकजुटता नजर नहीं आई।

अमृतपाल यहां से सांसद, फिर भी हारे

तरनतारन उप-चुनाव में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की पार्टी अकाली दल वारिस पंजाब दे के हार के कई कारण हैं। अमृतपाल सिंह की पार्टी की खालिस्तान समर्थक नीतियों ने वोट बैंक को अत्यधिक सीमित कर दिया। जिससे आम वोटर अमृतपाल से दूर हो गए। लोगों ने 2024 में अमृतपाल को सांसद का चुनाव तो जिता दिया लेकिन अमृतपाल के जेल में रहने की वजह से उनके काम नहीं हुए। अकाली दल ने मजबूत उम्मीदवार उतारा, इस वजह से पंथक वोटर ने उन्हें तरजीह दी। पार्टी ने स्थानीय विकास, बुनियादी सुविधाओं और जनता के आम मुद्दों पर स्पष्ट और प्रभावी रुख नहीं दिखाया।

अकाली दल की हार, लेकिन वापसी की

मगर, यहां अकाली दल कमबैक करते हुए नजर आ रहा है। इसकी बड़ी वजह कैंडिडेट का सिलेक्शन भी है। अकाली दल ने उम्मीदवार के तौर पर प्रिंसिपल सुखविंदर कौर को मैदान में उतारा। उनकी अपनी छवि काफी मजबूत थी। जिससे अकाली दल मुकाबले में दिखा। हालांकि अभी ऐसा नहीं लगता कि पार्टी लेवल पर अकाली दल अभी भी लोगों में अपना खोया हुआ विश्वास वापस पाया है। अकाली दल और वारिस पंजाब दे पार्टी एक दूसरे को हार का कारण बता रहे हैं। दोनों पार्टियां इकट्‌ठी होती तो उनका उम्मीदवार जीतता।

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