लुधियाना 4 जुलाई। पंजाब सरकार की और से राज्य के अलग अलग शहरों में लैंड पूलिंग स्कीम के तहत अर्बन एस्टेट टाउनशिप डेवलप की जा रही है। जिसके चलते राज्य की आप सरकार पर लगातार विपक्ष द्वारा निशाना साधा जा रहा है। विपक्ष द्वारा इस टाउनशिप को किसानों के साथ जोड़कर इसका विरोध किया जा रहा है। इसी के चलते सोमवार को कांग्रेस पार्टी की और से लुधियाना में इस स्कीम के विरोध में ग्लाडा ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। जिसमें सांसद राजा वडिंग, पूर्व मंत्री गुरकीरत सिंह कोटली, पूर्व विधायक लखबीर लक्खा, मलकीत दाखा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुरिंदर डाबर, संजय तलवाड़ और बिक्रम बाजवा जैसे नेता शामिल हुए। सांसद राजा वडिंग द्वारा प्रदर्शन से पहले शहर में ट्रैक्टर मार्च निकाला गया। जिसके बाद ग्लाडा ऑफिस के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान सांसद वडिंग ने कहा कि सरकार अब पंजाब को लूटने पर उतारू है और उनकी नजर अब कालोनियों पर है। पू सरकार के पास किसानों को मुआवजा देने के पैसे नहीं हैं, लेकिन जमीनें एक्वायर करने की बात कर रही है। कीमती प्लॉट सरकार रखेगी और किसानों को बिना वैल्यू वाले प्लॉट मिलेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के इन गलत कार्यों को वे किसी भी हाल में पूरा नहीं होने देंगे।
बीजेपी ने सबसे पहले शुरु किया विरोध, लेकिन अब पिछड़ी
वहीं बीजेपी, अकाली दल और कांग्रेस की और से लगातार इस पॉलिसी का विरोध किया जा रहा है। बीजेपी की और से सबसे पहले इसका विरोध करते हुए गवर्नर को पत्र लिखा था। लेकिन उसके बाद बीजेपी द्वारा इस मामले में आवाज ही नहीं उठाई। जबकि अकाली दल द्वारा विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया था। मगर कांग्रेस द्वारा सबसे पीछे से आने के बाद सबसे आगे निकलते हुए प्रदर्शन भी कर डाला।
अकाली दल ने प्रदर्शन की बदली तारीख
अकाली दल की और से लैंड पूलिंग स्कीम के विरोध में 15 जुलाई को ग्लाडा ऑफिस के बाहर प्रदर्शन करने का ऐलान किया गया था। लेकिन लगातार हो रही बारिश व खराब मौसम की वजह से पार्टी द्वारा विरोध की तारीख बदल दी गई है। जिसके चलते अब शिअद की और से 22 जुलाई को प्रदर्शन किया जाएगा।
पॉलिसी बढ़िया, लेकिन बड़ी मात्रा में प्लानिंग से समस्या
वहीं एक्सपर्ट्स की मानें तो पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी वैसे तो अच्छी पहल है। लेकिन सरकार द्वारा एकदम से 25 हजार एकड़ जमीन एक्वायर करने की प्लानिंग के कारण कही न कही यह समस्या पैदा हो रही है। क्योंकि एकदम इतनी ज्यादा मात्रा में जमीन एक्वायर करना बड़ा चैलेंज है। जिसके चलते इसका विरोध भी हो रहा है।
आखिर लुधियाना में ही विरोध क्यों
लोगों में चर्चा है कि सरकार द्वारा तो पूरे पंजाब में जमीन एक्वायर की जा रही है, लेकिन फिर सिर्फ लुधियाना में ही क्यों विरोध किया जा रहा है। चर्चा है कि कोविड के बाद पंजाब में सिर्फ लुधियाना की साउथ सिटी रोड पर ही जमीनों के सबसे ज्यादा रेट बढ़े हैं। बनावटी तेजी से जमीनों के रेट आसमान को छूहने लगे। भारी मात्रा में रियल एस्टेट कारोबारियों और कॉलोनाइजरों ने इसमें पैसा इन्वेस्ट कर दिया। लेकिन अब अगर लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू होती है तो उनका पैसा फंस जाएगा। जिसके चलते यह विरोध किया जा रहा है। चर्चा है कि जमीनें खरीदने व बेचने के लिए कारोबारी सिर्फ कठपुतली है। असलियत में इनके पीछे अफसर व राजनेता है। जिन्होंने अपनी ब्लैकमनी इन्वेस्ट कर रखी है।
सीएम मान ने नहीं दी परमीशन
वहीं चर्चा है कि सीएम भगवंत मान इस पॉलिसी के ज्यादातर हक में नहीं है। जिसके चलते उनकी तरफ से पॉलिसी की परमीशनें भी नहीं दी गई है। जबकि पॉलिसी की मंजूरी पर हस्ताक्षर भी चीफ सैक्रेटरी के बताए जा रहे हैं।
इकट्ठ करने को बुलानी पड़ी मंडीर
वहीं चर्चा है कि कांग्रेस पार्टी के इस धरने प्रदर्शन में कांग्रेसी वर्कर खुद नहीं पहुंच सके। जिसके चलते वहां पर ज्यादा भीड़ दिखाने के लिए युवाओं की मंडीर मौके पर बुलानी पड़ गई। चर्चा है कि एक पूर्व विधायक के पक्ष में यह युवा भारी संख्या में मौके पर पहुंचे थे। जिन्हें यह भी नहीं पता था कि वे आए क्यों है। बस युवा यहीं कह रहे थे कि वे पूर्व विधायक की मीटिंग में आए हैं।
फिर से देखने को मिली कांग्रेस की गुटबाजी
वहीं कांग्रेसी नेताओं की आपसी गुटबाजी जग जाहिर है। हलका वेस्ट के उपचुनाव के दौरान जहां यह गुटबाजी देखने को मिली थी। वहीं उसके बाद भी कई बार गुटबाजी देखने को मिली। अब फिर से ऐसे ही हालत हैं। सोमवार को जहां कांग्रेस पार्टी द्वारा धरना प्रदर्शन किया गया और शहर की ज्यादातर लीडरशिप वहां मौजूद रही। लेकिन भारत भूषण आशु नहीं पहुंचे। जिसे देखकर लगा कि शायद अभी भी नेताओं में आपसी गुटबाजी जारी है।