चौड़ा बाजार में नाले के ऊपर बना डाली 10 अवैध दुकानें
(राजदीप सिंह सैनी)
लुधियाना 24 अक्टूबर। लुधियाना में पहले कारोबारियों व बिल्डरों पर अवैध कब्जे करने के आरोप लगते थे। लेकिन यह अवैध कब्जों का ऐसा ट्रेंड चला कि अब नगर निगम के अफसरों द्वारा खुद ही सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे करने शुरु कर दिए गए हैं। यह अवैध कब्जे कही और नहीं बल्कि शहर का सेंटर माने जाते चौड़ा बाजार में अकालगढ़ मार्केट के सामने बिजली घर के पास किए जा रहे हैं। जहां एक-दो नहीं बल्कि 10 अवैध दुकानें बनाई भी जा चुकी है। जबकि आगे भी अवैध दुकानें बनाने का निर्माण कार्य जारी है। यह दुकानें नाले के ऊपर बनाई जा रही है। लेकिन नगर निगम के अफसरों को यह दिखाई ही नहीं दे रहा। हाल ही में चौड़ा बाजार के समूह रेहड़ी फड़ी वालों की और से एडीसी पायल गोयल से मुलाकात कर उनके जरिए डीसी लुधियाना को एक मांगपत्र सौंपा है। जिसमें रेहड़ी फड़ी वालों की और से नगर निगम अफसरों द्वारा मिलीभगत कर अवैध कब्जे कराने के आरोप लगाए हैं। जहां एक “बी” अक्षर के निगम के उच्च अधिकारी द्वारा पहले अवैध कब्जा कराने, फिर वहां दुकानें बनाने और सरकारी बाथरूम तोड़ने के आरोप लगे हैं।
“बी” अक्षर के अधिकारी की उच्च अफसरों तक सेटिंग
वहीं रेहड़ी फड़ी वालों ने आरोप लगाया कि उक्त अवैध दुकानें बनवाने वाले बी अक्षर का अधिकारी इतना बाहुबली है कि निगम उसके अवैध कार्यों पर कार्रवाई करने से गुरेज करता है। उसकी निगम के उच्च अफसरों के साथ अच्छी सेटिंग है। यहां तक कि इन दुकानों के किराए में से कुछ हिस्सा उच्च अफसरों तक भी जाता है। जिसके चलते ऊपर से लेकर नीचे सत्र तक का मुलाजिम इन दुकानों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है। हालाकि उक्त बी अक्षर के अधिकारी की कई राजनेताओं के साथ भी अच्छी सेटिंग है।
हाईकोर्ट का किया जाएगा रुख
रेहड़ी फड़ी लगाने वाले मनी खेड़ा ने कहा कि वह पिछले कई सालों से बिजली घर के पास रेहड़ी फड़ी लगा रहे हैं। उसी से उनका घर का गुजारा होता है। लेकिन वहां पर अवैध दुकानें बना दी गई। जिस कारण उनका रोजगार खत्म हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर लुधियाना प्रशासन द्वारा कार्रवाई न की गई तो वह हाईकोर्ट का रुख करेगें, लेकिन इन अवैध कब्जों को हटवाकर ही रहेगें।
आचार संहिता के दौरान तैयार की दुकानें
मनी खेड़ा ने बताया कि 2022 में जब विधानसभा चुनाव थे, तो इलेक्शन कमिशन द्वारा राज्य में आचार संहिता लागू कर दी थी। इस दौरान ही इन दुकानों का निर्माण हुआ। हालांकि यह सरकारी जगह है। जहां प्राइवेट दुकानें बन ही नहीं सकती। लेकिन निगम दे उक्त बी अक्षर के अधिकारी ने राज्य में सरकार की पॉवर न होने और आचार संहिता का फायदा उठाते हुए यह 10 दुकानें बना डाली।
आगे रिश्तेदारों को बेच डाली दुकानें
वहीं चर्चा है कि उक्त बी अक्षर के अधिकारी ने 10 दुकानें बनाई। झिसमें से 10 दुकानें किराए पर दे दी और दो दुकानें अपने पास रखी। जिन्हें बाद में आगे अपने रिश्तेदारों को दे दी। अब उसके रिश्तेदार उक्त दुकानों को इस्तेमाल कर रहे हैं। हालाकि उक्त बी अक्षर का अधिकारी बाहुबली है कि उसने सरकारी बाथरुम भी तोड़ दिया और उसे दूसरी जगह पर बनाना शुरु कर दिया। जबकि पुराने बाथरूम की जगह और अवैध दुकानें बनाई जा रही है।
एक लाख रुपए तक प्रति दुकान खा रहे किराया
यह चर्चा है कि उक्त मामले में बी अक्षर के अधिकारी द्वारा 70 हजार रुपए से लेकर एक लाख रुपए तक प्रति दुकान का किराया खाया जा रहा है। जबकि यह दुकानें नाले पर बनी है। नियमों के तहत नाले पर दुकानें बनी ही नहीं सकती। चर्चा यह भी है कि निगम द्वारा उक्त दुकानों की रसीदें भी काटी जा रही है। अगर दुकानें नाले पर है और अवैध है, तो रसीदें आखिर कैसे कट सकती है। जिससे साफ पता चलता है कि उक्त अधिकारी ने अंदर तक सेटिंग कर रखी है।
झूठे पर्चों की दी जाती है धमकी
वहीं रेहड़ी फड़ी लगाते दीपक, वरिंदर, आशु, मोहित, सनी व अश्वनी ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार इसकी शिकायतें निगम अफसरों को दी। लेकिन आगे से उक्त बी अक्षर का अधिकारी व उसके साथ अवैध काम में शामिल मुलाजिमों द्वारा उन पर झूठे पर्चे दर्ज करने की धमकी दी जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि आए दिन तहबजारी की टीम द्वारा मार्केट में रेहड़ी फड़ियां हटवा देते हैं, लेकिन उक्त अवैध कब्जे उन्हें न दिखाई देते है और न ही कार्रवाई की जाती है।