सुभाष आनंद
विकासशील देशों में बढ़ती विषमताओं ने युवा वर्ग में ऐसी सोच उत्पन्न कर दी है कि पढ़ाई खत्म होने के उपरांत वे जल्दी ही ऐसा कोई काम करें जिससे वे शीघ्र अमीर बन जाए। काम कितना भी बेहूदा एवं खतरनाक क्यों ना हो उन्हें करने से कोई परहेज नहीं है। परिणाम स्वरूप आज ऐसे देशों में नैतिकता पतन की तरफ बढ़ रही है। जहां पढ़े लिखे लोगों को चोरी, डकैती, लूटमार, स्नेचिंग की ट्रेनिंग दी जा रही है।
कोई माने या ना माने परंतु यह कटु सत्य है कि लंदन में ऐसे कई स्कूल चल रहे हैं जहां बच्चों को चोरी डकैती की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग 6 महीने से 1 वर्ष तक चलती है, हर रोज तीन पीरियड लगते हैं। पहले पीरियड में हाथ की सफाई की ट्रेनिंग दी जाती है तो दूसरे में चोरी कैसे की जाती है तथा तीसरे पीरियड में डकैती कैसे डाली जाती है और इस धंधे में मासिक कितना कमाया जा सकता है और कितने पैसे पुलिस को देने पड़ते हैं।
6 माह के प्रशिक्षण की फीस 3000 पौंड, भारतीय करेंसी में 1,10,000 रुपए के लगभग होती है। सफलतापूर्वक प्रशिक्षण समाप्त होने पर संस्था की तरफ से प्रमाण पत्र भी दिया जाता है ताकि ट्रेनिंग प्राप्त किए हुए आदमी बड़े-बड़े गैंग के सदस्य बन सके। वैसे भी अधिकतर गिरोह इसी स्कूल से ट्रेनिंग प्राप्त बच्चों को प्राथमिकता देते हैं और होनहार बच्चों को अच्छा वेतन और कमीशन देने के साथ गाड़ी व रहने की सुविधा भी प्रदान करते हैं। आखिर इन स्कूलों का मुख्य मकसद क्या है?
स्कूल के संस्थापक जान अल्बर्ट का कहना है कि हमने सड़कछाप गरीब लोगों के लिए एक ऐसा स्कूल खोला है जिनसे उनका जीवन स्तर सुधर सके तथा वह अपना भावी जीवन सफल बना सके।
इस तरह के देश विरोधी स्कूल सभ्य समाज में कलंक नहीं है? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए लंदन प्रेस क्लब के अध्यक्ष रॉबर्ट एड्वर्ड का कहना है कि बड़े देश आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। वे लोगों को बम धमाकों की ट्रेनिंग देते है, उनकी आर्थिक मदद की जाती है। ऐसे आतंकी बड़े-बड़े नेताओं को अपनी गोलियों का निशाना बनाते हैं । आज के वातावरण में सामान्य नागरिक भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में भी हमारे स्कूल के विद्यार्थी ऐसा करने के लिए किसी भी कीमत पर तैयार नहीं होते।
स्कूल के मैनेजर का कहना है कि हमारे स्कूल के बच्चे किसी बैंक को नहीं लूटते ना किसी सरकारी संपत्ति को नुकसान करते हैं । हमारे बच्चे बड़े-बड़े सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में काम करते हैं। हम स्कूल में बच्चों को यह नहीं सिखाते कि कोई भी बच्चा इसका नाजायज लाभ उठाएं। इसके विपरीत ये बच्चे अपराधी प्रवृत्ति वाले लोगों को पकडऩे में पुलिस की मदद करते है।
स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि पहली लुक में हमारा स्कूल चोर उचक्कों का स्कूल लगता है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। हमारा स्कूल ब्रिटिश सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। हमारे स्कूल में लड़कों को ही नहीं बल्कि लड़कियों को भी ट्रेनिंग दी जाती है । हमारा लक्ष्य है कि लड़कियां भी मजबूत, निडर बेधड़क, फुर्तीली और लगन से भरपूर हो। पूरा देश शांत मय और भय मुक्त हो, यदि कोई व्यक्ति समाज विरोधी एवं देश विरोधी है तो हमारे बच्चे उनको पाठ सिखाएं।
वही समाज सेवी संगठनों ने स्कूल की प्रशंसा करते हुए कहा है कि इससे लंदन में चोरी डकैती करने वालों पर नकेल कसी जाएगी।लंदन स्कूल ऑफ डकैती के अध्यक्ष डेविड कोविन का कहना है कि ऐसे स्कूलों के बच्चों को राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की बातें भी बताई जाती है। पूरे लंदन में यह स्कूल सफलतापूर्वक चल रहे हैं और सरकार को इसे लेकर कोई आपत्ति नहीं है।
(विनायक फीचर्स)