हरियाणा के विकास एवं पंचायत मंत्री श्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी वह महापुरुष थे, जिन्होंने अपने शीश की कुर्बानी देकर मानवता व धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा की थी। श्री गुरु तेग बहादुर जी को हिंद की चादर इसलिए कहा गया, क्योंकि वे केवल सिख धर्म के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत की अस्मिता की ढाल बन गए थे। दिल्ली के चांदनी चौक में जब उन्होंने अपना शीश बलिदान किया, तो वह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति की आजादी के लिए किया था। उनका संदेश था निडर बनो, डर से मुक्त रहो, और सच्चाई के मार्ग पर चलो, ऐसे संदेश को हमें आत्मसात करना चाहिए। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने शीश दिया, लेकिन धर्म नहीं झुकाया। उनका यह बलिदान हमें यह सिखाता है कि सत्य का मार्ग कठिन हो सकता है, पर वही अमरता का मार्ग है।
श्री कृष्ण लाल पंवार सोमवार को देर सायं महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक में सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष में उनकी शहादत पर आधारित भव्य लाइट एंड साउंड शो आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। लाइट एंड साउंड के माध्यम से श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन वृतांत को इस तरह संजोया गया जैसे सभी दृश्य प्रत्यक्ष रूप से सजीव हो उठे हों। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह, पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर, हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य सरदार करनैल सिंह आदि उपस्थित रहे।
गुरु जी ने मानवता, धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिए किया सर्वस्व न्यौछावर
श्री पंवार ने कहा कि यह कार्यक्रम श्री गुरु तेग बहादुर जी के जीवन आदर्शों, त्याग, बलिदान और अमर विरासत को समर्पित है। गुरु जी ने धर्म, मानवता और राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनका बलिदान राष्ट्र की अस्मिता और एकता का प्रतीक है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा में गत एक नवंबर से श्री गुरु तेग बहादुर जी की 350वीं शहीदी वर्षगांठ के उपलक्ष्य में विशेष कार्यक्रमों की श्रृंखला आरंभ की गई है। राज्य स्तरीय मुख्य आयोजन 25 नवम्बर को कुरुक्षेत्र में किया जाएगा।
श्री गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म व देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च कुर्बानी दी
सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि सिख धर्म विश्व के सभी देशों में सबसे मजबूत धर्म है। इस धर्म में अनुशासन का अपना अलग महत्व है। संस्कारों को बचाने के लिए कुर्बानी से भी पीछे नहीं हटा जाता। श्री गुरु तेग बहादुर जी उत्तरी भारत के हर क्षेत्र में घूमे तथा वे कश्मीरी पंडितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए आनंदपुर साहिब से आगरा गए। उन्होंने धर्म व देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च कुर्बानी दी।





