सोनभद्र खदान में भीषण हादसा परिजनों ने चिथड़ों से की पहचान

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सोनभद्र के बिल्ली मारकुंडी क्षेत्र स्थित श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स की खदान में हुआ दुर्घटना इतना डरावना था कि शवों को देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। विस्फोट और चट्टान गिरने की घटना में मजदूरों के शरीर के टुकड़े उड़ गए। शव इस कदर क्षत-विक्षत हो चुके थे कि पहचान करना भी बेहद मुश्किल हो गया। परिजन देर तक चिथड़ों में अपने लोगों को तलाशते रहे। किसी की पहचान हाथ में बंधे कलावा और गोदना से हुई, तो किसी को उनके कपड़ों के आधार पर पहचाना गया। अलग-अलग पड़े शरीर के अंगों को इकट्ठा कर पोस्टमॉर्टम कराया गया और फिर परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया गया।

कैसे हुआ था हादसा

खदान में पत्थर तोड़ने के लिए ब्लास्टिंग से पहले ड्रिलिंग कर उसमें विस्फोटक भरा जाता है। शनिवार दोपहर खदान में यही प्रक्रिया चल रही थी। करीब 18 मजदूर नीचे काम कर रहे थे और पास में नौ ट्रैक्टर व कंप्रेशर मशीनें लगी थीं। अचानक लगभग 150 फीट ऊंचाई से एक विशाल चट्टान टूटकर मजदूरों पर गिर गई। इसी चट्टान को हटाने में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें करीब 30 घंटे तक लगी रहीं।

शवों की हालत ने दहला दिया दिल

सोमवार रात भारी मशीनरी—पोकलैन, हाइड्रा आदि की मदद से चट्टान हटाई जा सकी। उसके बाद जब शव निकाले गए तो उन्हें देखकर हर कोई दहशत में आ गया। शरीर बुरी तरह क्षत-विक्षत थे, कई के चेहरे भी पहचान में नहीं आ रहे थे। कपड़े पूरी तरह खून और मिट्टी में सने हुए थे। बाद में कपड़ों के टुकड़ों, शरीर पर बने गोदने और कलावा के आधार पर पहचान की गई।

गोदना, कलावा और कपड़ों से हुई पहचान

मृतक इंद्रजीत की पहचान उसकी कलाई पर बने गोदने से हुई। वहीं, संतोष को उसके भाई छोटू यादव ने कलावा और कपड़ों के आधार पर पहचाना। रवींद्र गोंड की पहचान उसके हाथ में पहने कड़े और नेवी ब्लू जिंस से हुई। हालांकि, कृपाशंकर के परिवार ने कई शव देखे, लेकिन किसी की पुष्टि नहीं कर सके।

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