चंडीगढ़ में इमिग्रेशन फ्रॉड का धंधा बेखौफ जारी :-प्रशासन की नाक के नीचे करोड़ों की ठगी

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संदीप सैंडी)

चंडीगढ़ 15 Nov : शहर में विदेश भेजने के नाम पर हो रही ठगी थमने का नाम नहीं ले रही है। रोजाना किसी न किसी सेक्टर से लोगों के साथ करोड़ों की धोखाधड़ी की शिकायतें सामने आ रही हैं, लेकिन इसके बावजूद पुलिस और प्रशासन प्रभावी कार्रवाई करने में अब तक नाकाम साबित हो रहे हैं। जिला उपायुक्त द्वारा इमिग्रेशन कार्यालय चलाने के लिए अनिवार्य परमिशन संबंधी आदेश होने के बावजूद, शहर के लगभग हर सेक्टर में बिना अनुमति के फर्जी इमिग्रेशन दफ्तर खुले हुए हैं, जो भोले-भाले लोगों को अपना निशाना बना रहे हैं। हर साल करोड़ों की ठगी, पंजाब हरियाणा के लोग सबसे ज्यादा प्रभावितः इमिग्रेशन फ्रॉड का शिकार होने वाले लोगों में अधिकतर युवा हैं, जिनमें बड़ी संख्या पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वालों की होती है। विदेश में नौकरी, वीजा, स्टडी परमिट या पीआर दिलाने के नाम पर एजेंट लाखों रुपये ऐंठ लेते हैं और बाद में या तो वीजा रिजेक्ट हो जाता है या फिर एजेंट ही फरार हो जाते हैं। इस तरह की शिकायतें सालाना करोड़ों रुपये की ठगी उजागर करती हैं, लेकिन फिर भी फर्जी एजेंटों पर नियंत्रण की कोई ठोस व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। यही वजह है कि शहर में इमिग्रेशन रैकेट एक संगठित व्यापार की तरह फल-फूल रहा है। 24.30 लाख रुपये की ठगी का नया मामला दर्जः इसी कड़ी में, चंडीगढ़ में एक और बड़ा इमिग्रेशन फ्रॉड सामने आया है। मनीमाजरा निवासी एक महिला ने पुलिस में शिकायत दी कि चंडीगढ़ सेक्टर-9 स्थित एससीओ 16-17 से संचालित दफ्तर के संचालक गौरव शर्मा और अन्य सहयोगियों ने उसे यूके वीजा दिलाने का झांसा दिया। महिला का आरोप है कि एजेंटों ने कागजी प्रक्रिया, फाइल चार्ज, वीजा फीस और विदेश में जॉब रेंजमेंट के नाम पर 24,30,000 रुपये वसूल लिए। जब महीनों तक वीजा प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी और महिला ने स्पष्टीकरण माँगा, तो एजेंट टाल मटोल करते रहे और बाद में संपर्क करना तक बंद कर दिया। अंततः पीड़िता ने मामला पुलिस स्टेशन सेक्टर-03, चंडीगढ़ में दर्ज करवाया। पुलिस ने एफआईआर नंबर 86 धारा 420, 467, 468, 471, 120-बी तथा 24 इमिग्रेशन एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल पुलिस दस्तावेजों और लेन-देन के रिकॉर्ड की जाँच कर रही है। प्रशासन पर उठ रहे बड़े सवालः इस मामले ने एक बार फिर चंडीगढ़ में फर्जी इमिग्रेशन एजेंसियों की बढ़ती संख्या और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर कर दिया है। शहरवासियों का कहना है किः बिना अनुमति चल रहे इमिग्रेशन दफ्तरों पर कार्रवाई क्यों नहीं? जिला उपायुक्त के आदेशों का पालन कराने में ढिलाई क्यों? क्या इन फर्जी एजेंटों का कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है? हर साल बढ़ रही करोड़ों की ठगी आखिर कब रुकेगी? लोगों का यह भी आरोप है कि जब तक प्रशासनिक स्तर पर विशेष अभियान नहीं चलाया जाता और बिना परमिशन वाले इमिग्रेशन कार्यालयों को बंद नहीं किया जाता, तब तक यह धोखाधड़ी का सिलसिला बंद नहीं होगा। पीड़ितों में बढ़ता गुस्सा, कड़े कदमों की मांग पीड़ितों ने जिला प्रशासन और पुलिस से मांग की है कि सभी इमिग्रेशन कार्यालयों की कानूनी स्थिति की तत्काल जांच की जाए। फर्जी दफ्तरों को बंद कर उनके संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाए। बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि लोग ऐसे गिरोहों के झांसे में न आएँ। इमिग्रेशन एक्ट के उल्लंघन पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। फिलहाल पुलिस जांच जारी है, लेकिन शहर में फर्जी इमिग्रेशन कारोबार की जड़ तक पहुँचने और इसे खत्म करने के लिए प्रशासन को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे।

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