भारत के अमीर घरानों की नई पीढ़ी अब पारंपरिक संपत्ति की जगह स्टार्टअप्स चुन रही है

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भारत के कई पारंपरिक बिजनेस परिवारों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। मिलेनियल और Gen Z, जो आने वाले समय में फैमिली वेल्थ संभालेंगे, अब पारंपरिक निवेश की जगह स्टार्टअप्स में दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

रजत मेहता: नए दौर की सोच का उदाहरण

36 वर्षीय रजत मेहता इस नए ट्रेंड का बड़ा चेहरा हैं। मुंबई के मेहता ग्रुप के इस वारिस ने 2016 में छोटे से स्टार्टअप Groww में निवेश किया था, जिसकी वैल्यू उस समय लगभग 1.3 मिलियन डॉलर थी। इस हफ्ते Groww ने 8.6 बिलियन डॉलर की वैल्यू पर मार्केट में लिस्टिंग की, जिससे रजत की सोच सही साबित हुई। लिस्टिंग के बाद उनके पिता ने भी कहा—“अब अगला Groww ढूंढते हैं।”

मेहता परिवार मूल रूप से एडवाइजरी, ब्रोकरेज और वेल्थ मैनेजमेंट के कारोबार में जाना जाता है। रजत ने 2013 में बिजनेस जॉइन करने के बाद फैमिली को स्टार्टअप्स और अनलिस्टेड एसेट्स की ओर मोड़ा। शुरुआती असफलता के बावजूद उन्होंने रुकना नहीं चुना। आज वे 35 स्टार्टअप्स में निवेश कर चुके हैं, जिनमें कई यूनिकॉर्न बनने की राह पर हैं।

भारत में बदलता फैमिली वेल्थ मॉडल

रजत की तरह ही कई अमीर परिवारों के वारिस स्टार्टअप्स में दिलचस्पी ले रहे हैं। अगले 10 सालों में भारत में लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर की फैमिली वेल्थ का स्ट्रक्चर बदलने की उम्मीद है। अनुमान है कि 2018 से 2024 के बीच फैमिली ऑफिसेज की संख्या 45 से बढ़कर 300 से अधिक हो चुकी है।

विदेशी यूनिवर्सिटीज़ से पढ़कर लौटने वाले युवा अब पारंपरिक बिजनेस की जगह तेज़ी से बढ़ती तकनीकी और फाइनेंशियल दुनिया को चुन रहे हैं। पुराने परिवार जहां सोना और जमीन जैसे पारंपरिक एसेट्स में निवेश करते थे, वहीं नई पीढ़ी अब स्टॉक्स, बॉन्ड्स, वेंचर कैपिटल और स्टार्टअप फंडिंग को चुन रही है। कुछ फैमिली ऑफिसेज अपने पोर्टफोलियो का 20% या उससे अधिक हिस्सा स्टार्टअप्स में लगाना चाहते हैं।

स्टार्टअप्स की रफ्तार और बढ़ती उम्मीदें

Inflexor Ventures जैसी फर्में AI, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन स्टार्टअप्स से पैसा जुटा रही हैं, जिसमें बड़ा हिस्सा भारतीय फैमिली ऑफिसेज का है।

2021 में एक ही साल में 45 यूनिकॉर्न बनने के बाद परिवारों को स्टार्टअप्स की रिटर्न क्षमता का एहसास हुआ। Zepto के एक फंडिंग राउंड में सिर्फ चार हफ्तों में 300 मिलियन डॉलर का निवेश इसी सोच की मिसाल है।

युवा मानते हैं कि 10 स्टार्टअप्स में से एक भी अगर Zomato जैसा बन जाए, तो बाकी नुकसान की भरपाई हो जाती है। जहां पारंपरिक कंपनियों को मल्टी-ट्रिलियन वैल्यू तक पहुंचने में 20 साल लगे, वहीं Zomato लिस्टिंग के कुछ महीनों में ही वहां पहुंच गया। इसी नई सोच ने भारत की फैमिली वेल्थ को एक नई दिशा दे दी है।

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