बंदी सिखों की रिहाई पर केंद्र और पंजाब सरकार में असमंजस, 14 नवंबर को फिर सील हो सकते हैं पंजाब के बॉर्डर

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चंडीगढ़, 12 नवंबर:
14 नवंबर को एक बार फिर पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर हालात तनावपूर्ण हो सकते हैं। लोक अधिकार लहर ने बंदी सिखों की रिहाई की मांग को लेकर “दिल्ली इंसाफ़ मार्च” का ऐलान किया है, जिसके चलते सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। चर्चाएं तेज हैं कि केंद्र सरकार एहतियातन एक बार फिर हरियाणा पुलिस की मदद से शंभू बॉर्डर पर कड़ी नाकाबंदी और सीमाओं की सीलिंग करवा सकती है।

लोक अधिकार लहर के प्रमुख बलविंदर सिंह ने पंजाब भर की संगतों से अपील की है कि वे सुबह 11 बजे शंभू मोर्चे पर एकत्र हों और शांतिपूर्ण ढंग से दिल्ली की ओर मार्च करें। इससे पहले भी दो बार ऐसा ही माहौल देखने को मिला था जब सीमाएं अस्थायी रूप से सील करनी पड़ी थीं।

गौरतलब है कि बुधवार को दिल्ली प्रशासन के अधिकारी “लोक इंसाफ़ मोर्चा” के नेताओं से मुलाकात कर मार्च को स्थगित करवाने पहुंचे थे। यह बैठक करीब तीन घंटे तक चली, परंतु किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी। इसके बाद मोर्चे ने 14 नवंबर की “दिल्ली चलो” अपील को और तेज़ कर दिया।

लोक अधिकार लहर मोर्चे ने साफ़ कहा है कि अगर सरकार जथेदार जगतार सिंह हवारा और भाई परमजीत सिंह भिउरा की लंबित पैरोल को मंज़ूरी नहीं देती, और प्रो. देविंदर पाल सिंह भुल्लर की रिहाई सहित बाकी बंदी सिखों की पैरोल पर लिखित भरोसा नहीं देती, तो आंदोलन जारी रहेगा।

सूत्रों के अनुसार, पंजाब के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देर शाम हुई बैठक में भी कोई सहमति नहीं बन सकी। अब सबकी निगाहें 14 नवंबर पर टिकी हैं — क्या एक बार फिर सीमाएं सील होंगी, या सरकार और मोर्चे के बीच कोई समाधान निकलेगा?

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