फगवाड़ा में धर्मेंद्र के लिए दुआओं की गूंज, हर मंदिर और गुरुद्वारे में प्रार्थना

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फगवाड़ा वह शहर है, जहां बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने अपने बचपन के सुनहरे दिन बिताए। भले ही धर्मेंद्र का जन्म लुधियाना के पास साहनेवाल में हुआ था, लेकिन उनका बचपन फगवाड़ा की गलियों में बीता। उनके पिता मास्टर केवल कृष्ण चौधरी आर्य हाई स्कूल में गणित और सामाजिक अध्ययन पढ़ाते थे। धर्मेंद्र ने 1950 में यहीं से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और 1952 तक रामगढ़िया कॉलेज में अध्ययन किया।

अस्पताल में भर्ती होने के बाद शहर में चिंता की लहर

मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में धर्मेंद्र के भर्ती होने की खबर ने फगवाड़ा में चिंता की लहर दौड़ा दी। उनके बचपन के दोस्तों और प्रशंसकों ने शहर के मंदिरों और गुरुद्वारों में उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थनाएं कीं। सभी ने उस इंसान के लिए दुआएं मांगीं, जिसे वे अपना मानते हैं।

दोस्तों से आज भी जुड़ा है रिश्ता

धर्मेंद्र के पुराने साथी – समाजसेवक कुलदीप सरदाना, हरजीत सिंह परमार और एडवोकेट शिव चोपड़ा – आज भी उन्हें “धरम” कहकर याद करते हैं। उनके अनुसार, प्रसिद्धि पाने के बाद भी धर्मेंद्र ने अपनी विनम्रता कभी नहीं खोई। जब भी वह फगवाड़ा आते, दोस्तों के साथ बैठना, पुरानी बातें करना और यादें ताजा करना नहीं भूलते थे।

रामलीला से बॉलीवुड तक का सफर

एक किस्सा यह भी मशहूर है कि बचपन में धर्मेंद्र को फगवाड़ा की रामलीला में भूमिका नहीं मिली थी। बाद में जब वे सुपरस्टार बने, तो हंसते हुए अपने दोस्तों से कहा करते थे – “अब तो मुझे रामलीला में रोल मिल जाएगा ना?”

‘फगवाड़ा जिंदाबाद’ बोले धर्मेंद्र

2006 में जब धर्मेंद्र गुरबचन सिंह परमार कॉम्प्लेक्स के उद्घाटन के लिए फगवाड़ा आए, तो हजारों लोगों के सामने उन्होंने कहा – “फगवाड़ा जिंदाबाद!”
उनके करीबी हरजीत सिंह परमार ने बताया कि धर्मेंद्र और उनकी पत्नी प्रकाश कौर ने उनके घर आकर आशीर्वाद लिया और परिवार जैसा अपनापन दिखाया। यही रिश्ता धर्मेंद्र को आज भी फगवाड़ा से जोड़ता है।

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