कभी देश के प्रमुख बिजनेस ग्रुप्स में शामिल जेपी ग्रुप आज दिवालिया प्रक्रिया (Jaypee Group Insolvency) से गुजर रहा है। इस ग्रुप की स्थापना वर्ष 1981 में इंजीनियर जयप्रकाश गौड़ (Jaiprakash Gaur) ने की थी। उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़कर खुद का कारोबार शुरू किया और देखते ही देखते कई सेक्टरों में अपनी पकड़ मजबूत की।
1981 में शुरुआत के बाद जेपी ग्रुप ने सीमेंट, पावर, रियल एस्टेट, होटल, एक्सप्रेसवे, अस्पताल और शिक्षण संस्थानों जैसे सेक्टरों में बिजनेस फैलाया। ग्रुप ने 1981 में पहला होटल खोला, 1986 में सीमेंट उद्योग में कदम रखा और 1992 में पावर सेक्टर में एंट्री की। साल 2008 में यमुना एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट की शुरुआत भी इस ग्रुप ने की थी।
रियल एस्टेट में बढ़ा जोखिम
21वीं सदी की शुरुआत में ग्रुप ने नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े रियल एस्टेट प्रोजेक्ट शुरू किए, परंतु इनमें से कई पूरे नहीं हो पाए। 2006 से 2012 के बीच लगभग 60,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जिससे भारी नुकसान और बढ़ते कर्ज ने ग्रुप की रीढ़ तोड़ दी।
कर्ज में डूबा साम्राज्य
लगातार घाटे और बाजार की मंदी के कारण जयप्रकाश एसोसिएट्स पर 54,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज चढ़ गया। कर्ज चुकाने के लिए ग्रुप को अपने सीमेंट और हाइड्रो पावर प्लांट बेचने पड़े।2012 में फोर्ब्स ने जयप्रकाश गौड़ को भारत के 70वें सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में सूचीबद्ध किया था। उस समय उनकी नेट वर्थ लगभग 855 मिलियन डॉलर (करीब 7,582 करोड़ रुपये) थी।




