टैरिफ हो या ट्रेड वॉर, नहीं रुकेगी भारत की रफ्तार; उड़ान भरेगी इकोनॉमी!

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ट्रेड वॉर और टैरिफ जैसी जटिल परिस्थितियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है. यह कहना है अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी S&P ग्लोबल रेटिंग्स के प्रेसिडेंट यान ले पैलेक का, जिन्होंने हाल ही में भारत दौरे पर आए और देश की आर्थिक स्थिति, संभावनाओं और वैश्विक बाजार में इसकी भूमिका पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं.
उनका यह बयान S&P द्वारा भारत की सॉवरेन रेटिंग को 18 साल बाद ‘BBB’ पर अपग्रेड किए जाने के तुरंत बाद आया है. यह संकेत करता है कि भारत अब विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की सूची में स्थिरता के साथ जगह बना रहा है.

भारत की ग्रोथ मजबूत, और तेजी की उम्मीद

S&P का अनुमान है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ वित्त वर्ष 2025 में 6.5% रहने की संभावना है, और अगले दो वर्षों में यह आंकड़ा 7% के करीब पहुंच सकता है. वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच यह वृद्धि दर न केवल स्थिरता का संकेत देती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत उन कुछ गिनी-चुनी अर्थव्यवस्थाओं में से है जो दीर्घकालिक रूप से उच्च विकास दर बनाए रखने की क्षमता रखती हैं.

यान ले पैलेक का मानना है कि भारत की यह गति सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई ठोस कारण हैं, जैसे स्थिर नीतियां, बुनियादी ढांचे में निरंतर निवेश, और घरेलू मांग का मजबूत आधार.

भारत को वैश्विक झटकों से कैसे मिल रही सुरक्षा?

दुनिया भर में जियोपॉलिटिकल टेंशन, अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर, और वैश्विक टैरिफ की उठापटक के बीच भारत एक संतुलित और अपेक्षाकृत सुरक्षित अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है. इसका एक बड़ा कारण है भारत का विस्तृत घरेलू बाजार, जो देश को वैश्विक झटकों से काफी हद तक बचा लेता है.

पैलेक ने बताया कि भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट जीडीपी का मात्र 2% है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी निर्भरता से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होती है. इसी वजह से जब दुनियाभर में वित्तीय अस्थिरता रहती है, तब भी भारत आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में सफल रहता है.

निवेशकों की पहली पसंद बन रहा भारत

दुनिया के बड़े फंड मैनेजर और कॉरपोरेट इन्वेस्टर्स अब भारत को पूंजी निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्यों में से एक मानते हैं. स्थिर ग्रोथ, नीतिगत स्पष्टता और बुनियादी ढांचे में तेजी से हो रहे बदलावों ने भारत को निवेश के लिए एक सुरक्षित और लाभकारी देश बना दिया है.

S&P के प्रेसिडेंट का कहना है कि भारत आज जिस आर्थिक स्थिति में है, वहां लंबी अवधि के निवेशकों को अच्छे रिटर्न की उम्मीद है. टेक्नोलॉजी, ऊर्जा, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है.

रेटिंग अपग्रेड के पीछे क्या हैं कारण?

भारत की सॉवरेन रेटिंग को अपग्रेड करने के पीछे कई प्रमुख कारण रहे:

आर्थिक मजबूती: भारत की जीडीपी लगातार मजबूत बनी हुई है. हाई ग्रोथ और लो इनफ्लेशन का संतुलन निवेशकों को आकर्षित कर रहा है.
पॉलिसी स्थिरता: सरकार की नीतियां व्यापार और निवेश के लिए स्थिर माहौल तैयार कर रही हैं. टैरिफ और टैक्स नीतियों में पारदर्शिता बढ़ी है.
बुनियादी ढांचे में निवेश: सड़क, रेलवे, ऊर्जा और डिजिटल नेटवर्क में अभूतपूर्व सुधार हो रहा है, जो भविष्य की ग्रोथ के लिए जरूरी नींव है.
सुधरता हुई वित्तीय स्थिति: सरकारी खर्च नियंत्रण में है और फिस्कल डेफिसिट का स्तर घट रहा है.

क्या अमेरिकी रेट कट भारत को प्रभावित करेगा?

पैलेक ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों का भारत पर सीमित लेकिन महत्वपूर्ण असर हो सकता है. अगर अमेरिका दरों में कटौती करता है, तो कुछ निवेश अमेरिका वापस जा सकते हैं, जिससे भारत के लिए थोड़ी अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है.

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल के अंत तक अपनी रेपो दर में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती कर सकता है, जिससे ब्याज दरों में थोड़ी राहत मिल सकती है. यह भारत में मांग को बढ़ावा दे सकता है.

AI और फाइनेंशियल सेक्टर पर क्या असर?

इस बातचीत के दौरान उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से बढ़ते प्रभाव पर भी बात की. उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र में AI का असर तेजी से दिखने लगा है, खासकर क्रेडिट रेटिंग, जोखिम मूल्यांकन, ग्राहक सेवा और निवेश सलाह के क्षेत्रों में.

उन्होंने कहा कि अगर भारत इस टेक्नोलॉजी को सही दिशा में अपनाता है तो यह न केवल देश की फाइनेंशियल इनक्लूजन को बढ़ावा देगा, बल्कि बैंकिंग और फिनटेक सेक्टर में वैश्विक नेतृत्व की ओर कदम भी बढ़ाएगा.

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