धनतेरस पर यम दीपक जलाने का विशेष महत्व, जानें सही विधि और शुभ मुहूर्त

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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हर वर्ष धनतेरस का पर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन घर में यम दीपक जलाने से मृत्यु का भय कम होता है और परिवार पर आने वाले संकटों से रक्षा होती है। साथ ही यह दीपक घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार करता है।

धनतेरस,शनि त्रयोदशी और यम दीपक का संबंध

इस वर्ष धनतेरस शनिवार के दिन पड़ रही है, जिसे शनि त्रयोदशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन की रात को शनि देव और यमराज की विशेष उपस्थिति रहती है। यमराज, जो मृत्यु के स्वामी हैं, शनि देव के भ्राता माने जाते हैं। इसलिए कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी की रात यम दीपक जलाना शनि और यमराज दोनों की कृपा प्राप्ति का शुभ उपाय माना गया है।

यह दीपक घर के दक्षिण दिशा में जलाया जाता है, क्योंकि दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा गया है। ऐसा करने से घर में यम के दूत प्रवेश नहीं करते और व्यक्ति अकस्मात मृत्यु, पितृदोष तथा दुष्प्रभावों से सुरक्षित रहता है।

यम दीपक जलाने की विधि और मंत्र

धनतेरस के दिन यम दीपक को घर के बाहर अनाज के ढेर पर रखकर जलाना शुभ माना गया है। दीपक की बत्ती हमेशा दक्षिण दिशा की ओर होनी चाहिए। एक चौकोर दीपक लें, उसमें चार बत्तियां लगाकर सरसों का तेल भरें। इसे प्रदोष काल में जलाएं और निम्न मंत्र का जप करें —

“मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह।
त्रयोदशी दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम॥”

शुभ मुहूर्त

इस वर्ष धनतेरस के दिन यम दीपक जलाने का प्रदोष काल शाम 5:48 बजे से 7:04 बजे तक रहेगा। इस समय दीपदान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है।

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