डीआईजी द्वारा बिचौलिए के जरिए सेवा पानी कह ली जाती थी रिश्वत
पंजाब 16 अक्टूबर। सीबीआई ने पंजाब पुलिस के रोपड़ रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर को मंडी गोबिंदगढ़ के स्क्रैप कारोबारी आकाश बाटा से 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। गुरुवार को दिल्ली और चंडीगढ़ से आई सीबीआई की टीम ने भुल्लर को ट्रैप लगाकर पकड़ा। सीबीआई की और से डीआईजी हरचरन सिंह भुल्लर और बिचौलिए कृष्नु के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। वहीं भुल्लर के मोहाली ऑफिस और चंडीगढ़ के सेक्टर 40 स्थित घर को खंगाल रही है। जहां से कई अहम दस्तावेज बरामद किए गए हैं। भुल्लर को अभी किसी सीक्रेट जगह पर रखकर पूछताछ की जा रही है। भुल्लर की कोठी से 5 करोड़ से ज्यादा का कैश मिला है। यह कैश 3 बैग और 1 अटैची में भरा हुआ था। जिसके बाद सीबीआई टीम को नोट गिनने की 2 मशीनें मंगानी पड़ी। इसके अलावा भारी संख्या में लग्जरी गहने भी बरामद हुए हैं।
चेसिस नंबर बदलकर कार बेचने के मामले पकड़े
सीबीआई सोर्सेज के मुताबिक भुल्लर के रोपड़ रेंज के डीआईजी तैनात होने के बाद अवैध कार व्यापार के मामले सामने आए। जिसमें पता चला कि कुछ कार व्यापारी कारों के चेसिस नंबर बदलकर उन्हें आगे बेच रहे हैं। इनमें चोरी की कारें भी हो सकती हैं। इसी दौरान डीआईजी की रडार पर मंडी गोबिंदगढ़ का स्क्रैप कारोबारी भी आ गया। उसका काम अच्छा चलता था।
कार्रवाई से बचाने को मांगी रिश्वत
चर्चा है कि स्क्रैप कारोबारी द्वारा अपनी गाड़ियां पास करवाई जाती थी। उस पर सरहिंद में 2023 में दर्ज एफआईआर दर्ज हुई थी। डीआईजी ने उसे कहा कि वह उक्त एफआईआर को कैंसिल करवा देंगे और आगे भी उसे कभी पुलिस तंग नहीं करेगी। इसके बाद वह अपना स्क्रैप बिजनेस आसानी से कर सकता है। फिर आठ लाख रुपए प्रति महीना रिश्वत देने का दबाव डाला। उसे कहा जा रहा है कि अगर स्क्रैप कारोबार करना चाहता है तो उसे यह रकम देनी होगी।
कई और अधिकारी भी रडार पर
वहीं चर्चा है कि स्क्रैप कारोबारी द्वारा अपनी शिकायत में डीआईजी भुल्लर समेत कई अधिकारियों के नाम लिखित में दिए हैं। लेकिन अभी सीबीआई ने उन पर जांच शुरु नहीं की है। चर्चा है कि जल्द और भी कई अधिकारी विभाग की रडार पर आ सकते हैं।
पहले सबूत जुटाए, फिर एक्शन लिया
स्क्रैप कारोबारी ने डीआईजी से परेशान होकर सीबीआई को शिकायत दी। सीबीआई ने पहले स्क्रैप कारोबारी के बताए अधिकारियों के नामों पर नजर रखनी शुरू कर दी। करीब 10 दिन तक टीम ने भुल्लर पर भी नजर रखी। इसके बाद स्क्रैप कारोबारी के बयान दर्ज किए। सीबीआई सोर्सेज के मुताबिक ट्रैप लगाने से पहले भुल्लर के खिलाफ सबूत जुटाए गए। फिर दिल्ली और चंडीगढ़ की टीम बनाकर ट्रैप लगाया गया।
सेवा पानी कहकर ली जाती थी रिश्वत
डीआईजी भुल्लर की और से कारोबारी को सेवा पानी कहकर रिश्वत ली जाती थी। यह रिश्वत उसकी और से अपने बिचौलिए कृष्नु के जरिए ली जाती थी। उसे धमकाया कि अगर रुपए नहीं दिए तो उसे स्क्रैप बिजनेस के मामले में झूठे केस में फंसा देंगे। इसके बाद सीबीआई ने यह शिकायत चंडीगढ़ सीबीआई के सब इंस्पेक्टर सचिन सिंह को जांच के लिए दी। जांच के दौरान डीआईजी की बिचौलिए कृष्नु को वॉट्सएप कॉल सामने आई। जिसमें डीआईजी भुल्लर ने उसे कहा- 8 फड़ने ने 8 । टीम ने जांच की तो जिस नंबर से कृष्नु को फोन आया था, वे डीआईजी का था। फिर टीम को पूरा यकीन हो गया। फिर कहा- जिन्ने दिंदा नाल नाल फड़ी चल, ओहनू केहदे 8 कर दे पूरा। सीबीआई को शक है कि भुल्लर के पास रिश्वत की डायरी मेंटेन की जाती थी।
साफ छवि वाले अफसर रहे डीआईजी के पिता
बता दें कि हरचरण सिंह भुल्लर पूर्व डीजीपी महल सिंह भुल्लर के बेटे हैं। महल सिंह भुल्लर 2002-3 में पंजाब पुलिस के डीजीपी रहे हैं। उन्हें 1980-1990 में पंजाब में आतंकवाद विरोधी अभियानों का नेतृत्व किया। डीजीपी भुल्लर ने एक मेजर के रूप में 13 वीं पंजाब रेजिमेंट रैंकिंग के साथ एक आपातकालीन (युद्ध) सेवा आयोग के माध्यम से भारतीय सेना में भी काम किया है और उन्होंने चीन- भारतीय युद्ध, 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया है। वहीं 1960 के दशक में मिजोरम आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी अहम रोल अदा किया था। वहीं उनकी छवि एक ईमानदार व अच्छे अफसर के तौर पर जानी जाती थी।
मजीठिया केस में एसआईटी हेड रहे भुल्लर
पटियाला रेंज के डीआईजी नियुक्त होने के बाद उन्हें बिक्रम सिंह मजीठिया ड्रग्स केस की जांच के लिए गठित एसआईटी का प्रमुख बनाया गया। हालांकि, उस समय अकाली दल ने उनकी भूमिका पर सवाल उठाए थे। मजीठिया पर दर्ज नशा तस्करी केस की जांच में भी हरचरण सिंह भुल्लर शामिल था। जब भुल्लर को पटियाला रेंज का डीआईजी लगाया गया था, तब भुल्लर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की अगुवाई की थी और मजीठिया से पूछताछ भी की थी। हालांकि, बाद में भुल्लर को एसआईटी से हटा दिया गया।
—