बंगलूरू की सड़कों पर अब पुलिसकर्मियों से ज्यादा कैमरे चौकसी कर रहे हैं। जनवरी से जुलाई 2025 के बीच करीब 87 प्रतिशत ट्रैफिक उल्लंघन अब बिना किसी इंसानी हस्तक्षेप के, यानि कॉन्टैक्टलेस तरीके से, एआई कैमरों के जरिए दर्ज किए गए हैं।
कैमरे कर रहे हैं चालान, पुलिस सिर्फ देख रही रिपोर्ट
साल के पहले सात महीनों में पुलिस ने 30 लाख से ज्यादा ट्रैफिक उल्लंघन दर्ज किए, यानी रोजाना औसतन 11,800 से ज्यादा कॉन्टैक्टलेस केस। जबकि सिर्फ 1,500 के आसपास चालान मैन्युअली जारी हुए। अब ITeMS (Intelligent Traffic Management System) (इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम) के तहत लगाई गई AI-आधारित कैमरा नेटवर्क ने ज्यादातर काम अपने हाथ में ले लिया है।
ऑटोमेशन का असर: चालान अपने-आप
कॉन्टैक्टलेस अनुपालना का मतलब है कि अब ट्रैफिक उल्लंघन AI कैमरों, डिजिटल रिपोर्ट (FTVR), ASTraM एप और सोशल मीडिया से मिलने वाले सबूतों के जरिए दर्ज किए जाते हैं। इससे इंसानी हस्तक्षेप घटा है और चालान काटने की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी हो गई है।
सबसे ज्यादा दर्ज किए गए ऑटोमैटिक चालान में ये शामिल हैं:
बिना हेलमेट बाइक चलाना – 36%
पिलियन राइडर का बिना हेलमेट बैठना – 19%
सीट बेल्ट उल्लंघन – 16%
सिग्नल जंप करना – 13%
वहीं, मैन्युअल चालान ज्यादातर नो-एंट्री (26%) और गलत पार्किंग (24%) के रहे। जनवरी में तो 90% तक चालान सिर्फ कैमरों से हुए।
पुलिस बोली – जागरूकता और कैमरे दोनों बढ़े
संयुक्त पुलिस आयुक्त (ट्रैफिक) कार्तिक रेड्डी ने बताया कि जैसे-जैसे लोग जागरूक हुए हैं, उल्लंघन के केस भी बढ़े हैं। उन्होंने कहा, “हमने इस साल 25 नए ITeMS कैमरे लगाए हैं, और Elcita ने करीब 18-19 कैमरे दिए, जिससे कुल संख्या 75 तक पहुंच गई। ASTraM एप ने भी लोगों में जागरूकता बढ़ाई है।”
हालांकि रेड्डी ने माना कि गलत पार्किंग और वन-वे उल्लंघन अब भी बड़ी चुनौती हैं। उन्होंने कहा, “इनसे जाम और हादसों का खतरा बढ़ता है। सिर्फ पिछले दो महीनों में ही 1.5 लाख से ज्यादा फिजिकल चालान करने पड़े।”
उन्होंने यह भी कहा कि “लंबे समय के समाधान के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करना ही एकमात्र रास्ता है। मेट्रो और BMTC को बढ़ाना जरूरी है।”
टेक्नोलॉजी बढ़ी, पर एप में हैं दिक्कतें
जहां एक ओर ऑटोमेशन ने ट्रैफिक व्यवस्था को आसान बनाया है, वहीं ASTraM एप (जो जनवरी में पुराने ‘पब्लिक आई’ एप की जगह लॉन्च हुआ था) को लेकर यूजर्स की शिकायतें जारी हैं। यह एप यूजर्स को ट्रैफिक उल्लंघन रिपोर्ट करने, हादसे बताने और रियल-टाइम अपडेट देखने देता है, लेकिन कई लोग तकनीकी गड़बड़ियों से परेशान हैं।
पुलिस का जवाब- सख्ती इसलिए है
हालांकि कार्तिक रेड्डी का कहना है कि सिस्टम को कानूनी रूप से मजबूत बनाने के लिए सख्ती जरूरी है। वे कहते हैं, “पहले लोग फोटो को झूठा बता देते थे या कहते थे कि वो मौके पर नहीं थे। अब हर रिपोर्ट में जियो-टैग, टाइम-स्टैंप और लोकेशन ट्रैकिंग जरूरी है, ताकि सबूत अदालत में भी टिके रहें।”
कैमरे बढ़े, भरोसा अभी बाकी
बंगलुरु की सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है, और एआई-आधारित पुलिसिंग अब स्थायी होती दिख रही है। लेकिन फिलहाल, जबकि कैमरे पुलिसकर्मियों से तेज काम कर रहे हैं, शहर के लोग कहते हैं कि टेक्नोलॉजी को अब उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा।
