सार्वजनिक सेवा के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित करते हुए, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा वितरित करने के लिए अपनी निर्धारित 45 दिनों की समय सीमा के बावजूद 30 दिनों के भीतर इस सबसे अधिक प्रभावित जिले के 631 लाभार्थियों को 5.70 करोड़ रुपए के चेक वितरित किए।
बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा वितरित करने के लिए आयोजित समारोह में सभा को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 सितंबर को उन्होंने घोषणा की थी कि विशेष गिरदावरी करवाने के बाद 45 दिनों के भीतर मुआवजा वितरण शुरू कर दिया जाएगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हालांकि 45 दिनों की यह समय सीमा 28 अक्टूबर को समाप्त हो रही है, लेकिन राज्य सरकार ने अपनी अथक कोशिशों के माध्यम से समय से पहले ही मुआवजा वितरण शुरू कर दिया है। उन्होंने इस कार्य के लिए मेहनत करने वाले राजस्व विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन का धन्यवाद किया।
मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों के प्रति तहेदिल से हमदर्दी जताते हुए कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण पंजाब के कई जिलों में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि परमात्मा की कृपा से पंजाब इस आपदा से उबरने में कामयाब रहा। उन्होंने कहा कि कोई अन्य राज्य इस तरह की आपदा से इस तरह नहीं निकला, जैसा कि पंजाब की यह पवित्र धरती निकली। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार देश और विदेश में बैठे हर उस व्यक्ति की ऋणी है, जिसने इन मुश्किल समय में लोगों का दुख साझा किया और उनकी ओर मदद का हाथ बढ़ाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के कारण केवल पंजाब के किसानों को ही नुकसान नहीं हुआ, बल्कि पूरे देश को नुकसान हुआ क्योंकि पंजाब देश के खाद्य भंडार में सबसे अधिक योगदान देता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत गर्व और संतुष्टि की बात है कि हमारे किसानों की कड़ी मेहनत के कारण देश में कोई भूखा नहीं सोता। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के सैनिक देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर करते हैं और पंजाब के किसान देश की खाद्य सुरक्षा की रक्षा करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबी हमेशा से अपने मेहनती स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही यह संकट गंभीर था, लेकिन हमारा हौसला इससे भी मजबूत था। उन्होंने कहा कि खास तौर पर माझा क्षेत्र के लोगों को सबसे पहले मुसीबतें झेलनी पड़ती हैं क्योंकि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान वे लगातार खतरे के माहौल में रहते हैं और दूसरा, उन्हें बाढ़ के कारण नुकसान का सामना करना पड़ता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि लोगों की मदद के लिए राज्य सरकार ने मिशन चढ़दी कला की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि चढ़दी कला का मतलब मुश्किल समय में भी हौसला बनाए रखना और अंधेरे में भी उम्मीद की किरण जगाए रखना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मिशन चढ़दी कला में योगदान देने के लिए उन्होंने विश्व भर के समाजसेवियों से अपील की थी। उन्होंने कहा कि दानी सज्जन रंगला पंजाब पोर्टल के माध्यम से बड़ी संख्या में उदारता से योगदान दे रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि आज गुरु की नगरी अमृतसर से बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा वितरण की शुरुआत हुई है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि अमृतसर जिले में बाढ़ के कारण 198 गांव प्रभावित हुए और विशेष गिरदावरी की रिपोर्ट के अनुसार 59,793 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फसलें नष्ट हुईं। उन्होंने कहा कि 958 मकान पूरी तरह बर्बाद हो गए और 3,711 मकानों को आंशिक नुकसान हुआ। उन्होंने कहा कि 307 पशुओं का भी नुकसान हुआ। भगवंत सिंह मान ने कहा कि समय पर मुआवजा वितरण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पहली बार गिरदावरी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के दौरान अमृतसर जिले में 10 लोगों की जान गई और प्रत्येक पीड़ित परिवार को मुआवजे के रूप में पहले ही चार लाख रुपये दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिले के 669 प्रभावित व्यक्तियों को फसलों, मकानों और पशुओं के नुकसान के लिए कुल छह करोड़ रुपये और सात लाख रुपये का मुआवजा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बाकी बचे लाभार्थियों को भी जल्द ही उनके बैंक खातों में मुआवजा मिल जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाकी बचे 19 जिलों के 825 गांवों में, जहां गिरदावरी का काम पूरा हो चुका है, मंगलवार से कैबिनेट मंत्री मुआवजा राशि वितरण शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि फसलों के नुकसान का पता लगाने के लिए राज्य के 2,508 गांवों का विशेष सर्वे करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट के अनुसार साढ़े तीन लाख एकड़ फसल बुरी तरह नष्ट हुई है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि गिरदावरी के बाद आपत्तियां भी मांगी गई थीं ताकि किसी किसान के साथ अन्याय न हो। इन 2,508 गांवों में से 825 गांवों में आपत्ति की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है और मुआवजा राशि जारी की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली बार किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपए दिए जा रहे हैं, जो देश में सबसे अधिक है। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा राहत कोष (एस.डी.आर.एफ.) के तहत केवल 6,800 रुपए प्रति एकड़ दिए जा सकते हैं, जिसमें से पंजाब सरकार 1,700 रुपए का योगदान देती थी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से प्रति एकड़ 50,000 रुपए देने की मांग की थी, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पहली बार पंजाब सरकार अपने हिस्से की राशि बढ़ाकर प्रति एकड़ 20,000 रुपए मुआवजा दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसमें से पंजाब ने एस.डी.आर.एफ. के 1,700 रुपए के अलावा प्रति एकड़ 13,200 रुपए अतिरिक्त योगदान दिया है, जिससे यह राशि 14,900 रुपए प्रति एकड़ हो जाती है। उन्होंने कहा कि 28 अक्टूबर तक सभी प्रभावित गांवों में मुआवजे का वितरण शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि घरों के नुकसान का आकलन करने के लिए 2,291 गांवों में सर्वेक्षण किया गया था और रिपोर्ट के अनुसार 1,846 गांवों में 30,806 घर/शेड/झुग्गी-झोपड़ियों को नुकसान पहुंचा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि 23 अक्टूबर से मुआवजे के रूप में कुल 180 करोड़ रुपए वितरित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पूरी तरह ढह गए घरों के लिए 1,20,000 रुपए दिए जाएंगे, आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए 40,000 रुपए दिए जाएंगे, जबकि पिछली सरकारों के समय यह राशि 6,500 रुपए थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2,342 गांवों में सर्वेक्षण किया गया था और 355 गांवों से पशुओं के नुकसान की रिपोर्ट आई थी। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार 1,766 पशुओं का नुकसान हुआ, साथ ही 2.2 लाख मुर्गियां मारी गईं और इस नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में कुल 7 करोड़ रुपए वितरित किए जाएंगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि एक ऐतिहासिक पहल में राज्य सरकार ने “जिसदा खेत, उसदी रात” नीति को मंजूरी दी है, जिसके तहत किसान बिना किसी परमिट के अपने खेतों में जमा रेत और गाद को हटा सकते हैं या अपनी मर्जी से बेच सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 5 लाख एकड़ बाढ़ प्रभावित भूमि में किसानों के लिए गेहूं के मुफ्त बीज और बाढ़ प्रभावित गांवों में मुफ्त स्वास्थ्य शिविर लगाए गए हैं, साथ ही पशुओं के लिए विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें इस तरह के मुआवजे का दिखावा करती थी क्योंकि बहुत मामूली राशि दी जाती थी और पीड़ित परिवारों के जख्मों पर नमक छिड़कती थीं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बाढ़ के भयानक दिनों के दौरान, जब राज्य सरकार बाढ़ पीड़ितों के लिए दिन-रात काम कर रही थी, विपक्षी दलों के नेता और केंद्रीय मंत्री केवल फोटो खिंचवाने के लिए दौरा करके चले गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के दौरान पंजाब को लगभग 14,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ और राज्य सरकार ने इस बारे में केंद्र सरकार को सूचित किया है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि इस संकट से राज्य को निकालने के बजाय केंद्र सरकार जानबूझकर पंजाब की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य केंद्र से धन की भीख नहीं मांगेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वे केंद्र सरकार से कोई दान नहीं मांग रहे, बल्कि आर.डी.एफ. और अन्य फंडों में राज्य का जायज हिस्सा चाहते हैं, जिसे केंद्र सरकार ने गैरकानूनी रूप से रोक रखा है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए पूरे राज्य में स्कूल ऑफ एमिनेंस स्थापित किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप इन और अन्य सरकारी स्कूलों के 265 विद्यार्थी जे.ई.ई. मेन्स परीक्षा के लिए योग्यता प्राप्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि 44 विद्यार्थियों ने जे.ई.ई. एडवांस पास किया है और 848 विद्यार्थियों ने नीट के लिए योग्यता प्राप्त की है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 881 आम आदमी क्लीनिक खोले गए हैं और यह संख्या जल्द ही 1,000 को पार कर जाएगी, और अब तक इन क्लीनिकों ने 1.75 करोड़ लोगों को मुफ्त दवाइयां प्रदान की हैं।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि पंजाब सरकार राज्य की प्रगति और लोगों की भलाई के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 55,000 से अधिक युवाओं को योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरियां दी हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा बल का गठन किया गया है, जिसके कारण सड़क हादसों में मृत्यु दर में 48 प्रतिशत की कमी आई है और भारत सरकार ने भी इस पहल की सराहना की है।
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि राज्य सरकार नशे की लत के जरिए नौजवानों की ‘नस्लकुशी’ के लिए जिम्मेदार ‘जरनैलों’ के प्रति कोई नरमी नहीं अपनाएगी। उन्होंने कहा कि नशे के कारोबार को संरक्षण देने वाले नेताओं को पहले ही सलाखों के पीछे डाल दिया गया है और यह बड़े अफसोस की बात है कि ये नेता न केवल पूरे राज्य में नशे के कारोबार को संरक्षण देते थे, बल्कि अपनी सरकारी गाड़ियों में नशा बेचते/आपूर्ति भी करते थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पहले किसी ने भी इन रसूखदार नेताओं को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं की थी, लेकिन अब उनकी सरकार ने ऐसा करके दिखा दिया है और उन्हें अपने पापों की कीमत चुकानी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हैरानी की बात है कि जब इस अकाली नेता को गिरफ्तार किया गया, तो राजनीतिक दलों के बीच नापाक गठजोड़ का पर्दाफाश हुआ क्योंकि उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन का शोर मचाया और दोषियों के लिए विशेष सेल और सुविधाओं की मांग की। उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों ने उन राजनीतिक दलों को बाहर का रास्ता दिखाया, जो हर पांच साल बाद उन्हें लूटने के लिए ‘उत्तर काटो, मैं चढ़ां’ की कहावत की तरह आपस में सांठगांठ कर लेते थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उनकी सरकार को लोगों ने उनकी सेवा करने का मौका दिया है और वे इस उम्मीद पर खरा उतरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी नेता अपना दिन केवल उनकी निंदा करके शुरू करते हैं क्योंकि वे उनकी सरकार द्वारा लिए गए जनहितैषी फैसलों से ईर्ष्या करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को सलाह दी कि राजनीति 9 से 5 का काम नहीं है, बल्कि एक नेता को हमेशा लोगों की सेवा के लिए समर्पित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह नेता अपनी सुविधा के अनुसार राजनीति करते हैं, लोगों की सेवा के लिए नहीं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब के पूर्व मंत्री नई दिल्ली से एक तस्वीर पोस्ट करते हैं, जिससे उनकी ही पार्टी के अन्य नेताओं को ईर्ष्या होती है। उन्होंने कहा कि इस नेता के पास पंजाब या इसके लोगों के लिए कोई रचनात्मक एजेंडा नहीं है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां और अन्य लोग भी मौजूद थे।