फंसा पेंच : आईपीएस की पत्नी व आईएएस अमनीत कुमार ने मंत्रियों से नहीं मिलीं, पुलिस को लैपटॉप देने से किया इंकार
चंडीगढ़, 13 अक्टूबर। हरियाणा के सीनियर आईपीएस अफसर वाई पूरन कुमार के चंडीगढ़ में सुसाइड का मामला लगातार उलझता जा रहा है। उनके पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार को लेकर गतिरोध सोमवार को और गहरा गया। पीड़ित परिवार एफआईआर में नामजद हरियाणा के डीजीपी और बाकी वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा रहा।
जानकारी के मुताबिक दिवंगत आईपीएस अफसर की पत्नी व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार ने सूबे के किसी भी मंत्री से मिलने से इंकार कर दिया। साथ ही चंडीगढ़ पुलिस को जांच के लिए उनका लैपटॉप सौंपने से भी मना कर दिया। यहां बता दें कि वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी कुमार 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर 11 स्थित अपने आवास पर मृत पाए गए थे। उनका शव पीजीआईएमईआर के एडवांस्ड ऑटोप्सी सेंटर में रखा गया। जहां से शनिवार को जीएमएसएच-16 से स्थानांतरित किया गया था, क्योंकि तनाव बढ़ता जा रहा था। अपने आवास पर भाई और पंजाब के आप विधायक अमित रतन कोटफत्ता के साथ अमनीत कुमार ने आए राजनीतिक नेताओं पर जमकर निशाना साधा।
वह रोष में यहां तक बोलीं कि आपने अब तक क्या किया, आप क्या कहना चाहते हैं, हमें आपसे कुछ नहीं चाहिए। आपने मेरे दिवंगत पति के साथ क्या किया, अगर सरकार चाहे तो उनका शव भी ले सकती है। परिवार ने अपनी मुख्य मांग हरियाणा के डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के निलंबित एसपी नरेंद्र बिजारनिया और एफआईआर में नामजद अन्य लोगों की गिरफ्तारी ना होने तक पोस्टमॉर्टम या दाह संस्कार की अनुमति नहीं देने का अपना फैसला दोहराया।
चंडीगढ़ पुलिस ने डिजिटल साक्ष्य प्राप्त करने और कुमार द्वारा कथित रूप से तैयार और ईमेल किए अंतिम नोट की समय-सीमा की पुष्टि के लिए अधिकारी के लैपटॉप तक पहुंच मांगी थी। यह नोट, जो 9 अक्टूबर को सेक्टर 11 पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर का आधार है, जिसमें हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप हैं। परिवार ने मामले की जांच में अविश्वास का हवाला देते हुए लैपटॉप सौंपने से इनकार कर दिया है। जांच में शामिल पुलिस अधिकारियों ने चिंता जताई है कि पोस्टमॉर्टम में लगातार देरी से फोरेंसिक साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। इस बीच, शोक संतप्त परिवार को सांत्वना देने के लिए राजनीतिक नेताओं का लगातार आना जारी रहा। सोमवार को उनसे मिलने वालों में तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास अठावले, पंजाब के कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल शामिल थे।
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