मुद्दे की बात : मुत्तक़ी के साथ बैठक में जयशंकर ने किया अहम ऐलान

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भारत काबुल में अपने टेक्निकल मिशन को दूतावास में बदलेगा

देश की राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को तालिबान सरकार (अफगानिस्तान) के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी मौजूद थे। इस दौरान द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मिले। इसे लेकर राजनीतिक स्तर पर ही नहीं, देश-दुनिया के मीडिया में तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

मसलन, बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान जयशंकर ने मुत्तक़ी से कहा, भारत अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में अपने टैक्निकल मिशन को दूतावास में बदलेगा। साथ ही कहा कि मुझे काबुल में भारत के टैक्निकल मिशन को भारतीय दूतावास के स्तर तक ले जाने की घोषणा करते हुए ख़ुशी हो रही है। यहां काबिलेजिक्र है कि भारत ने अगस्त, 2021 में अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के क़ब्ज़े के बाद काबुल स्थित दूतावास बंद कर दिया था।

उन्होंने तालिबान के विदेश मंत्री से कहा, भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध के लिए आपका दौरा काफ़ी अहम है। अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के शुभचिंतक होने के नाते भारत वहां की प्रगति में गहरी दिलचस्पी रखता है। हम अपनी लंबी अवधि की साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध हैं।

जयशंकर ने ये भी कहा, पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद अफ़ग़ानिस्तान ने जिस तरह की संवेदनशीलता दिखाई, उसकी हम प्रशंसा करते हैं। भारत, अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भारतीय कंपनियों को अफ़ग़ानिस्तान में खनन के लिए बुलाना भी काबिल-ए-तारीफ़ बात है। यहां बता दें कि

मुत्तक़ी को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत आने के लिए नौ से 16 अक्तूबर तक की अनुमति दे रखी है। वैसे मुत्तक़ी, यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की प्रतिबंधित आतंकवादियों की लिस्ट में शामिल हैं। भारतीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, मुत्तक़ी आगरा और देवबंद भी जाएंगे। भारत में रह रहे अफ़ग़ान लोगों से भी उनकी मुलाकात होगी। यह पहली बार है जब तालिबान के विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया है। हालांकि, भारत ने तालिबान को अब तक मान्यता नहीं दी है, लेकिन अब वहां अपना दूतावास फिर से शुरू करने जा रहा है।

अफ़ग़ानिस्तान की अंग्रेज़ी न्यूज़ वेबसाइट टोलो न्यूज़ ने गत दिनों प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि मुत्तक़ी के भारत दौरे में तालिबान को मान्यता देना टॉप एजेंडे में शामिल है।

वहीं, टोलो न्यूज़ से राजनीतिक विश्लेषक सैयद अकबर सिआल वरदक ने साफ किया था कि मुझे नहीं लगता है कि भारत तालिबान को अभी मान्यता देगा। भारत इस तरह के किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले अन्य मुद्दों को देख समझ रहा है। कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि हाल के वर्षों में भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंधों में कई सकारात्मक चीज़ें हुई हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस दौरे से दोनों देशों के बीच संबंधों के दायरे को विस्तार देने में मदद मिलेगी। वहीं, टोलो न्यूज़ से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को विश्लेषक वाहिद फ़ाक़िरी ने कहा था, इसमें कोई शक नहीं है कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के संबंध सुधर रहे हैं और इसमें काफ़ी तेज़ी आएगी। एक बड़ा कारण यह है कि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के संबंध ख़राब हो रहे हैं। भारत इस स्थिति को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

तालिबान के सत्ता में आए चार साल हो गए हैं और रूस दुनिया का पहला देश है, जिसने तालिबान को मान्यता दी है। इसके अलावा किसी भी देश ने तालिबान को औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया, यहाँ तक कि पाकिस्तान ने भी नहीं। बीते दिनों एक रिपोर्ट में टोलो न्यूज़ ने लिखा था, ‘काबुल में भारतीय दूतावास के विस्तार पर बात हो सकती है। दोनों देश पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति पर सहमत हो सकते हैं। साथ ही काउंसलर की मौजूदगी में विस्तार पर भी बात बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो दोनों देशों के बीच सीधे संवाद को बढ़ावा मिलेगा।

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