भारतीय सेना ने फौजियों से लेकर अफसरों तक के लिए नए फिटनेस मानदंड लागू किए

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नए नियमों पर 13 लाख फौजियों और अफसरों को करना होगा अमल

चंडीगढ़, 9 अक्टूबर। भारतीय सेना ने नए फिटनेस मानदंड लागू किए हैं। जिसके तहत अग्निवीर से लेकर जनरल तक सभी रैंक के अफसरों के लिए भी शारीरिक परीक्षण अनिवार्य कर दिया है, यानि ये मानदंड पूरे 13 लाख जवानों वाले बल पर लागू होंगे।

जानकारी के अनुसार, संयुक्त शारीरिक परीक्षण नामक नया ढांचा मौजूदा युद्ध शारीरिक दक्षता परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण को मिलाकर एक एकल, व्यापक मूल्यांकन तैयार करता है। जो आधुनिक युद्ध की बदलती परिचालन आवश्यकताओं को दर्शाता है। यह परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जाएगी और 60 वर्ष की आयु तक के सभी कर्मियों पर लागू होगी। लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारी, जो सेना प्रमुख के बाद सबसे वरिष्ठ होते हैं, 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं। सेना प्रमुख 62 वर्ष की आयु तक सेवा करते हैं। वर्तमान में, बीपीईटी 45 वर्ष की आयु तक और पीपीटी 50 वर्ष की आयु तक आयोजित किया जाता है। नए नियम एक अप्रैल, 2026 से लागू होंगे। जबकि देशभर में फैली सैकड़ों सैन्य इकाइयों में से प्रत्येक में तैयारी का काम 15 अक्टूबर से शुरू होगा।

प्रत्येक आयु वर्ग के लिए परीक्षा के मानदंड अलग-अलग होंगे। यह निष्पक्ष और समावेशी मूल्यांकन के लिए आयु-आधारित मानदंड होगा, लेकिन यह रैंक-तटस्थ और लिंग-तटस्थ होगा। जहां परीक्षा आयोजित की जाएगी, वहां के भूभाग और जलवायु के मानदंडों को भी ध्यान में रखा गया है। उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों, यानि 9,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर स्थित इकाइयों के लिए, मानदंडों में ढील दी गई है। आयु-परिवर्तनीय परीक्षणों में सैनिकों को 3.2 किलोमीटर दौड़ना, एक निश्चित संख्या में पुश-अप और सिट-अप करना होता है। युवा सैनिकों को ऊर्ध्वाधर रस्सी पर चढ़ने की क्षमता भी प्रदर्शित करनी होगी। एक नई ग्रेडिंग प्रणाली भी शुरू की गई है, जिसमें परीक्षण पूरा करने के मानदंडों को इस प्रकार वर्गीकृत किया जाएगा, अति उत्कृष्ट, उत्कृष्ट, अच्छा और संतोषजनक। परीक्षा के अंक वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में शामिल किए जाएंगे, जिससे पदोन्नति और मूल्यांकन प्रभावित होंगे।

पहली बार एक ‘यूनिट ऑपरेशनल एफिशिएंसी टेस्ट’ शुरू किया गया है। इसके तहत, पूरी यूनिट युद्ध में आवश्यक सामूहिक शारीरिक सहनशक्ति को बढ़ावा देने और समन्वय सुनिश्चित करने के लिए रूट मार्च करेगी। सूत्रों ने बताया कि सीपीटी का उद्देश्य एक यथार्थवादी, समावेशी और मानकीकृत परीक्षण व्यवस्था स्थापित करना है। जो पूरे बल में विविध पर्यावरणीय परिस्थितियों और जनसांख्यिकी को ध्यान में रखे। बढ़ती तकनीकी प्रगति के बावजूद, शारीरिक सहनशक्ति, चपलता और मानसिक लचीलापन युद्ध की तैयारी के लिए मूलभूत तत्व बने हुए हैं। शारीरिक परीक्षण के पिछले मूल्यांकनों के आंकड़ों के व्यापक अध्ययन के माध्यम से यह नया ढांचा विकसित किया गया है। सेना प्रशिक्षण कमान और एडजुटेंट जनरल शाखा ने अपने इनपुट दिए हैं, जिन्हें ‘खेलो इंडिया’ मानकों और विदेशी सेनाओं के मानकों के आधार पर परखा गया है।

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