दुनिया के कई देशों में जेनरेशन ज़ैड के विरोध प्रदर्शन आम बात हुए, नेपाल शांत होने से पहले मोरक्को में हिंसा

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बड़ा खतरा, क्या यह दूसरे देशों में भी फैलेगा यह हिंसक अभियान ?

चंडीगढ़, 3 अक्टूबर। दुनिया के देशों में युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर सरकार में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में सरकार के साथ हिंसक झड़पें भी हुईं और कई मौकों पर तो जानलेवा स्थिति भी पैदा हो गई।

हाल के हफ्तों में, अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के कई देशों में  ‘जेनरेशन ज़ैड’ विरोध प्रदर्शन हुए। इसमें शामिल युवा सरकार के खिलाफ कई तरह की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। मसलन, मॉरिशस में पानी और बिजली की भारी कमी, मोरक्को में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच और नेपाल और पेरू में भ्रष्टाचार के मामले प्रमुख मुद्दे रहे। इन प्रदर्शनों ने एक देश की सरकार को गिरा दिया और दूसरे देश में सरकार बदलने में मदद की। साथ ही, सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया और कई लोगों की मौत भी हुई। हाल के महीनों में केन्या, इंडोनेशिया और फिलीपींस में भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए हैं। आइए जानते हैं कि युवाओं के ये विरोध प्रदर्शन अब तक कैसे रहे और इनके क्या असर हुए हैं।

मोरक्को में 2030 विश्व कप की तैयारियों पर भारी खर्च करने के बजाए जनता की सुविधाओं पर ध्यान ना देने के विरोध में लगभग एक हफ्ते से प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को छठे दिन प्रदर्शन में तीन लोगों की मौत हुई। देश के मध्य तट के पास लेक्लिया शहर में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोली चला दी। पुलिस ने बाद में कहा कि यह कार्रवाई प्रदर्शनकारियों को पुलिस थाने में घुसने और हथियार छीनने से रोकने के लिए आत्मरक्षा के तहत की गई थी। जेनरेशन ज़ेड 212 नाम का एक ग्रुप, जो देश के टेलीफोन कोड का संदर्भ है। उसने बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर पिछले सप्ताहांत विरोध प्रदर्शन शुरू किया। राजधानी रबात और कासाब्लांका में शुरू हुए ये प्रदर्शन कई शहरों में फैल गए। प्रदर्शनकारियों का नारा था, स्टेडियम तो हैं, लेकिन अस्पताल कहां हैं ?

मोरक्को के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता रशीद एल खल्फी के अनुसार, प्रदर्शनों के दौरान 400 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया। उनके मुताबिक 260 पुलिस अधिकारी और 20 प्रदर्शनकारी घायल हुए। जबकि 40 पुलिस वाहन और 20 निजी कारें जला दी गईं। मैडागास्कर संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पानी और बिजली की कमी को लेकर युवाओं के विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद, सोमवार को मैडागास्कर के राष्ट्रपति एंड्री राजोएलिना ने अपनी सरकार को भंग कर दिया। राजोएलिना ने सरकारी प्रसारण में कहा, अगर सरकार के सदस्यों ने अपने काम नहीं किए हैं तो हम इसे मानते हुए माफी मांगते हैं।

पपेरू की राजधानी लीमा में सप्ताहांत में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई। बस और टैक्सी ड्राइवर भी युवाओं के साथ शामिल हुए और आर्थिक असुरक्षा के खिलाफ मार्च निकाला। ये प्रदर्शन 20 सितंबर को शुरू हुए थे, जब एक सुधार कानून पारित हुआ था, जिसके तहत युवाओं को निजी पेंशन फंड में योगदान देना होगा।

यहां काबिलेजिक्र है कि सितंबर की शुरुआत में भ्रष्टाचार और प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं के प्रदर्शन शुरु हुए। जिससे नेपाल की सरकार गिर गई थी। प्रदर्शनकारी नेताओं ने पिछले हफ्ते घोषणा की कि वह मार्च में होने वाले आम चुनावों में भाग लेंगे। फिलीपींस में भी इसी तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं।

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