आप सरकार ने ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत 29,000 ड्रग्स तस्करों पर कसा शिकंजा
इस साल के पहले नौ महीनों में पंजाब में नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस यानि एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर और गिरफ्तारियों की संख्या अब तक की सबसे ज़्यादा रही हैं। पुलिस ने इस बढ़ोतरी के लिए ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान को श्रेय दिया है।
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर तक कुल 22,045 एफआईआर दर्ज की गईं, जो हर दिन औसतन 80 मामले हैं। इसी अवधि में पुलिस ने 29,933 ड्रग्स तस्करों और विक्रेताओं को गिरफ्तार किया, जो हर दिन औसतन 109 गिरफ्तारी है। लगभग 1,566 किलोग्राम ‘चिट्टा’ (हेरोइन से बना एक सिंथेटिक ड्रग) भी जब्त किया गया। जो 2023 में पूरे साल में जब्त किए गए 1,352 किलोग्राम के पिछले रिकॉर्ड से ज़्यादा है। एनडीपीएस एक्ट के तहत साल में सबसे ज़्यादा एफआईआर (14,483) और गिरफ्तारियां (17,022) 2014 में दर्ज की गई थीं।
पुलिस महानिदेशक गौरव यादव के मुताबिक गिरफ्तारियों और एफआईआर में यह बढ़ोतरी ‘युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान के तहत राज्य भर में नशे के खिलाफ कार्रवाई के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि पुलिस हेल्पलाइन, काउंटर-इंटेलिजेंस ऑपरेशन, एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स और जिला-स्तरीय ऑपरेशन ने सफलता में योगदान दिया। डीजीपी ने कहा, हमारा ध्यान ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने पर है। हम तस्करों के खिलाफ मामलों को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने में सफल रहे हैं। इस साल पंजाब में 87 प्रतिशत कन्विकशन रेट रहा है, जो देश में सबसे ज़्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने आरोपियों के आगे-पीछे के कनेक्शन स्थापित किए, आवाज और फोटो सहित व्यवस्थित रिकॉर्ड बनाए और उन्हें अन्य मामलों की जांच से जोड़ा।
आंकड़ों के अनुसार, 350 से ज़्यादा बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया गया। जिनमें से प्रत्येक के पास कम से कम 2 किलोग्राम हेरोइन थी। पंजाब अभी भी ड्रग्स के लिए एक ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल होता है और राज्य देश में इस बुराई के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। पंजाब में ड्रग्स की समस्या सिर्फ पुलिस या सामाजिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा भी है, जिसने 2012 से चुनावी बहस को प्रभावित किया है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान इस संकट पर ध्यान दिलाया था। जब उन्होंने दावा किया था कि पंजाब के लगभग 70 प्रतिशत युवा ड्रग्स की समस्या से ग्रस्त हैं। यह मुद्दा बाद के चुनावों में भी मुख्य रहा और बीजेपी ने अपने 2014 के घोषणापत्र में ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई को अपनी पहली प्राथमिकता बताया। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने भी ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया था। मौजूदा आम आदमी पार्टी सरकार ने भी इस बुराई को खत्म करने का वादा किया।
शिरोमणि अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया समेत कुछ नेताओं पर लगे आरोपों से यह मुद्दा और भी राजनीतिक हो गया है। एक विश्लेषक ने कहा, भगवंत सिंह मान की मौजूदा सरकार के लिए, ड्रग्स के खिलाफ कार्रवाई प्रभावी शासन और जनता की सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पैमाना है। जो जनता के सामने सरकार के कामकाज को प्रदर्शित करने में मदद करता है।
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