3 अक्टूबर — पंजाब में अपराध पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस ने नई रणनीति अपनाई है। एक तरफ सोशल मीडिया पर हेट स्पीच और अपराधों का महिमा-मंडन कर माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा सख्त एक्शन लिया जाएगा। वहीं, जेलों से रची जा रही साजिशों को रोकने के लिए फोकस किया जाएगा। इसके लिए पुलिस जेलों में अपने सोर्स बनाएगी। बड़े अपराधियों को समय-समय पर प्रोडक्शन वारंट पर लाया जाएगा, ताकि किसी तरह कोई इनपुट मिल सके। यह टिप्स पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने पुलिस के सीनियर अधिकारियों को दिए हैं। डीजीपी ने बीते दिनों एक मीटिंग की थी।
जिसमें हर चीज के बारे में अधिकारियों को बताया गया है। वहीं, नशा तस्करी के केसों में ड्रग किट के जरिए मौके पर सैंपल लेकर जांच की जाएगी कि पकड़ा गया पदार्थ क्या है; उसे फाइल में भी लिखा जाएगा। इसके अलावा मुलाजिम भर्ती पर भी चर्चा हुई। डीजीपी ने कहा कि जो हार्डकोर क्रिमिनल हैं, उनसे सख्ती से निपटा जाए। वहीं, जिन्हें लगता है कि मिस गाइडेड हैं, उनकी काउंसलिंग भी की जा सकती है। ऐसे लोग पुलिस के लिए अच्छे सोर्स बन सकते हैं, जिससे अपराधों पर नकेल कसी जा सकेगी।
डीजीपी ने कहा कि हर जिले के एसएसपी, डीएसपी और एसएचओ को पता होना चाहिए कि उनके जिले के कौन-से 10–20 बड़े नशा सप्लायर हैं। उन पर क्या एक्शन हो रहा है, क्या वे जेल में हैं या फरार हैं, या अभी भी नशा बेच रहे हैं। कन्वेक्शन रेट 87 फीसदी है। इसका मतलब है कि मोटे तौर पर सारे मुलाजिम अच्छा काम कर रहे हैं।
अब पायस में वॉयस सैंपल अपलोड किए जा सकते हैं। जेलों में जिन कैदियों के वॉयस सैंपल लिए जा रहे हैं, उनके भी सैंपल लिए जा रहे हैं। इसी तरह पकड़े जाने वाले लोगों के वॉयस सैंपल लिए जा रहे हैं, ताकि बाद में वॉयस सैंपल मिलान आदि में दिक्कत न आए। इससे केसों में मजबूती आएगी।
डीजीपी ने बताया कि पहले जब नशा तस्करों को पकड़ा जाता था, तो सैंपल जांच के लिए सीएफएसएल भेजे जाते थे, लेकिन जांच रिपोर्ट आने में समय लग जाता था। ऐसे में अब ड्रग किट का प्रयोग किया जाएगा, जिससे मौके पर पता चल जाएगा कि पकड़ा गया पदार्थ क्या है; उसे फाइल में भी लिखा जाएगा। ताकि अपराधियों से निपटा जा सके।
कई अपराध के मामलों में आरोपी विदेशों में बैठे होते हैं। उनके वारंट चाहिए होते हैं — ब्लू कॉर्नर, रेड कॉर्नर नोटिस चाहिए होते हैं। किसी का पासपोर्ट रद्द कराकर करवाने की जरूरत होती है। ऐसे में हर जिले के अपराधियों के डॉक्यूमेंट पूरे होने चाहिएं। इसके लिए डोमेन एक्सपर्ट व एडवोकेट की मदद ली जाएगी। प्रत्यर्पण की प्रक्रिया होती है; ये डॉक्यूमेंट काफी मजबूत होने चाहिएं।
सारे जिलों में सोशल मीडिया सेल बनाए जा रहे हैं। सभी जिलों के एसएसपी व उच्च स्तर के अधिकारियों को सेल से संपर्क करना चाहिए। साथ ही कोई चीज सामने आती है, तो तुरंत एक्शन लिया जाना चाहिए।
डीजीपी ने कहा कि जेलों के अंदर से सारी साजिशें बन रही हैं। एक तो जेलों में सोर्स बनाओ, उन्हें समय-समय पर प्रोडक्शन वारंट पर लेकर आओ; इसके साथ ही जेलों की जांच भी चलाई जाएगी।