3 अक्टूबर — भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने पर फिर से सहमति बन गई है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को प्रेस रिलीज जारी कर इसका ऐलान किया। इसके कुछ ही देर बाद एयरलाइन इंडिगो ने 26 अक्टूबर से दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने का ऐलान किया। कोलकाता से ग्वांगझू के लिए रोजाना नॉन-स्टॉप उड़ानें चलेंगी। एयरलाइन ने यह भी बताया कि जल्द ही दिल्ली और ग्वांगझू के बीच भी सीधी उड़ानें शुरू की जाएंगी। इन उड़ानों के लिए इंडिगो अपने एयरबस A320neo विमान का इस्तेमाल करेगी।
वहीं, एअर इंडिया ने भी इस साल के आखिर तक भारत-चीन डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने की बात कही है।
भारत-चीन के बीच 2020 में कोरोना महामारी की वजह से यह सर्विस बंद की गई थी। इसके बाद गलवान झड़प की वजह से दोनों देशों के रिश्ते खराब हो गए थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह भारत-चीन संबंधों को धीरे-धीरे सामान्य करने की दिशा में बड़ा कदम है। यह उड़ानें सर्दियों के समय के हिसाब से चलेंगी, लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि दोनों देशों की एयरलाइंस तैयार हों और सभी नियम पूरे करें।
दोनों देशों के एयर सर्विस अधिकारियों ने कई महीनों की चर्चा के बाद फैसला किया है कि अक्टूबर 2025 के आखिर से भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवाएं फिर से शुरू होंगी। कोविड महामारी के बाद से भारत-चीन के नागरिक तीसरे देशों जैसे थाईलैंड, सिंगापुर या मलेशिया के जरिए एक-दूसरे के यहां ट्रैवल कर रहे थे। इससे यात्रा का समय और खर्च दोनों बढ़ गए थे।
हाल के कुछ सालों में, खासकर 2025 की शुरुआत से भारत और चीन ने अपने रिश्तों को सामान्य करने के लिए कदम उठाए हैं। अमेरिकी टैरिफ वॉर ने भी भारत-चीन को करीब आने में मदद की है।
फ्लाइंग टिकट बुकिंग वेबसाइट Goibibo के मुताबिक, फिलहाल दिल्ली से बीजिंग (वन-वे) रूट का न्यूनतम किराया 20 हजार रुपए है। राउंड-ट्रिप में यह बढ़कर 35 हजार रुपए तक पहुंच जाता है। डायरेक्ट फ्लाइट शुरू होने से ये 15% से 20% तक घट सकता है।
लोगों का आपसी संपर्क बढ़ेगा: सीधी उड़ानें शुरू होने से भारत और चीन के व्यापारी, छात्र, पर्यटक और परिवार आसानी से एक-दूसरे के देशों की यात्रा कर सकेंगे। इससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते मजबूत होंगे।
आर्थिक फायदा: भारत और चीन दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। सीधी उड़ानें व्यापार और निवेश को बढ़ावा देंगी। अभी तीसरे देशों के रास्ते यात्रा करने से समय और पैसे की लागत बढ़ती है।
कूटनीतिक महत्व: यह कदम दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में पॉजिटिव कदम है।
कोरोना के पहले हर महीने 539 सीधी उड़ानें थीं
कोरोना महामारी से पहले दोनों देशों के बीच हर महीने 539 सीधी उड़ानें हुआ करती थीं। इनकी कैपेसिटी कुल मिलाकर 1.25 लाख सीटों से ज्यादा थी।
इन फ्लाइट्स में एअर इंडिया, चाइना साउदर्न एयरलाइंस, चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस जैसी कंपनियां शामिल थीं।
उड़ान सेवा निलंबित रहने के बाद दोनों देशों के यात्री बांग्लादेश, हॉन्गकॉन्ग, थाइलैंड और सिंगापुर जैसे कनेक्टिंग हब के जरिए यात्रा करते थे। हालांकि यह यात्रा महंगी पड़ती थी।
एयर ट्रैफिक की जानकारी देने वाली कंपनी सिरियम के मुताबिक जनवरी-अक्टूबर 2024 के बीच भारत-चीन की यात्रा करने वाले लोगों की संख्या 4.6 लाख थी।
वहीं, 2019 के शुरुआती 10 महीने में यह आंकड़ा 10 लाख था। जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच वाया हॉन्गकॉन्ग 1.73 लाख, वाया सिंगापुर 98 हजार, वाया थाईलैंड 93 हजार, वाया बांग्लादेश 30 हजार लोगों ने दोनों देशों की यात्राएं कीं।
भारत-चीन समझौते की नींव कजान में पड़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में 5 साल बाद कजान में मिले थे। तब दोनों देशों ने आपसी संबंधों की स्थिति पर चर्चा की और संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कुछ कदम उठाने पर सहमति जताई थी।
इसके बाद से पिछले 3 महीने में चीन-भारत सीमा के विवादित इलाके डेमचोक और देपसांग से दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा और फ्लाइट सर्विस शुरू करने जैसे फैसले हुए।
चीन के तियानजिन में पीएम मोदी को सफर के लिए एक स्पेशल कार ‘होंगकी L5’ दी गई है। ये कार चीन की रॉल्स रॉयस कही जाती है। खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसी कार का इस्तेमाल करते हैं। मोदी सोमवार को इसी कार में बैठकर SCO समिट में शामिल होने पहुंचे।
जिनपिंग अपनी आधिकारिक यात्राओं के दौरान इसी कार का इस्तेमाल करते हैं। होंगकी कार को रेड फ्लैग के नाम से भी जाना जाता है। जिनपिंग 2019 में जब भारत दौरे पर आए थे, तब भी उन्होंने इसी कार का इस्तेमाल किया था।