इसी सीट से जीत मंत्री आशु ‘सियासी-संकट’ में, एकाएक सक्रिय हुए दीवान की तिवारी और वड़िंग से नजदीकियां
लुधियाना, 29 सितंबर। पंजाब विधानसभा के चुनाव का समय नजदीक आने के साथ सियासी-जोड़तोड़ शुरु हो गई है। पिछले विस चुनाव में आम आदमी पार्टी से कांग्रेस का सीधा मुकाबला था, लेकिन सत्ता उसके हाथ नहीं लगी थी। इसे कांग्रेस की आपसी कलह का नतीजा माना गया था। खुद कांग्रेस के सीनियर नेताओं ने माना था कि कांग्रेस को किसी और नहीं, खुद पार्टी के नेताओं ने हराया।
खैर, अब अगले चुनाव को लेकर सूबे की सत्ताधारी पार्टी आप के साथ ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस में हलचल शुरु हो गई है। चर्चाओं के मुताबिक कांग्रेस के सत्ता में रहते पार्टी के प्रदेश कार्यकारी प्रधान भारत आशु के खिलाफ माहौल बनना शुरु हो गया था। उनको हराकर वैस्ट से विधायक बने गुरप्रीत गोगी के निधन के बाद यहां उप चुनाव हुए। जिसमें कांग्रेसी उम्मीदवार आशु हारे। जबकि आप द्वारा अपने राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार बनाया गया था। जो चुनाव जीतने के बाद कई अहम महकमे संभालकर ‘पावरफुल-मंत्री’ हैं। इसी बीच आशु ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था।
यहीं से आया टर्निंग-प्वाइंट !
लुधियाना के साथ पंजाब में कांग्रेस के साथ करीब 38 साल से जुड़े सीनियर नेता पवन दीवान एकाएक सक्रिय हो गए। वह भी संयोग से लुधियाना वैस्ट हल्के में ही रहते हैं। उन्होंने कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसआईयू, यूथ कांग्रेस, लुधियाना कांग्रेस के जिला प्रधान और पंजाब कांग्रेस के महासचिव की जिम्मेदारी संभाली। कांग्रेस सरकार में वह पंजाब लार्जेस्ट इंडस्ट्रियल कार्पोरेशन के चेयमरैन रहे। अब वह और कई जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
दीवान की सियासी-ताकत कौन ?
सन 87-88 के दौरान मुक्तसर से लुधियाना के मौजूदा सांसद व कांग्रेस प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग मुक्तसर से यूथ कांग्रेस के जिला प्रधान थे। तभी दीवान भी लुधियाना से यूथ कांग्रेस प्रधान रहे। लिहाजा दोनों की लंबी सियासी-सांझ है। तब चंडीगढ़ के मौजूदा सांसद मनीष तिवारी यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रधान थे। जानकारों के मुताबिक तिवारी से सियासी-नजदीकियां दीवान को रास आईं। तिवारी लुधियाना से 2004 में लोस चुनाव लड़कर हारे। हालांकि दीवान ने उनके ‘चाणक्य’ बनकर 2009 में उनकी यहां वापसी कराई और वह सांसद बने। फिर 2014 में उनका टिकट काट दिया गया। फिर 2019 में वह श्री आनंदपुर साहिब से सांसद बने तो दीवान ही उनके सियासी-सलाहकार थे। इसके बाद तिवारी 2024 में चंडीगढ़ से एमपी बने तो भी वही चुनाव-मैनेजर रहे।
मौकापरस्ती के मुद्दे पर दीवान का बयान :
दीवान कहते हैं कि ऐसी चर्चाएं बेबुनियाद हैं कि वह तिवारी या राजा वड़िंग से सियासी-फायदे के लिए नजदीकियां बना रहे हैं। दोनों ही वरिष्ठ नेताओं के साथ उन्होंने जनहित में लंबे समय कांग्रेस की सेवा की है। साथ ही स्पष्ट किया कि उनको कबी टिकट का लालच नहीं रहा। 2012 में लुधियाना वैस्ट से दावेदारी की थी, तब उनका टिकट गया था, तब से दावेदारी नहीं की।
दीवान जनता से हमेशा जुड़े रहे : टोनी कपूर
लुधियाना वैस्ट के ही रहने वाले सीनियर कांग्रेसी नेता व उद्यमी इंदरजीत कपूर टोनी ने बेबाकी से कहा कि दीवान वाकई कांग्रेस के लिए दीवाने रहे हैं। कई दशक से जिले ही नहीं, पंजाब समेत कई राज्यों में पार्टी की सेवा कर चुके दीवान जनता से जुड़े नेता हैं। अगर अगले विस चुनाव में उनको पार्टी ने लुधियाना वैस्ट से उम्मीदवार बनाया तो यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में आ सकती है।
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