29 सितम्बर-ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। पानीपत में ही पिछले आठ माह में ट्रेनों पर 42 बार पथराव हुआ है। यह वे आकड़े हैं जो आरपीएफ के रिकॉर्ड में दर्ज हैं। ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। यह वे आकड़े हैं जो आरपीएफ के रिकॉर्ड में दर्ज हैं।कुछ मामले ऐसे भी हैं। जो रिकॉर्ड में दर्ज ही नहीं हैं। लगातार बढ़ रहे मामले आरपीएफ के लिए बड़ी परेशानी बने हुए हैं। आरपीएफ अब जागरूकता मुहिम चला रही है। ज्यादातर पत्थरबाजी के मामलों में बच्चे या किशोर ही शामिल पाए जाते हैं। दीवाना और बाबरपुर के बीच सबसे अधिक वारदात हुई। आरपीएफ ने अब जागरूकता अभियान चलाया है। पुलिस और आरपीएफ की जांच में यह सामने आया है कि बच्चे अक्सर खेल-खेल में या शरारत के तौर पर पत्थर मार देते हैं लेकिन उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि यह हरकत किसी यात्री की जान ले सकती है। एसआई अमित कुमार ने बताया कि आरपीएफ की टीमों को स्थानीय लोगों की सहभागिता बढ़ाने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाता है। यह ड्यूटी केवल गश्त तक सीमित नहीं रहती बल्कि बच्चों और किशोरों को रेलवे सुरक्षा के बारे में सार्वजनिक स्थानों पर समझाया भी जाता है। आरपीएफ के अनुसार जिन मामलों में पत्थरबाजी के आरोपियों का पता चला उनमें कुछ को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया के तहत जेल भेजा जा चुका है। यह कदम न केवल आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ चेतावनी है बल्कि अन्य संभावित अपराधियों को भी हतोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। थाना प्रभारी दिनेश मीना ने कहा कि कठोर कार्रवाई बताती है कि कानून इस तरह के अपराध को बर्दाश्त नहीं करेगा। रेलवे हादसों की पहचान में आने वाली एक बड़ी समस्या यह भी है कि ट्रेनें अत्यधिक गति से गुजरती हैं। ट्रेन की स्पीड तेज होने से किसी घटना के स्थल का पता लगाना कठिन हो जाता है। जब तक लोको पायलट दुर्घटना की शुरुआती सूचना देते हैं तब तक ट्रेन कई किलोमीटर की दूरी तय कर चुकी होती है। लगभग दो से तीन मिनट में ही ट्रेन दस किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तय कर लेती है इसलिए घटना की सही जगह का तुरंत पता लगाना मुश्किल हो जाता है। मामलों में कमी आई है लेकिन समस्या पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
आरपीएफ नियमित रूप से सड़कों, स्टेशन प्लेटफॉर्म और गांवों में जाकर जनता को नुकसान और कानूनी परिणामों के बारे में समझा रही है। लोगों को यह समझाया जा रहा है कि पत्थरबाजी न केवल ट्रेन व यात्रियों के लिए जानलेवा है बल्कि पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई भी होती है। जागरूकता अभियान के चलते कई जगहों पर समुदायों ने सहयोग किया और मामलों में कमी आने लगी।
