प्रभु की प्राप्ति का मार्ग केवल प्रेम, श्रद्धा, और निष्ठा है – संत अश्वनी बेदी जी

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लुधियाना 27 सितंबर-

श्री राम शरणम् , श्री राम पार्क में चल रहे श्री रामायण ज्ञान यज्ञ में आज संत अश्वनी बेदी जी ने शबरी का प्रसंग सुनाया । उन्होंने कहा
वाल्मीकि रामायण के अरण्यकाण्ड में शबरी का प्रसंग एक अत्यंत मार्मिक और प्रेरणादायक कथा है। शबरी, जो एक श्रमणा , तपस्या करने वाली और आदिवासी भीलनी थीं, को राम की परम भक्त के रूप में दर्शाया गया है। उनका चरित्र भक्ति, धैर्य, और निस्वार्थ प्रेम का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

ऋषि मतंग ने शबरी को अपनी शिष्या के रूप में स्वीकार किया, शबरी ने अत्यंत लगन और समर्पण के साथ वर्षों तक गुरु और आश्रम के साधुओं की सेवा की। वह सुबह जल्दी उठकर, ऋषियों के मार्ग को साफ करती थीं, कंकड़ हटाती थीं और आश्रम के लिए लकड़ी व फल-फूल लाती थीं।

जब ऋषि मतंग का अंतिम समय आया, तो उन्होंने शबरी को यह आशीर्वाद दिया कि भगवान श्री राम स्वयं एक दिन उनके आश्रम में आएंगे और उन्हें दर्शन देंगे। इस गुरु-आज्ञा और भविष्यवाणी ने शबरी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य निर्धारित कर दिया।

गुरु मतंग के देह त्याग के बाद, आश्रम के अन्य ऋषि भी अपने-अपने धाम चले गए, लेकिन शबरी वहीं रहकर वर्षों तक राम के आगमन की प्रतीक्षा करती रहीं। उनकी आस्था अटल थी। वह रोज़ाना राम के लिए रास्ता साफ करती थीं, और उनके भोग के लिए ताज़े फल-फूल एकत्र करती थीं।

सीता की खोज करते हुए, भगवान राम और लक्ष्मण मतंग ऋषि के आश्रम पहुँचे, जहाँ उन्हें शबरी मिलीं। शबरी उस समय तक वृद्धा हो चुकी थीं, लेकिन राम के दर्शन से उनमें एक नई ऊर्जा और प्रसन्नता आ गई।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, शबरी ने भगवान राम और लक्ष्मण का प्रेमपूर्वक स्वागत किया, उनके चरण धोए, और उन्हें खाने के लिए अपने द्वारा एकत्र किए गए मीठे फल अर्पित किए। राम ने शबरी द्वारा प्रेम से दिए गए उन फलों को बार-बार प्रशंसा करके खाया। उन्होंने शबरी की भक्ति की प्रशंसा की।

शबरी का चरित्र रामायण में जाति, वर्ग और लिंग भेद से ऊपर उठकर सच्ची भक्ति की विजय को दर्शाता है।
राम ने शबरी को नवधा भक्ति , नौ प्रकार की भक्ति का उपदेश दिया। इसके बाद, शबरी ने गुरु की आज्ञानुसार मोक्ष प्राप्त किया।

शबरी का प्रसंग यह सिद्ध करता है कि प्रभु की प्राप्ति का मार्ग केवल प्रेम, श्रद्धा, और निष्ठा है, न कि ज्ञान, संपत्ति या सामाजिक प्रतिष्ठा।
सभा में रमणीक बेदी , सुमित गुप्ता , शिवानी गुप्ता , राज गुप्ता , सुदर्शन जैन , विदुषी थमन , रामेश्वर गुप्ता , गुलाब राये, शशि भल्ला , मंजू गुप्ता , भाविका गुप्ता ,शुचिता दुग्गल , किरण खरबंदा , वीणा सोनी , माँ रेखा बेदी , आशिमा बेदी , संयम भल्ला , राधा सिंघल ने पाठ करवाया ।,

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