चंडीगढ़, 26 सितंबर:
बाढ़ के मुद्दे का राजनीतिकरण करने के लिए विपक्ष की आलोचना करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के लोग इन असंवेदनशील और अवसरवादी राजनेताओं को राज्य और इसके निवासियों के साथ विश्वासघात के लिए कभी माफ नहीं करेंगे।
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में चर्चा का समापन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाढ़ के दौरान लोगों को सांत्वना देने के बजाय, राज्य के ये तथाकथित अनुभवी राजनेता सरकार के खिलाफ ज़हर उगल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये राजनेता केवल अपने निहित राजनीतिक हितों के लिए इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं, जो अनुचित और अवांछनीय है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि जब राज्य के लोग बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास के लिए दर-दर भटक रहे थे, तब ये राजनेता मीडिया की सुर्खियाँ बटोरने के लिए बेताब थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विशेष सत्र बाढ़ के बाद राज्य के पुनर्वास पर चर्चा के लिए बुलाया गया था, लेकिन इन नेताओं की संकीर्ण मानसिकता के कारण यह आलोचना का मंच बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि पंजाब एक धन्य भूमि है और राख से भी उभरने की प्रवृत्ति रखती है, लेकिन ऐसे गद्दारों ने हमेशा इसे बर्बाद करने की कोशिश की है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाबियों की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के आगे प्राकृतिक आपदाएँ भी झुक गईं। उन्होंने सारागढ़ी की लड़ाई, लोंगेवाला की लड़ाई और अन्य घटनाओं का हवाला देते हुए पंजाबियों की बहादुरी का परिचय दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी देश को किसी समस्या या मुश्किल का सामना करना पड़ा है, पंजाब ने देश की रक्षा की है, चाहे वह देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना हो, अपनी सीमाओं की रक्षा करना हो या राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में। उन्होंने आगे कहा कि जब भी पंजाब को कोई समस्या आती है, केंद्र सरकार हमारी समस्याओं के प्रति असंवेदनशील हो जाती है और हमें खुद ही उसका सामना करने के लिए छोड़ देती है। भगवंत सिंह मान ने बताया कि दीनानगर हमले के बाद, पंजाब से भारतीय सेना की कीमत चुकाने के लिए कहा गया था, जो सीमा पार से आतंकवादी हमले को नाकाम करने आई थी।
इस गंभीर संकट की घड़ी में सभी पंजाबियों से एकजुट होने का आह्वान करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के पुनर्निर्माण के लिए यह समय की माँग है। उन्होंने आगे कहा कि ज़रूरत पड़ने पर वह पंजाब के हित में प्रधानमंत्री आवास के बाहर धरना देने से भी नहीं हिचकिचाएँगे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह लोकतंत्र की आवाज़ दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग से नहीं डरते और राज्य के हितों की रक्षा के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा कि यह समय की माँग है क्योंकि इतिहास उन सभी को याद रखेगा जिन्होंने इस संकट की घड़ी में राज्य के कल्याण के लिए काम किया और जिन्होंने बाधाएँ पैदा कीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यही वह समय है जब हम सभी को अपने मतभेद भुलाकर पंजाब और उसके लोगों को इस गंभीर संकट से निकालने के लिए हाथ मिलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी नेताओं को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके राज्य के लोगों को इस संकट से उबारना चाहिए और यही पंजाब की सच्ची सेवा है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार के ठोस प्रयासों और सभी परोपकारी लोगों के सहयोग से वह दिन दूर नहीं जब पंजाब देश में अग्रणी राज्य के रूप में फिर से उभरेगा।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष से स्पष्ट रूप से कहा कि वे आरोप-प्रत्यारोप बंद करें क्योंकि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, न कि मानव निर्मित आपदा, जैसा कि वे आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने विपक्ष को चुनौती दी कि वे स्पष्ट करें कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में आई बाढ़ की योजना और क्रियान्वयन भी उनके नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने ही किया था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि विपक्ष को इस गंभीर संकट की घड़ी में राजनीति करने से बचना चाहिए, जब राज्य अपनी सबसे बड़ी आपदा का सामना कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने दुख व्यक्त किया कि बाढ़ ने 2,300 से ज़्यादा गाँवों को जलमग्न कर दिया है, 20 लाख से ज़्यादा लोगों को प्रभावित किया है और पाँच लाख एकड़ ज़मीन पर फ़सलें तबाह हो गई हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ में 56 लोगों की जान चली गई और लगभग सात लाख लोग बेघर हो गए। उन्होंने आगे बताया कि 3,200 सरकारी स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए, 19 कॉलेज मलबे में तब्दील हो गए, 1,400 क्लीनिक और अस्पताल बर्बाद हो गए, 8,500 किलोमीटर सड़कें तबाह हो गईं और 2,500 पुल ढह गए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि शुरुआती अनुमानों के अनुसार, कुल नुकसान लगभग 13,800 करोड़ रुपये है, हालाँकि वास्तविक आँकड़ा इससे भी ज़्यादा हो सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नालों की सफाई का काम बहुत प्रभावी ढंग से किया है। उन्होंने आगे कहा कि पिछली सरकार के दौरान 2066 किलोमीटर नालों की सफाई की गई थी, जबकि उनकी सरकार ने केवल तीन वर्षों में 3825 किलोमीटर नालों की सफाई की है। उन्होंने कहा कि वे भाखड़ा और पौंग बाँध की सफाई के लिए केंद्र सरकार से लगातार आग्रह करते रहे हैं, लेकिन दुर्भाग्य से पिछले 70 वर्षों से ऐसा नहीं हुआ है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इस वर्ष घग्गर नदी की सफाई के कारण ही अधिक पानी होने के बावजूद नदी में बाढ़ नहीं आई।
आईएमडी की भविष्यवाणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस एजेंसी द्वारा की गई सभी भविष्यवाणियाँ अप्रासंगिक और सच्चाई से कोसों दूर हैं। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक दिन में इस एजेंसी द्वारा की गई भविष्यवाणी से 1961% ज़्यादा बारिश दर्ज की गई, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर गंभीर सवालिया निशान लग गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि शायद केंद्र सरकार का कोई चहेता अधिकारी, जिसे इस काम की पूरी जानकारी नहीं है, इस कार्यालय का कार्यभार संभाल रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आपदा बहुत बड़ी है क्योंकि पौंग बांध को 1988 की तुलना में 60.4% ज़्यादा पानी मिला है, जब पंजाब में बाढ़ आई थी और भाखड़ा बांध को 2.65% ज़्यादा पानी मिला था। इसी तरह, उन्होंने कहा कि रणजीत सागर बांध को 2023 में मिलने वाले पानी से 65.3% ज़्यादा पानी मिला है, जो किसी की भी कल्पना से परे है। राज्य आपदा राहत कोष, जिसे पहले आपदा राहत कोष के नाम से जाना जाता था, के बारे में बात करते हुए भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछले 25 सालों में, जिनमें से 12 साल अकाली-भाजपा और 10 साल कांग्रेस सत्ता में रही, राज्य को 6190 करोड़ रुपये की धनराशि मिली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को एसडीआरएफ के रूप में 12,000 करोड़ रुपये मिलने की बात उन नेताओं की कल्पना मात्र है जो अपने निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए सरकार की आलोचना करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह विडंबना ही है कि इसी बहाने प्रधानमंत्री ने राज्य के अपने दौरे के दौरान राज्य को केवल 1600 करोड़ रुपये दिए, जो राज्य के लिए अपर्याप्त है क्योंकि राज्य के 2305 गाँव बाढ़ से तबाह हो गए हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि प्रधानमंत्री के 1600 करोड़ रुपये से बाढ़ प्रभावित प्रत्येक गाँव को केवल 80 लाख रुपये मिलेंगे, जो कि बहुत छोटी राशि है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के दौरे के दौरान भी प्रधानमंत्री ने असली बाढ़ प्रभावित लोगों से मिलने के बजाय, भाजपा के उन्हीं कांग्रेसी धड़े से मुलाक़ात की, जिन्हें उन्होंने अपनी पसंद से चुना था। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री को देशवासियों की समस्याओं की ज़रा भी परवाह नहीं है और वे विदेश यात्राओं में व्यस्त हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह देश के लोगों का घोर अपमान और असंवेदनशीलता है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के इन विदेशी दौरों और विदेश नीति का कोई नतीजा नहीं निकला है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के लोगों को बाढ़ के प्रकोप से बचाकर पहला चरण सफलतापूर्वक पार कर लिया है। उन्होंने युवाओं, सेना और अन्य समाजसेवियों का आभार व्यक्त किया जिन्होंने खुद को खतरे में डालकर लोगों की कीमती जानें बचाईं। भगवंत सिंह मान ने चुटकी लेते हुए कहा कि इस विकट परिस्थिति में भी कई लोग उनकी आलोचना करने का मौका ढूँढ़ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ सत्ताधारी दल के नेता लोगों की सेवा और बचाव में व्यस्त थे, वहीं विपक्ष के कुछ प्रमुख नेता इस मौके का इस्तेमाल ‘जाऊँगा’ में फोटो सेशन के लिए कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग त्रस्त थे, लेकिन विपक्षी नेता राजनीति के लिए मगरमच्छ के आँसू बहा रहे थे और ताने मार रहे थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बाढ़ के दौरान केंद्रीय मंत्री भी फोटो सेशन के लिए आए थे, जिसका नतीजा प्रधानमंत्री द्वारा 1600 करोड़ रुपये के रूप में किया गया क्रूर मज़ाक था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य को बाढ़ के प्रकोप से बचाने के लिए प्रभावी ढंग से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पहली बाढ़ नियंत्रण बैठक 4 अप्रैल को हुई थी। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत पिछली कांग्रेस सरकारों ने ये बैठकें जुलाई के महीनों में या उसके बाद भी की थीं। उन्होंने कहा कि 2017 में यह बैठकें 12 जून को, 2018 में 1 जुलाई को और 2019 में 19 जुलाई को हुई थीं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य में राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रंगला पंजाब फंड शुरू किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कोष में जमा किया गया एक-एक पैसा राज्य के बाढ़ प्रभावित लोगों के कल्याण के लिए विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष में कुछ सीमाएँ होने के कारण एक नया कोष शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के माध्यम से इसमें धनराशि जमा नहीं की जा सकती। उन्होंने आगे कहा कि सांसद भी मुख्यमंत्री राहत कोष में 20 लाख रुपये से अधिक का योगदान नहीं कर सकते। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए यह नया कोष बनाया जा रहा है, जिसे समाज के हर वर्ग से भारी समर्थन मिल रहा है।
अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल के अध्यक्ष अब यह दावा कर रहे हैं कि नदियों के चारों ओर कंक्रीट की दीवारें खड़ी की जाएँगी, जबकि सच्चाई यह है कि लोग जानते हैं कि अपने लंबे कुशासन के दौरान वे गलियाँ तक नहीं बना पाए। उन्होंने कहा कि अकाली मुखिया गलत तरीकों से कमाया हुआ पैसा लोगों में बाँट रहे हैं और ज़्यादातर गाँवों में लोगों को गुमराह करने के लिए एक ही फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है। भगवंत सिंह मान ने आगे कहा कि पूर्व उप-मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि उनके शासनकाल में राज्य का व्यापक विकास हुआ, लेकिन कोटकपूरा, बहबल कलां और अन्य जगहों की ओर से आँखें मूंद लेते हैं जहाँ श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी हुई और निर्दोष लोग मारे गए।