अगर पंजाब ने हरियाणा को पानी दिया होता तो बाढ़ की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती’

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भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने हाईकोर्ट में रखा अपना पक्ष

चंडीगढ़, 25 सितंबर। भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड यानि बीबीएमबी ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जल विवाद को लेकर अपना पक्ष रखा। बोर्ड ने बताया कि अगर पंजाब ने अप्रैल-मई में हरियाणा के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ा होता तो बाढ़ की स्थिति इतनी गंभीर नहीं होनी थी।

यह बयान बीबीएमबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश गर्ग ने पंजाब सरकार द्वारा दायर एक याचिका की पुनः शुरू हुई सुनवाई में दिया। याचिका में सरकार ने अप्रैल-मई में हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी छोड़ने की अनुमति देने के बीबीएमबी के फैसले को चुनौती दी है। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत स्थापित बीबीएमबी, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बीच भाखड़ा, नांगल और पोंग बांधों से जल वितरण का नियमन करता है। बीबीएमबी की भूमिका और उन परिस्थितियों के बारे में बताते हुए, जिनमें बीबीएमबी ने यह निर्णय पारित किया, गर्ग ने वह स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि बीबीएमबी का अधिकार क्षेत्र और शक्ति यह है कि मौसमी परिस्थितियों-मानसून, गर्मी आदि के अनुसार पानी मासिक आधार पर विनियमित किया जाता है। इससे राज्यों की समग्र हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं आता।

बीबीएमबी ने 23 और 28 अप्रैल को पंजाब के विरोध के बावजूद, हरियाणा को 15-20 दिनों के लिए 8,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने की अनुमति देने का निर्णय लिया। पंजाब सरकार ने इस निर्णय को मानने से इंकार करते इसे रोकने के लिए भाखड़ा से 13 किलोमीटर नीचे, नांगल बांध पर पुलिस तैनात कर दी। 6 मई को हाईकोर्ट ने पंजाब को अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया, इस आदेश को पंजाब सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय तक चुनौती दी, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। हालांकि, अतिरिक्त पानी छोड़ने की अनुमति नहीं दी गई और बीबीएमबी अधिकारियों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें आदेशों का पालन करने से रोका। अगस्त में पंजाब में व्यापक बाढ़ आई, जिससे सैकड़ों गाँव जलमग्न हुए, सार्वजनिक-निजी संपत्ति का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।

यह याचिका पंजाब द्वारा 8 अगस्त को दायर की गई थी, जिसमें हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का बीबीएमबी का फैसले को रद करने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था, यह रिट याचिका पंजाब राज्य द्वारा बीबीएमबी के अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण और मनमानी कार्रवाइयों को चुनौती देते हुए दायर की गई है। खासकर भाखड़ा नांगल बांध से हरियाणा राज्य को उसके तय हिस्से से ज़्यादा पानी के अवैध आवंटन के संबंध में। अदालत ने राज्य के महाधिवक्ता मनिंदरजीत सिंह बेदी से पूछा कि जब विवाद खत्म हो चुका है तो यह याचिका क्यों दायर की गई।

बेदी ने अपनी दलीलों में कहा कि इस उदाहरण को भविष्य में मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और इसीलिए पंजाब राज्य आंदोलन कर रहा है। उन्होंने आगे कहा, कल, बीबीएमबी इसी मिसाल का हवाला देते हुए किसी और राज्य को अतिरिक्त पानी जारी कर सकता है। उसके पास ऐसा आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं है। अब, अदालत ने अटॉर्नी जनरल से ऐसे नियम पेश करने को कहा है जो बीबीएमबी को ऐसा निर्णय लेने से रोकते हैं। सुनवाई में अदालत ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि हरियाणा को अधिक पानी देने के बीबीएमबी के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने केंद्र से संपर्क क्यों नहीं किया। इस पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हरियाणा ने इस मुद्दे पर केंद्र को याचिका दी थी और हरियाणा ही पीड़ित पक्ष था। हालांकि, अदालत ने अटॉर्नी जनरल से यह कहते हुए सवाल किया कि बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी दिए जाने के मद्देनजर पंजाब भी पीड़ित पक्ष था। इसलिए, एक पीड़ित पक्ष द्वारा केंद्र से संपर्क करने के बीबीएमबी के फैसले के खिलाफ यह याचिका दायर करने के बजाे, लागू नियमों के अनुसार केंद्र से संपर्क किया जा सकता था। अब, याचिका पर सुनवाई 20 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

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