तेज रफ्तार जीवनशैली और तनाव से बढ़ा अल्जाइमर का खतरा

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

गुरुग्राम, 21 सितम्बर।
मिलेनियम सिटी की चकाचौंध, तेज रफ्तार जीवनशैली और बढ़ता तनाव अब लोगों की याद्दाश्त पर भारी पड़ने लगा है। नींद की कमी, अत्यधिक स्क्रीन टाइम, समय पर भोजन न करना और काम का लगातार दबाव जैसी आदतें अल्जाइमर जैसे गंभीर रोग को जन्म दे रही हैं।
विश्व अल्जाइमर दिवस के मौके पर विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि दिनचर्या में सुधार नहीं किया गया तो युवा वर्ग भी इस रोग की चपेट में आ सकता है। खासकर वे लोग जो लगातार छह घंटे से कम सोते हैं और जिनका स्क्रीन टाइम अत्यधिक है, उनके मस्तिष्क की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। आमतौर पर यह समस्या 60 से अधिक उम्र वालों में देखने को मिलती है लेकिन गुरुग्राम जैसे शहर में आईटी हब में अधिकतर युवा ही कार्य करते हैं। इस वजह से युवाओं में यह समस्या अधिक देखी जा रही है।
स्क्रीन टाइम से बिगड़ी याद्दाश्त
शहर के सेक्टर 65 निवासी तनुजा मेहता (38) ने बताया कि वे एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती हैं और दिन का अधिकांश समय लैपटॉप व मोबाइल पर बीतता है। तनुजा कहती हैं कि शुरूआत में छोटी-छोटी चीजें भूलने लगी थी। कई बार सामान रखकर भूल जाती थी कि कहां रखा है। धीरे-धीरे यह समस्या बढ़ती गई तब जाकर न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लिया। जांच में अल्जाइमर की शुरूआती अवस्था का पता चला। चिकित्सकों ने उन्हें सलाह दी है कि दिन में कम से कम छह घंटे की नींद जरूरी है और स्क्रीन के सामने बिताया जाने वाला समय भी सीमित करना होगा।
ये करें बचाव के लिए
-रात में कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूर लें।
-स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करें, खासकर रात के समय।
-मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग और व्यायाम अपनाएं।
-समय पर संतुलित भोजन करें और पानी की पर्याप्त मात्रा लें।
-मानसिक रूप से सक्रिय रहने के लिए पढ़ाई, पजल हल करना, और सामाजिक गतिविधियों में भाग लें।
डाक्टरों से बातचीत
सामान्यत अल्जाइमर रोग बुजुर्गों में देखा जाता है लेकिन गुरुग्राम जैसे शहर में तेज रफ्तार जीवनशैली, नींद की कमी और मानसिक तनाव के चलते इसका खतरा युवाओं में भी बढ़ रहा है। विशेष रूप से आईटी कंपनियों में कार्यरत युवा अधिक स्क्रीन टाइम और अनियमित दिनचर्या के कारण इस रोग की चपेट में आ रहे हैं। इसके लिए समय से भोजन, छह से आठ घंटे नींद लेना जरूरी है।
– डॉ. मनीष राठी, नागरिक अस्पताल प्रबंधक
अल्जाइमर रोग के मामलों में हाल के वर्षों में तेजी देखी जा रही है। शुरूआती लक्षणों में बार-बार भूलना, एक ही प्रश्न दोहराना, वस्तुओं को गलत जगह रखना, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और स्वभाव में बदलाव शामिल हैं। अक्सर इन संकेतों को सामान्य बुढ़ापे का हिस्सा मानकर अनदेखा कर दिया जाता है, जबकि समय पर पहचान और उपचार से रोग की प्रगति को धीमा किया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण है कि परिवार और देखभाल करने वाले शुरूआती बदलावों पर ध्यान दें और शीघ्र ही न्यूरोलॉजिस्ट से परामर्श लें।
– डॉ. साहिल कोहली, एडिशनल डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी, फोर्टिस

Leave a Comment

सिमी चहल और मैंडी तखर 9 साल बाद “टूट पैनी इंग्लिश ने!” के साथ एक साथ वापस आ रहे हैं, 2026 में रिलीज़ होगी “पंजाबी सिनेमा को बम्बूकाट, रब्ब दा रेडियो और दाना पानी जैसी कालजयी क्लासिक फिल्में देने के बाद, जस ग्रेवाल एक और भीड़ खींचने वाली फिल्म के साथ वापस आ गए हैं।”

श्री राम शरणम् , श्री राम पार्क में चल रहे श्री रामायण ज्ञान यज्ञ में संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वाल्मीकि रामायण के बालकांड में, ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से उनके पुत्र राम को अपने यज्ञ की रक्षा के लिए मांगा

सिमी चहल और मैंडी तखर 9 साल बाद “टूट पैनी इंग्लिश ने!” के साथ एक साथ वापस आ रहे हैं, 2026 में रिलीज़ होगी “पंजाबी सिनेमा को बम्बूकाट, रब्ब दा रेडियो और दाना पानी जैसी कालजयी क्लासिक फिल्में देने के बाद, जस ग्रेवाल एक और भीड़ खींचने वाली फिल्म के साथ वापस आ गए हैं।”

श्री राम शरणम् , श्री राम पार्क में चल रहे श्री रामायण ज्ञान यज्ञ में संत अश्वनी बेदी जी महाराज ने प्रसंग सुनाते हुए कहा कि वाल्मीकि रामायण के बालकांड में, ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ से उनके पुत्र राम को अपने यज्ञ की रक्षा के लिए मांगा