प्रमोशन, इंक्रीमेंट और सम्मान अधर में, पूर्व डीजीपी ने नंबर आधे किए
चंडीगढ़, 21 सितंबर। यहां ट्राईसिटी में पुलिस डिपार्टमेंट के इतिहास में पहली बार बड़ा एक्शन हो गया। दरअसल 62 में से 43 इंस्पेक्टरों की एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट पर तत्कालीन डीजीपी सुरेंद्र यादव जाते हुए ‘लाल- लकीर’ खींच गए। रिपोर्टिंग व रिव्यूइंग अथॉरिटी के पास इनकी एसीआर गई तो एवरेज 90-95 फीसदी मार्क्स थे।
जानकारी के मुताबिक एक्सेप्टिंग अथॉरिटी डीजीपी ने 43 इंस्पेक्टरों के एवरेज मार्क्स 50-60 फीसदी कर दिए। इन इंस्पेक्टरों की एसीआर में डीजीपी ने कमेंट भी किया। जैसे कानून की नॉलेज नहीं है, पब्लिक डीलिंग खराब है या वक्त का पाबंद नहीं है। कुछ दिनों पहले ही इंस्पेक्टरों को नेगेटिव मार्किंग का पता चला।
बताते हैं कि मौजूदा डीजीपी से इसे ठीक करने की गुहार लगाई गई, पर इस लाल लकीर को मिटाने की पावर सिर्फ चंडीगढ़ एडमिनिस्ट्रेटर के पास ही है। इंस्पेक्टरों ने उन्हें ई-मेल भेजा। चंडीगढ़ पुलिस में अब तक उन इक्का-दुक्का इंस्पेक्टरों की एसीआर पर नेगेटिव मार्किंग होती थी। जो या तो भ्रष्टाचार में पकड़े हों या संगीन आरोप जांच में साबित हुए हों जाएं।
पहले रिपोर्टिंग अथॉरिटी एसएसपी यूटी को इंस्पेक्टरों के साल भर के कामकाज को देखते हुए उन 10 बॉक्स में मार्क्स देने होते हैं। एसएसपी से फाइल रिव्यूइंग अथॉरिटी आईजी के पास जाती है। आईजी रिपोर्ट को क्रॉस चैक कर अपने कमेंट देते हैं कि रिपोर्ट सही है या नहीं। इसके बाद रिपोर्ट एक्सेप्टिंग अथॉरिटी डीजीपी के पास जाती है। रिपोर्ट पर डीजीपी कमेंट्स देते हैं। डीजीपी इंस्पेक्टर की कार्यप्रणाली के आधार पर नंबर घटा-बढ़ा सकते हैं।
माहिरों के मुताबिक कोई भी अफसर या मुलाजिम नहीं चाहता कि उनके कार्यकाल में उनकी एसीआर पर कभी लाल लकीर आए। यह जिंदगी भर के लिए रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। इससे भविष्य में उनकी प्रमोशन, सालाना इंक्रीमेंट पर फर्क पड़ेगा। अगर किसी का नाम राष्ट्रपति मैडल या राज्य स्तरीय सम्मान के लिए जाना है तो वह भी नहीं जा पाएगा।
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