डिस्चार्ज कार्ड पढ़ कर चकराया सिर, लिखा था वह है शुगर और टीबी का मरीज मरीज ने कहा उसने तो कभी सिर दर्द की गोली नहीं खाई

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लुधियाना,,,  18  सितंबर: दयानंद हॉस्पिटल में उपचार के बाद जब 50 वर्षीय मरीज घर लौटा तो अपना डिस्चार्ज कार्ड पढ़कर चकरा गया उसके डिस्चार्ज कार्ड में वह बीमारियां भी लिखी थी जो उसे कभी हुई ही नहीं उसके डिस्चार्ज कार्ड में डॉक्टर ने उसे टीबी और डायबिटीज का मरीज घोषित कर दिया था  50 वर्षीय मरीज शिवनंदन विनायक ने बताया की 22 जुलाई को वह बुखार के कारण दयानंद अस्पताल में भर्ती हुआ था और वहां पर 8 अगस्त तक भरती रहा अस्पताल में डिस्चार्ज होने के समय उसके कार्ड में 10 साल पुरानी टीवी तथा डायबिटीज टाइप 2 का मरीज घोषित कर दिया गया जबकि यह दोनों बीमारियां उसे कभी हुई नहीं उन्होंने बताया कि जब उनकी पत्नी ने अस्पताल में डॉक्टर से संपर्क किया तो उसे उनसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें कुछ याद नहीं वह कब भर्ती हुए थे जब उन्हें कहा गया कि यह सारा तो अस्पताल के रिकॉर्ड में दर्ज है अगर डिस्चार्ज समरी के मुताबिक उनके पति का उपचार किया गया है तो वह गलत है इसके अलावा उन्हें यह आशंका है कि गलत दवाइयां देने के कारण अस्पताल में उनके पति की तबीयत बिगड़ी रही ।

पहले भी रहा अस्पताल में भर्ती

शिवनंदन और उनकी पत्नी ने बताया कि वह पहले भी एक सड़क दुर्घटना के बाद 2 जून से 14 जून तक अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग में दाखिल रहे परंतु वहां भी रिकॉर्ड में ऐसी बात सामने नहीं आई  उन्होंने बताया 21 जून को होने एक अन्य तकलीफ जिसमें उनका यूरिन रुक गया के कारण आपात स्थिति में अस्पताल के मेडिसिन विभाग में दाखिल होना पड़ा जहां उनकी बाई किडनी में एक एब्सेस बताया गया इसके बाद उन्हें यूरोलॉजी विभाग में भेज दिया गया तीसरी बार में बुखार होने के कारण 22 जुलाई से 8 अगस्त तक अस्पताल में भर्ती रहे जब उन्होंने तबीयत ठीक ना होने के कारण उन्हें पीजीआई रेफर कर देने को कहा तो डॉक्टर ने इनकार कर दिया।

डॉक्टर और स्टाफ हमसे बात-बात पर बहस करता रहा और सुविधाएं देने के नाम पर उन्हें तंग करने की कोशिश की जाती रही उन्होंने कहा कि जब उन्होंने उन्हें कमरे मे

शिफ्ट करने को कहा तो डॉक्टर ने इनकार कर दिया।

अस्पताल में उसकी रिपोर्ट्स भी मैं भी नहीं आई टीबी और डायबिटीजउन्होंने बताया कि अस्पताल में भर्ती के दौरान जब वह न्यूरो सर्जरी विभाग में रहे तो उनकी सीटी स्कैन व अन्य टेस्ट भी किए गए परंतु कहीं पर भी उन्हें डायबिटीज अथवा  टीबी सामने नहीं आई जब डॉक्टर को कहा कि उन्हें सेकंड ओपिनियन के लिए रिपोर्ट चाहिए तो उन्हें मना कर दिया गया आखिर काफी दिन चक्कर लगाने के बाद उन्होंने अस्पताल में अपनी रिपोर्ट्स के लिए अप्लाई कर दिया तब डॉक्टरो ने उनके डिस्चार्ज कार्ड में टीबी और डायबिटीज को काट दिया मरीज के परिजनों का कहना है कि हो सकता है अस्पताल में भर्ती होने के समय उन्हें टीबी अथवा डायबिटीज की दवाइयां दी जाती रही हो जिसके उनकी तबीयत और खराब रही परंतु जैसे ही वह छुट्टी लेकर घर आए मरीज का बुखार अपने आप उतर गया अब वह पहले से काफी बेहतर है

क्या कहते हैं अस्पताल प्रबंधक

अस्पताल के प्रबंधको का कहना है कि मरीज की फाइल में गलती से टीबी और डायबिटीज लिख दी गई थी जिसे जांच के बाद गलत पाए जाने के बाद उसे ठीक कर दिया और नया डिस्चार्ज कार्ड मरीज को दे दिया है इसके अलावा मरीज को उपचार के रिकॉर्ड की कॉपियां भी सौंप दी गई है उन्होंने कहा कि मरीज को गलत दवाइयां नही दी गई क्योंकि उसकी रिपोर्ट्स में टीबी और डायबिटीज नहीं आई थी यह सिर्फ एक क्लेरिकल मिस्टेक थी जिसे अब ठीक कर दिया गया है।

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