गोल्ड-स्टैंडर्ड पर लौटने की कोई योजना ना होने पर भी अमेरिका स्टॉक बनाए रखता है
संयुक्त राज्य अमेरिका आधिकारिक स्वर्ण भंडार के मामले में दुनिया में अग्रणी बना हुआ है। हालांकि उसका दीर्घकालिक दृष्टिकोण है कि धारण करो, लेकिन छुओ मत, इसमें बदलाव के कोई संकेत नहीं दिख रहे।
अमेरिकी वित्त विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश के पास 8,100 मीट्रिक टन से अधिक सोना है। जिसका अधिकांश भाग फोर्ट नॉक्स, डेनवर मिंट और न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व बैंक में संग्रहीत है। प्रत्यक्ष मौद्रिक साधन के रूप में इस धातु की लंबी गिरावट के बावजूद, अमेरिका ने 1971 में स्वर्ण मानक को त्यागने के बाद से लगातार अपने भंडार को बनाए रखा है।
जानकारों का कहना है कि अमेरिका सक्रिय रूप से सोना नहीं खरीदता या बेचता है, ना ही वह दैनिक मौद्रिक नीति में इस परिसंपत्ति का उपयोग करता है। इसके बजाए, सोना अंतिम उपाय के रूप में एक रणनीतिक भंडार बना हुआ है। एक प्रणालीगत वित्तीय पतन या वैश्विक संकटों के विरुद्ध एक बचाव है। ट्रेजरी नीति से परिचित एक अर्थशास्त्री ने कहा, सोना फेडरल रिजर्व के परिचालन टूलकिट का हिस्सा नहीं है। हालांकि यह अभी भी अमेरिकी वित्तीय प्रणाली में विश्वास बनाए रखने में एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक भूमिका निभाता है। हाशिये के राजनीतिक समूहों या सोने के समर्थकों द्वारा समय-समय पर किए आह्वानों के बावजूद इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि अमेरिका सोने पर आधारित मुद्रा की ओर लौटने का इरादा रखता है। अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि ऐसा करने से सरकार की मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, मंदी का सामना करने या आर्थिक विकास के अनुरूप मुद्रा आपूर्ति का विस्तार करने की क्षमता सीमित हो जाएगी।
ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन की मौद्रिक नीति विश्लेषक डॉ. लीना हार्टवेल ने कहा, स्वर्ण मानक को बहाल करने से फेड का एक हाथ प्रभावी रूप से पीछे बंध जाएगा। इससे वह लचीलापन सीमित हो जाएगा। जिसने पिछले कुछ दशकों में अमेरिका को वित्तीय संकटों का सामना करने की अनुमति दी है। हालांकि सोना अब डॉलर का आधार नहीं रहा, फिर भी यह बड़े पैमाने पर फ़िएट-आधारित वैश्विक व्यवस्था में भरोसे के भंडार के रूप में काम करता रहा है। विश्लेषक सोने के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण को ‘रणनीतिक न्यूनतावाद’ कहते हैं यानि कोई नई खरीदारी नहीं, कोई परिसमापन नहीं और कोई आमूल-चूल नीतिगत बदलाव नहीं। बस यह शांत विश्वास कि अगर कभी ज़रूरत पड़ी तो अमेरिका के पास अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा सोने का भंडार है।
यहां गौरतलब है कि सन 1971 में तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में अमेरिका ने डॉलर को सोने में परिवर्तनीयता समाप्त कर दी थी। जिससे ब्रेटन वुड्स प्रणाली का अंत हो गया, तब से सोना मुद्रा के बंधन के बजाए एक आरक्षित परिसंपत्ति बन गया। चीन और रूस सहित अन्य देशों ने हाल के वर्षों में सोने की खरीदारी बढ़ा दी है। उन्होंने अमेरिकी डॉलर से दूर विविधीकरण का हवाला देते हुए यह कदम उठाया।