लुधियाना 14 सितंबर। लुधियाना नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी बड़ी हो चुकी है कि एक भ्रष्ट अधिकारी जाता है तो दूसरा उससे भी शातिर आ जाता है। जिसके चलते एसई संजय कंवर के जाने के बाद फिर से नगर निगम में कमीशन का खेल शुरु हो चुका है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिर्फ अधिकारी बदले हैं, लेकिन घोटाले उसी तरह से बरकरार है। ताजा मामला गुरु नानक स्टेडियम में लगाई जाने वाली फ्लड लाइटों को लेकर सामने आया है। दरअसल, गुरु नानक स्टेडियम में फ्लड लाइटें सिर्फ बदली जानी है। उसके लिए भी चार करोड़ का टेंडर लगाया गया है। जबकि यह टेंडर हैबोवाल रघुबीर पार्क की विवेक एंटरप्राइजेज कंपनी को दिया गया है। यह टेंडर एसई संजय कंवर की जगह पर तैनात हुए एसई राहुल गगनेजा द्वारा अलॉट किया गया है। इसमें चौंकाने वाली बात तो यह है कि इन 100 से 125 लाइटों के लिए तीन बार टेंडर लगाए गए, तीनों बार एक ही कंपनी द्वारा इसमें बीड दी गई। जब दूसरी कंपनी होशियारपुर की शुभाष एंड संस ने बीड देने का प्रयास किया तो उसे डिसक्वालिफाई कर दिया गया। शुभाष एंड संस कंपनी द्वारा नगर निगम कमिश्नर को शिकायत की गई है। शिकायत में बताया गया कि जिस कंपनी को टेंडर दिया, वे तय शर्तों और नियमों के तहत दिया ही नहीं जा सकता था। लेकिन फिर भी अधिकारियों द्वारा उक्त टेंडर को अलॉट कर डाला। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस टेंडर में भी बड़ा हेरफेर किया गया है। चर्चा है कि इस टेंडर में करीब 50 लाख की कमीशन का खेल हुआ है। अब वे कमीशन किसे जानी है, यह समय ही बताएगा।
तीन बार लगा टेंडर, तीनों बार एक ही कंपनी ने दी बीड
जानकारी के अनुसार पहले स्टेडियम में फ्लड लाइटें लगाने के लिए एसई संजय कंवर द्वारा मार्च 2025 में टेंडर लगाया। चर्चा है कि सेटिंग न बैठने के चलते टेंडर अलॉट नहीं हो सका। जिसके बाद यह टेंडर मई 2025 में लगा। लेकिन तब एसई कमीशन के आरोप में गिरफ्तार हो गए थे। जिसके बाद अब तीसरी बार टेंडर लगाया गया। जिसे लेकर 18 अगस्त को प्रीबीड की मीटिंग भी हुई। चौंकाने वाली बात तो यह है कि तीन बार टेंडर में बीड सिर्फ विवेक एंटरप्राइजेज कंपनी ही रखी गई। जबकि तीसरी बार शुभाष एंड संस ने टेंडर डाला तो उसे बाहर कर दिया गया।
पहले रखी शर्तें, फिर एकदम से हटाई
सबसे पहले जब टेंडर लगा तो शर्त थी कि यह टेंडर उसी कंपनी को मिलेगा, जिसने पहले दो करोड़ के टेंडर की फ्लड लाइटें लगाई हो। जिसके बाद फिर शर्तों में थोड़ा बदलाव हुआ। लेकिन अब तीसरी बार दो करोड़ वाली शर्त एकदम ही साइड़ कर दी गई। अब सिर्फ शर्त रखी गई कि टेंडर उसे मिलेगा, जिसने कम से कम 30-35 फ्लड लाइटें लगाई हों। यह नई शर्तें प्रीबीड की मीटिंग के दौरान तय की गई।
सिर्फ रिपेयरिंग का काम, चार करोड़ के टेंडर की नहीं जरुरत
एक्सपर्ट के मुताबिक स्टेडियम में सिर्फ फ्लड लाइटें बदली जानी है, जबकि खंभे पुराने वाले ही रहेगें। एक्सपर्ट मुताबिक करीब सो या सवा सो लाइटों के लाइटें इलेक्ट्रिशियन द्वारा भी लगाई जा सकती है। इसके लिए इतना बड़ा टेंडर डालने की जरुरत ही नहीं थी। एक्सपर्ट मुताबिक वैसे भी यह लाइटों का काम करीब दो करोड़ रुपए में हो सकता था। इसके लिए इतना बड़ा टेंडर लगाने की जरुरत नहीं थी। चर्चाएं हैं कि इस टेंडर में बड़ा घोटाला हुआ है।
डेढ़ प्रतिशत लैस पर गया पहला टेंडर
वैसे तो नगर निगम में सड़क बनाने, खंभे लगाने, सीवरेज समेत कोई भी टेंडर हो तो वे कम से कम 20 से 30 प्रतिशत लैस पर जाता है। लेकिन यह पहला टेंडर है, जो डेढ़ प्रतिशत लैस पर दिया गया है। जबकि यहीं अगर सीधे इलेक्ट्रिशियन द्वारा लाइटें बदली जाती तो टेंडर 40-50 प्रतिशत लैस पर जाता। जिससे लगता है कि अधिकारी सरकारी खजाने को जमकर चूना लगाने में लगे हैं।
एसई गगनेजा ने एसडीओ रहते 16 करोड़ के काम पर खर्च किए थे 85 करोड़
वहीं चर्चा है कि जिस एसई राहुल गगनेजा द्वारा यह टेंडर अलॉट किया गया है। वे पहले लुधियाना में एसडीओ थे। इस दौरान स्मार्ट सिटी के सभी प्रोजेक्ट इनके अधीन ही थे। चर्चा है कि उस दौरान भी स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट्स में बड़ा खेल किया गया था। वहीं चर्चा है कि इंडोर स्टेडियम का ठेका भी एसडीओ रहते राहुल गगनेजा द्वारा 16 करोड़ में दिया गया था। लेकिन काम खत्म होते-होते स्टेडियम का खर्च 16 करोड़ से 85 करोड़ पहुंच गया था। हालांकि इस मामले के बाद ही वे चर्चा में आए थे। जिससे उनकी काबलियत का सभी को पता भी चला।
विपक्षी लीडरों का करीबी होने की चर्चा
वहीं चर्चा है कि एसई राहुल गगनेजा कई विपक्षी पार्टियों के लीडरों का करीबी भी है। जिनके साथ उसके पारिवारिक संबंध है। जिससे चर्चा छिड़ी है कि एक तरफ मान सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई जा रही है। लेकिन दूसरी तरफ एसई गगनेजा को कही जानबूझकर तो इस जगह पर तैनात नहीं किया गया। ताकि घोटाले हो और एसई का नाम बदनाम हो जाए। जिसके चलते मान सरकार को इस पर ध्यान देने की जरुरत है।