हिंसा से लोगों के बेघर होने के दो साल बाद प्रधानमंत्री को मणिपुर दौरे का समय मिला ?

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हिंसा से प्रभावित परिवार शरणार्थी शिविर में—-फाइल फोटो
मणिपुर में हिंसा की फाइल फोटो
पीएम मोदी ने चुराचांदपुर के पीस ग्राउंड से जनसभा को संबोधित करते हुए

पीएम मोदी ने मणिपुर में 9,000 करोड़ की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रख इंफाल गए

चंडीगढ़,,,   13 सितंबर। लगभग दो साल हो गए हैं और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर का दौरा कर रहे हैं। जबकि यह उस समय की तुलना में माहौल अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण है, जब हिंसा मणिपुर का पर्याय बन गई थी।
पीएम मोदी जैसे ही मणिपुर जाते हुए मिज़ोरम पहुंचे तो उन्होंने कहा, पूर्वोत्तर क्षेत्र को पहले ‘वोट बैंक’ की राजनीति के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि पिछले 11 वर्षों में केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के प्रयासों के कारण ही यह क्षेत्र अब देश के विकास इंजन बन गया है। उन्होंने मिज़ोरम में 9,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की कई विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखते हुए यह बात कही। पीएम ने थेनज़ोल-सियालसुक रोड, खानकॉन-रोंगुरा रोड और मुआलखांग में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा स्थापित तरलीकृत पैट्रोलियम गैस बॉटलिंग प्लांट का उद्घाटन किया।
उन्होंने मिज़ोरम की पहली रेलवे लाइन, बैराबी-सैरांग और सैरंग रेलवे स्टेशन का भी उद्घाटन किया। आइज़ोल को दिल्ली से जोड़ने वाली राजधानी एक्सप्रेस सहित तीन लंबी दूरी की ट्रेन सेवाओं को हरी झंडी भी दिखाई। इंफाल हवाई अड्डे पर राज्यपाल अजय कुमार भल्ला और मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया। यह यात्रा पांच राज्यों के तीन दिवसीय दौरे का हिस्सा है। जिसके दौरान प्रधानमंत्री 71,000 करोड़ रुपये से ज़्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। मोदी ने पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत के अपने तीन दिवसीय दौरे की शुरुआत शनिवार सुबह मिज़ोरम के आइज़ोल से की।
अपने दौरे के दौरान, मोदी कुकी बहुल ज़िले चुराचांदपुर और मैतेई बहुल राजधानी इंफाल में कार्यक्रमों की अध्यक्षता की। जातीय संघर्षों में 260 से ज़्यादा लोगों की मौत और 60,000 से ज़्यादा लोगों के विस्थापित होने के बाद, राज्य फरवरी से राष्ट्रपति शासन के अधीन है। अधिकारियों ने बताया कि मोदी ने अपने दौरे के पहले दिन आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों से बातचीत की। दो साल पहले राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा है, जिस पर कड़ी नज़र रखी जा रही है।
प्रधानमंत्री ने X पर गत दिवस लिखा था, हम मणिपुर के समावेशी और सर्वांगीण विकास को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। तनाव कम होने के बावजूद, पांच प्रमुख मुद्दे -विस्थापन, सुरक्षा, शासन, अंतर-सामुदायिक विश्वास और राजनीतिक समाधान – मणिपुर की नाज़ुक आर्थिक बहाली के केंद्र में बने हुए हैं। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी इनका समाधान कर पाएंगे या इनके समाधान की दिशा में काम शुरू करेंगे। जातीय संघर्षों के कारण दो साल से ज़्यादा समय से विस्थापित, मणिपुर भर में 275 राहत शिविरों में 56,000 से ज़्यादा लोग रह रहे हैं। विस्थापन मुख्यतः दो तरह से हुआ। कुकी-जिन लोगों को इम्फाल और घाटी के कस्बों से और मैतेई-न लोगों को मोरेह, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जैसे सीमावर्ती और पहाड़ी कस्बों से पलायन करना पड़ा था। वे लोग जो हमलों या धमकियों से भागकर घाटी-पहाड़ी सीमाओं पर सीमांत क्षेत्रों से आए थे। अब इन पीड़ितों के विस्थापन के लिए क्या कार्य योजना है, यह देश के सामने एक बड़ा सवाल है ?

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