16 GenZ का डेलिगेशन, क्या रहीं शर्तें; बालेन शाह ने क्यों किया एकतरफा सपोर्ट; सुशीला कार्की के नेपाल का PM बनने की इनसाइड स्टोरी

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13 सितम्बर- GenZ आंदोलन, हिंसा, आगजनी और तख्तापलट। नेपाल ने 5 दिन में वो सब कुछ देख लिया जो इतिहास में शायद ही पहले कभी देखा हो। सोशल मीडिया बैन और करप्शन को लेकर 8 सितंबर को GenZ ने प्रोटेस्ट शुरू किया। अगले दिन देश में माहौल हिंसक हो गया। संसद, सुप्रीम कोर्ट, पॉलिटिकल पार्टियों के ऑफिस, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री-मंत्रियों के घर और काठमांडू के सिंह दरबार समेत सब जला दिया गया।
केपी शर्मा ओली को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा। 5 दिन के अंदर देश में एक नई व्यवस्था बनी। 12 सितंबर को देश की संसद भंग कर दी गई। पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में उन्हें शपथ दिलाई। Gen-Z नेता सरकार में शामिल नहीं हुए। वे बाहर से ही सरकार का कामकाज देखेंगे।
सुशीला कार्की का नाम प्रधानमंत्री के लिए 10 सितंबर को ही बढ़ाया गया था। GenZ प्रोटेस्ट का समर्थन करने वाले मेयर बालेन शाह ने उनका समर्थन भी किया लेकिन GenZ लीडर्स में सहमति नहीं बनी। फिर दो दिन के अंदर ऐसा क्या हुआ कि 73 साल की सुशीला के नाम पर GenZ एकमत हो गए। उन्होंने किन शर्तों पर अंतरिम सरकार बनने पर सहमति दी और इसमें बालेन शाह की क्या भूमिका रही।
GenZ लीडर्स की कोर कमेटी, आर्मी के साथ बातचीत का हिस्सा रहे डेलिगेशन और सुशीला कार्की के करीबी सोर्सेज से बात की। वहीं हमने नेपाल के जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट से भी बात की।
GenZ के साथ 3 दौर की बातचीत कैसे पटरी पर आई
नेपाल में 9 सितंबर को तख्तापलट हुआ। दूसरे दिन आर्मी ने देश की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले ली। आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिगडेल ने GenZ प्रदर्शनकारियों को बातचीत का न्योता दिया। इसके बाद आर्मी की निगरानी में ही नेपाल के अगले नेतृत्व और व्यवस्था को लेकर बातचीत शुरू हुई।
पहले दौर की बातचीत 10 सितंबर को आर्मी हेडक्वार्टर्स में हुई। देश के मुखिया के लिए सुशीला कार्की का नाम बढ़ाया गया। फिर 11 सितंबर को सेना और GenZ प्रदर्शनकारियों के बीच दूसरे दौर की बातचीत भी आर्मी हेडक्वार्टर्स में रखी गई, लेकिन यहां GenZ के अलग-अलग गुट आपस में भिड़ गए। सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बन सकी।
नेपाल के जर्नलिस्ट खगेंद्र भंडारी बताते हैं, ‘GenZ प्रदर्शनकारियों का कोई लीडर न होने की वजह से बातचीत पटरी पर नहीं आ पा रही थी। इसके बाद एक 16 सदस्यीय GenZ डेलिगेशन बनाया गया। इस डेलिगेशन के मेंबर काठमांडू के 16 अलग-अलग इलाकों से चुने गए। तब GenZ के साथ बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा। 12 सितंबर को आखिरी दौर की बातचीत राष्ट्रपति भवन में हुई।
सभी GenZ शुरू में सिर्फ बालेन शाह को बतौर PM देखना चाहते थे, लेकिन वो अंतरिम सरकार में PM बनने को राजी नहीं थे। लिहाजा उन्होंने बालेन शाह की पसंद सुशीला कार्की के साथ जाने पर सहमति जताई।
GenZ डेलिगेशन से जुड़े एक लीडर बताते हैं, ‘सुशीला कार्की के नाम पर सहमति के लिए कुछ शर्तें भी रखी गई थीं। इसके तहत कोई भी पॉलिटिकल पार्टी का लीडर सरकार का हिस्सा नहीं होगा। इसलिए कार्की के अलावा किसी और ने मंत्री पद की शपथ नहीं ली। सारे विभाग PM सुशीला कार्की के पास ही होंगे।’
GenZ डेलिगेशन ने मांग रखी थी कि सरकार के अलग-अलग विभागों से जुड़े फैसले लेने के लिए एक GenZ एडवाइजरी ग्रुप बनेगा। ये एडवाइजरी ग्रुप एक तरह से मंत्रिपरिषद यानी कैबिनेट की तरह काम करेगा। इस तरह सरकार सुशीला कार्की के नाम की होगी, लेकिन पीछे से GenZ का एडवाइजरी ग्रुप फैसले लेने में अहम भूमिका निभाएगा।
सोर्स के मुताबिक, GenZ के लिए PM पद का सबसे चहेता चेहरा काठमांडू के मेयर बालेन शाह थे। वो नेपाल के मौजूदा हालात में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। लिहाजा उन्होंने शुरू से ही साफ कर दिया था कि वो अंतरिम सरकार का जिम्मा नहीं संभालेंगे। बालेन 6 महीने बाद चुनाव के जरिए जनमत हासिल करके प्रधानमंत्री पद संभालना चाहते हैं।
बालेन को भी ऐसे चेहरे की तलाश थी, जो उनकी बात मानें और जिन्हें GenZ भी पसंद स्वीकार कर लें। सोर्स के मुताबिक,
नेपाल में भारत विरोध की राजनीति मशहूर है। सुशीला कार्की ने मीडिया को दिए कुछ इंटरव्यू में भारत और PM मोदी के बारे में तारीफ भरे लहजे में बात की। इसकी वजह से GenZ प्रदर्शनकारियों का एक गुट उनके विरोध में उतर आया लेकिन ये विरोध जल्द ही दबा दिया गया और सुशीला को GenZ नेताओं को समर्थन हासिल हो गया।
वहीं, अगले 6 महीनों में बालेन शाह जरूरत पड़ने पर PM सुशीला कार्की और GenZ एडवाइजरी ग्रुप को सलाह देंगे। बालेन का मकसद पर्दे के पीछे से अंतरिम सरकार चलाना और अगले 6 महीने तक चुनाव के लिए तैयारी करना है। वो 6 महीने बाद चुनाव लड़ेंगे और फिर मजबूत दावेदारी पेश करके PM बनने की कोशिश करेंगे।

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