चंडीगढ़ 10 सितंबर। चंडीगढ़ पीजीआई मनोचिकित्सा विभाग के प्रो. शुभो चक्रवर्ती ने बताया कि इस पहल का मकसद लोगों को यह भरोसा दिलाना है कि आत्महत्या करने की सोच और उस पर कदम उठाने के बीच बहुत कम समय का अंतर होता है। इसमें 5 मॉड्यूल शामिल हैं, जिनमें काउंसलर्स को सहानुभूति, संवेदनशीलता और बिना जज किए कॉलर की बात सुनने की ट्रेनिंग दी जाती है। जरूरत पड़ने पर कॉलर को मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से जोड़ा जाता है और मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में रेफर किया जाता है।
20 भाषाओं में मिलती है मदद
पीजीआई साइकेट्री विभाग के डॉ. राहुल चक्रवर्ती के अनुसार, टेली-मानस पर कॉल करने वाले को 20 भाषाओं में रिस्पॉन्स मिलता है, जिनमें हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, तमिल और असमी शामिल हैं। कॉलर्स को आश्वस्त किया जाता है, उनकी परेशानी सुनी जाती है और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ से जोड़ा जाता है।
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