“प्रधानमंत्री केवल फोटो खिंचवाने आए थे” ऐसी विनाशकारी बाढ़ के सामने मात्र 1600 करोड़ रुपये का राहत पैकेज पंजाब का अपमान है पंजाब को 80,000 करोड़ रुपये मिलने चाहिए थे, लेकिन मांग का केवल 2% ही दिया गया पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों ने अल्प राहत के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

चंडीगढ़, 9 सितंबर:

पंजाब के कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह खुदियां, हरदीप सिंह मुंडियां, हरभजन सिंह ईटीओ, बरिंदर कुमार गोयल, लाल चंद कटारूचक और लालजीत सिंह भुल्लर ने आज प्रधानमंत्री द्वारा पंजाब के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए मात्र 1600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करने पर कड़ी आलोचना की, जबकि राज्य की 80,000 करोड़ रुपये की उचित मांग थी। प्रधानमंत्री की घोषणा को महज एक दिखावा बताते हुए उन्होंने कहा कि यह उन लाखों लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है, जिन्होंने पंजाब के इतिहास की सबसे विनाशकारी बाढ़ में अपने घर, आजीविका और फसलें खो दी हैं।

पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए मात्र 1600 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कैबिनेट मंत्रियों ने संयुक्त बयान में कहा कि यह मामूली राशि लाखों पीड़ित लोगों के जख्मों पर नमक छिड़कने से कम नहीं है।

उन्होंने कहा, “पंजाब ने हाल के इतिहास में सबसे विनाशकारी बाढ़ देखी है, जिसमें घर, फसलें और आजीविकाएं बह गईं और पूरे के पूरे गांव जलमग्न हो गए। ऐसी विकट स्थिति में, केंद्र की राहत पंजाब को हुए भारी नुकसान की तुलना में सागर में एक बूंद के समान है।”

कैबिनेट मंत्रियों ने कहा कि पंजाब के लोग, जो हमेशा देश के अन्नदाता और इसकी सीमाओं के रक्षक के रूप में खड़े रहे हैं, ऐसे सौतेले व्यवहार से बेहतर के हकदार हैं।

कैबिनेट मंत्रियों ने आगे कहा कि जब पंजाब की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ टूट चुकी है, तो दिखावे की नहीं, बल्कि तत्काल और पर्याप्त सहायता की ज़रूरत है। मंत्रियों ने ज़ोर देकर कहा कि 20,000 करोड़ रुपये की माँग कोई हवा-हवाई आँकड़ा नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर हुए नुकसान का एक सावधानीपूर्वक परिकलित अनुमान है।

उन्होंने कहा कि केंद्र का यह निर्णय किसानों, मजदूरों और आम जनता की दुर्दशा पर आंखें मूंद लेने के समान है, जो अपना जीवन फिर से बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

मंत्रियों ने कहा कि आपदा की इस कठिन घड़ी में प्रधानमंत्री को संकीर्ण आकलन से ऊपर उठकर पंजाब को पूरा सहयोग देकर बड़ा दिल दिखाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा, “जब घर में आग लगी हो, तो पानी की बूँदों की गिनती नहीं होती, और इसी तरह, टुकड़ों में दी गई राहत इतनी बड़ी आपदा के ज़ख्मों को भर नहीं सकती।”

Leave a Comment