
दूसरे सूबों, खासकर जम्मू-कश्मीर में स्थानांतरित हुए उद्योग अब क्या करेंगे
चंडीगढ़,, 9 सितंबर। देश में जीएसटी सुधार के बाद एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आखिर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर राज्यों में स्थानांतरित या कार्यान्वयन के अधीन इक्कीस परियोजनाओं का क्या होगा ?
यहां गौरतलब है कि 2017 के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थानांतरित हुए अधिकांश उद्योग, विशेषकर कृषि प्रसंस्करण, हस्तशिल्प, खाद्य, स्वास्थ्य सेवा, रसद और एमएसएमई के लिए आर्थिक संकट पैदा होगा। ये दावा कर सकते हैं कि 2017 और 2022 के बीच उद्योग स्थापित करने में हुए भारी खर्च के कारण उन्हें नुकसान हुआ है। इसके अलावा, 2017 में जीएसटी के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थापित उद्योगों को वास्तव में नुकसान हुआ है। जो प्रोत्साहनों में देरी, रिफंड में रुकावट और अनुपालन संबंधी चुनौतियों के कारण रहा। जिससे उनकी वित्तीय और परिचालन स्थिति कमजोर हुई। आर्थिक मामलों के जानकारों के मुताबिक लग्जरी, उच्च-स्तरीय क्षेत्रों में काम करने वालों को निश्चित रूप से 40% जीएसटी की भारी दर के कारण कठिन मार्जिन का सामना करना पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर के लिए योजना क्या थी :
जम्मू-कश्मीर के लिए यह योजना संयंत्र और मशीनरी में निवेश के 30% की दर से केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन प्रदान करती है, जिसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपये है। कार्यशील पूंजी पर 5 वर्षों के लिए 3% ब्याज दर पर केंद्रीय ब्याज प्रोत्साहन और केंद्रीय व्यापक बीमा प्रोत्साहन भी उपलब्ध हैं। साल 2017 में जीएसटी के कार्यान्वयन ने जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। पहले एक अलग टैक्स-व्यवस्था के तहत संचालित, इस क्षेत्र का राष्ट्रीय जीएसटी ढांचे में एकीकरण ने इसे शेष भारत के साथ आर्थिक रूप से अलग किया। इसके बाद के वर्षों में, कई उद्योगों-फार्मास्युटिकल से लेकर खाद्य प्रसंस्करण और नवीकरणीय ऊर्जा तक इस केंद्र शासित प्रदेश में आ गए, जिससे इसकी आर्थिक स्थिति में नया बदलाव आया।
जीएसटी से पहले, जम्मू और कश्मीर के व्यवसायों को अनुच्छेद 370 के तहत राज्य-विशिष्ट कर प्रोत्साहन प्राप्त थे। जिसने इसे चुनिंदा उद्योगों के लिए एक विशिष्ट राज्य बना दिया था। हालांकि, ये प्रोत्साहन एकीकृत जीएसटी व्यवस्था के अनुकूल नहीं थे, जिससे क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को लेकर शुरुआती चिंताएं पैदा हुईं। हालांकि निवेश को रोकने के बजाए एकीकरण ने नए रास्ते खुले।
जम्मू स्थित एक आर्थिक विश्लेषक ने कहा, जीएसटी ने जम्मू-कश्मीर के टैक्स-संबंधी अलगाव को दूर कर दिया। व्यवसायों को अब एक अलग प्रणाली के तहत काम करने की रसद और अनुपालन चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा।
प्रमुख उद्योग जो यहां आए :
सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियों ने सांबा और कठुआ में अपने विनिर्माण केंद्रों का विस्तार किया। पतंजलि, आईटीसी और कई कोल्ड स्टोरेज श्रृंखलाओं ने पुलवामा, शोपियां और अनंतनाग में प्रसंस्करण इकाइयों में निवेश किया। पश्मीना शॉल और कश्मीरी कालीनों सहित स्थानीय हस्तशिल्प के आसान निर्यात की अनुमति दी। कुछ कपड़ा कंपनियों ने आधुनिक निर्यात इकाइयां बनाने के लिए स्थानीय कारीगरों के साथ सहयोग किया। केंद्रीय योजनाओं और सब्सिडी का लाभ उठाते हुए सौर उपकरण विनिर्माण और सूक्ष्म-जल ऊर्जा कंपनियां जम्मू संभाग में आईं। लद्दाख और उत्तरी व्यापार मार्गों के प्रवेश द्वार के रूप में ब्लू डार्ट जैसी रसद कंपनियों ने 2017 के बाद वितरण केंद्र स्थापित किए।