फरीदाबाद, 1 सितम्बर –
हमें अपने जीवन में मन वचन कर्म की समग्रता को धारण करना चाहिए। यह बात सुप्रसिद्ध रामकथा वाचक पद्मभूषण साध्वी दीदी मां ऋतंभरा ने कही। वह सेक्टर 15 के कम्युनिटी सेंटर में 6 सितंबर तक आयोजित राम कथा को संबोधित कर रही थीं।
उन्होंने कहा कि दुख का कोई एक रूप नहीं है लेकिन हमें भगवान पर विश्वास रखना चाहिए और अपनी वाणी को सोच विचार कर प्रयोग करना चाहिए। यह गलत प्रयोग होने पर बहुत घायल करती है। यह अच्छा प्रयोग करने पर दुखी हृदय को शीतल भी करती है। हमें वाणी का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने सभी से साक्षी भाव में रहने के लिए भी कहा। उन्होंने बताया कि जहां रहो, वहीं रहो। साध्वी ऋतंभरा ने अनेक उदाहरणों के माध्यम से कहा कि हर व्यक्ति के अन्दर अपने जन्मदाता के शरीर और साथ रहने वालों के संग का प्रभाव होता है। लेकिन प्रभाव कभी भी स्थाई नहीं होता है। केवल हमारा
स्वभाव स्थाई होता है।
इस अवसर पर परम शक्ति पीठ के महासचिव संजय भैया, मुख्य यजमान प्रेम पसरिचा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संघचालक डॉ अरविंद सूद, पार्षद कुलदीप साहनी, बी आर सिंगला, सुरेन्द्र बंसल, डी के माहेश्वरी, टी पी माहेश्वरी, सुनीता बंसल, विनेश अग्रवाल, रमा भाटिया, नीरा तोमर, आरडब्ल्यूए 15 के अध्यक्ष नीरज चावला, उद्यमी एच एल भूटानी, डी पी जैन आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
