हरियाणा सरकार ने जीपीएफ अग्रिम या निकासी पर जारी किए निर्देश अंतिम छह महीनों में किसी कर्मचारी को न दें जीपीएफ एडवांस की स्वीकृति सेवानिवृत्ति से पूर्व 12 महीनों में स्वीकृत अग्रिम या निकासी की जानकारी प्रपत्रों में हो दर्ज

हरियाणा सरकार ने जीपीएफ अग्रिम या निकासी पर जारी किए निर्देश

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चंडीगढ़, 19 अगस्त-

हरियाणा सरकार ने सभी प्रशासकीय सचिवों को निर्देश दिए हैं कि सेवानिवृत्ति से पहले, अंतिम छह महीनों की सेवा अवधि में किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को जीपीएफ अग्रिम (एडवांस) की स्वीकृति न दी जाए।ये निर्देश सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) से संबंधित प्रक्रियाओं में अनियमितताओं को रोकने के उद्देश्य से जारी किए गए हैं।

मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी, जिनके पास वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव का दायित्व भी है, द्वारा इस सम्बन्ध में जारी एक पत्र में कहा गया है कि कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तिथि से पूर्व 12 महीनों में स्वीकृत किए गए अग्रिम या निकासी की जानकारी अनिवार्य रूप से प्रपत्रों में दर्ज और प्रशासनिक विभाग द्वारा प्रमाणित की जानी चाहिए।

इसके अलावा, अंतिम भुगतान का मामला प्रधान महालेखाकार के कार्यालय को भेजने के बाद, यदि किसी अपवादात्मक परिस्थिति में अग्रिम स्वीकृत किया जाता है तो इसकी सूचना तुरंत आधिकारिक ईमेल या अन्य औपचारिक माध्यम से दी जानी चाहिए ताकि भुगतान में आवश्यक समायोजन किया जा सके।

पत्र के अनुसार, वित्त विभाग के संज्ञान में आया है कि कुछ प्रशासनिक विभाग और डीडीओ, जीपीएफ अंतिम भुगतान मामलों को प्रधान महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) के कार्यालय को भेजने के बाद भी वसूली योग्य या गैर-वसूली योग्य अग्रिम स्वीकृत कर रहे हैं। इसके साथ ही कई मामलों में यह भी पाया गया है कि जीपीएफ अंतिम भुगतान से जुड़े पीएफ-09 और पीएफ-10 प्रपत्रों में अग्रिम या निकासी से संबंधित अनिवार्य विवरण, विशेषकर सेवानिवृत्ति की तिथि से पूर्व 12 महीनों की अवधि से जुड़े विवरण, सही प्रकार से नहीं भरे जा रहे हैं और न ही प्रशासनिक विभाग द्वारा प्रमाणित किए जा रहे हैं।

वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस प्रकार की चूक से भुगतान में गड़बड़ी और अधिक भुगतान की संभावना बढ़ जाती है, जिससे राज्य को वित्तीय हानि हो सकती है। पत्र में कहा गया है कि जीपीएफ अंतिम भुगतान के मामलों का “ऑनलाइन सबमिशन” केवल ’’ऑनलाइन डायरी मैनेजमेंट सिस्टम (ओडीएमएस)’’ के माध्यम से किया जाता है, जबकि अग्रिम और आहरण से संबंधित कार्य सरकार के ’’ई-बिलिंग पोर्टल (T&A)/NIC’’ पर किए जाते हैं। इन दोनों पोर्टल के बीच डेटा इंटीग्रेशन न होने और कुछ डीडीओ द्वारा, दिए गए निर्देशों का पालन न करने के कारण यह समस्या बार-बार सामने आ रही है।

राज्य सरकार ने इस विषय को गंभीर मानते हुए सभी खजाना अधिकारियों और डीडीओ को निर्देश दिए हैं कि वे हरियाणा सिविल सेवा (जीपीएफ) नियम, 2016 का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करें।

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