चंडीगढ़, 18 अगस्त:
राज्य में उच्च शिक्षा को बड़ी राहत देते हुए, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 1,158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों को नई भर्ती होने तक सरकारी कॉलेजों में अपनी सेवाएँ जारी रखने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से पंजाब भर के सरकारी कॉलेजों में छात्रों के लिए निर्बाध शिक्षा सुनिश्चित होगी।
पंजाब के उच्च शिक्षा मंत्री श्री हरजोत सिंह बैंस ने सरकारी कॉलेजों में 1,158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों को सेवा जारी रखने की अनुमति देने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह पंजाब में उच्च शिक्षा के लिए एक बड़ी राहत है, क्योंकि इससे छात्र बिना किसी रुकावट के अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकेंगे। गौरतलब है कि 14 जुलाई, 2025 को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने 1,158 सहायक प्रोफेसरों और लाइब्रेरियनों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। हालाँकि, पंजाब सरकार ने तुरंत एक याचिका दायर की थी, जिसमें इन प्रोफेसरों को हटाए जाने पर सरकारी कॉलेजों में शिक्षा में संभावित व्यवधान को उजागर किया गया था।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार 1,158 भर्तियों को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है और सर्वोच्च न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करने पर सक्रिय रूप से काम कर रही है, हरजोत सिंह बैंस ने कहा, “हम इन समर्पित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए सबसे मजबूत मामला आगे रखेंगे।”