मुद्दे की बात :  ट्रंप और पुतिन की मुलाकात पर दुनिया भर में चर्चा

मुद्दे की बात : ट्रंप और पुतिन की मुलाकात पर दुनिया भर

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बातचीत बेनतीजा रहने से ट्रंप सवालिया घेरे में, पुतिन अपनी ताकत मनवाकर गए !

अलास्का के एंकोरेज में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की गत दिनों मुलाक़ात हुई थी। जिस पर पूरी दुनिया की नज़रें थीं। इस बैठक से पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे यूक्रेन संघर्ष ख़त्म करने की दिशा में कोई ठोस रास्ता निकलेगा। हालांकि ना तो युद्धविराम पर कोई सहमति बनी और ना ही शांति समझौते का ऐलान हुआ। मुलाक़ात के बाद ट्रंप और पुतिन ने संयुक्त तौर पर बयान तो दिया, लेकिन किसी ठोस नतीजे की जानकारी साझा नहीं की। दोनों नेताओं ने पत्रकारों के सवालों पर भी जवाब नहीं दिए।

दुनिया भर की प्रमुख वेबसाइटों और अख़बारों में इस बैठक को लेकर अलग-अलग आंकलन सामने आए हैं। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कहीं इसे पुतिन की जीत कहा गया तो कहीं ट्रंप के सामने खड़े कठिन सवालों की बात हुई। कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि यह मुलाक़ात आगे की बातचीत की ज़मीन तो तैयार कर सकती है, लेकिन फिलहाल नतीजे बेहद सीमित रहे हैं। अमेरिकी चैनल सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक पुतिन को अलास्का में वह सब कुछ हासिल हुआ, जिसकी उन्हें उम्मीद थी। इसके उलट ट्रंप को बहुत कम सफलता मिली, ख़ासकर अगर उनकी अपनी बैठक से पहले की उम्मीदों से तुलना की जाए। साथ ही सवाल उठाया, क्या ट्रंप ने केवल कुछ छोटे फ़ायदे ही हासिल किए ? क्या उन्होंने ऐसा कोई आधार तैयार किया, जिससे भविष्य में रूस के साथ संभावित शांति समझौते की स्थिति में यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके ?

रिपोर्ट के मुताबिक़, “ट्रंप ने दावा किया कि ‘काफी प्रगति हुई है’ और बैठक ’10 में से 10 नंबर’ की रही, लेकिन सभी संकेत यही बताते हैं कि यह रूसी राष्ट्रपति की बड़ी जीत थी अमेरिकी अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अलास्का में पुतिन के भव्य स्वागत के बावजूद ट्रंप को ठोस नतीजा नहीं मिला.

रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्रंप ने अपने रूसी समकक्ष का अलास्का में रेड कार्पेट, सैन्य फ्लाईओवर और राष्ट्रपति की लिमोज़िन की सवारी से स्वागत किया। हालांकि इस भव्य आयोजन के बावजूद ट्रंप वॉशिंगटन लौटे तो उनके पास दिखाने के लिए बहुत कम था। चुनाव प्रचार के दौरान पहले दिन युद्ध समाप्त कराने का वादा करने वाले ट्रंप एक अस्थायी युद्धविराम तक हासिल करने में भी नाकाम रहे। अमेरिकी अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, ट्रंप ने अपने मेहमान पुतिन का स्वागत किया, लेकिन मुलाक़ात का नतीजा सिर्फ़ इतना रहा कि वे दोबारा मिलने पर सहमत हुए। जैसा कि पुतिन ने कहा, अगली बार मॉस्को में मुलाकात ? रूस के राष्ट्रपति ने क़रीब एक दशक में पहली बार अमेरिका की ज़मीन पर कदम रखा। अलास्का के एक सैन्य अड्डे पर दोनों नेताओं के बीच रेड कार्पेट बिछा था और पुतिन को चार अमेरिकी लड़ाकू विमानों की सुरक्षा में लाया गया था।

हालांकि यह दोस्ताना स्वागत इस सवाल का जवाब नहीं दे सका कि क्या दोनों नेता रूस-यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने के लिए किसी शांति समझौते तक पहुंच पाएंगे। ट्रंप का इशारा लगातार आसपास मौजूद मंच, पत्रकारों की भीड़ और अमेरिकी ताक़त के प्रदर्शन की ओर था। ब्रिटिश अख़बार द टेलीग्राफ़ ने लिखा कि मुलाक़ात के दौरान मीडिया में सामने आई कुछ तस्वीरें आलोचना का कारण बनीं। अमेरिकी सैनिकों को पुतिन के विमान के सामने झुककर रेड कार्पेट बिछाते देखना कई लोगों के लिए स्तब्ध करने वाला दृश्य था। पूरी कवायद के अंत में पुतिन को अपनी मर्ज़ी का नतीजा मिल गया। उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति से हाथ मिलाने की तस्वीर चाहिए थी। वे दुनिया को दिखाना चाहते थे कि रूस अब भी वैश्विक राजनीति के सबसे अहम मंच पर मौजूद है। अब अगर यूरोपीय नेता यूक्रेन का समर्थन करने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें इतिहास के सामने जवाब देना होगा।

फ़्रांसीसी अख़बार ला मोंड की रिपोर्ट में इस बैठक को असफल बताया गया। हॉन्ग कॉन्ग स्थित अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग ने इस बैठक के बाद पैदा हुए भ्रम पर ज़ोर दिया। चीनी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने इसे प्रतीकात्मक सफलता करार दिया। रूसी टैब्लॉयड मॉस्कोव्स्की कोम्सोमोलत्स की रिपोर्ट में इसे अचानक ख़त्म हुई बैठक बताया गया। दोनों नेता गर्मजोशी से मिले, लेकिन ठंडेपन से विदा हुए, यहां तक कि साथ में डिनर भी नहीं किया। पत्रकारों से वादा किया गया था कि दोनों पक्षों से पांच-पांच सवाल लिए जाएंगे, लेकिन जब ट्रंप और पुतिन बिना किसी सवाल का जवाब दिए चले गए तो कई पत्रकार निराश और नाराज़ हुए।

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