कई नदियां उफान पर, गांवों में घुसा पानी, हालांकि कोई बड़ा नुकसान नहीं
चंडीगढ़, 18 अगस्त। हरियाणा में यमुना का जलस्तर 1,78,896 क्यूसेक तक पहुंच गया था। जो इस मौसम में यमुना में अब तक का सबसे अधिक प्रवाह है। बाद में, जलस्तर कम होने लगा और बीती शाम तक लगभग 1.27 लाख क्यूसेक हो गया। दिल्ली पहुंचने में इसे लगभग 48 घंटे लगते हैं।
सिंचाई विभाग के अधिकारियों के मुताबिक रविवार सुबह यमुना में जलस्तर तेज़ी से बढ़ने लगा और दिशा-निर्देशों के अनुसार, पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए नहरों की आपूर्ति नदी की ओर मोड़ दी गई। यमुना का जलस्तर एक लाख क्यूसेक के पार पहुंचते ही बैराज के सभी द्वार खोल दिए गए। लोगों को सचेत करने के लिए सायरन बजाया गया। इस बीच यमुना के उफान पर आने के बाद मौसमी नदियों, सोम्ब और पथराला का जलस्तर कम होने लगा है।
सोम्ब नदी में 24,000 क्यूसेक पानी का प्रवाह दर्ज किया गया, जबकि इसका ख़तरा स्तर 10,000 क्यूसेक है। तेज़ बहाव के कारण अफ़रा-तफ़री मच गई और धनौरा गांव में एक पुल के ऊपर से पानी बहता देखा गया। हालांकि शाम को नदी में लगभग 3,000 क्यूसेक पानी बह रहा था। इसी तरह, पथराला नदी के उफान पर होने से भी नदी किनारे बसे गांवों में रहने वाले लोगों में दहशत रही। कल नदी में लगभग 7,200 क्यूसेक पानी बह रहा था, जबकि ख़तरा स्तर 5,000 क्यूसेक है। शाम को जलस्तर घटकर 500 क्यूसेक रह गया। काठगढ़ गांव में पानी घुसने से एक घर आंशिक रूप से ढह गया। इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
यमुनानगर के डीसी पार्थ गुप्ता ने कहा, स्थिति नियंत्रण में है और नदियों पर कड़ी नज़र रखी जा रही है। अभी तक किसी नुकसान की कोई खबर नहीं है। इस बीच, रविवार को मारकंडा और बेगना नदियां भी उफान पर रहीं, जिससे अंबाला के मुलाना के निवासियों में दहशत रही। नदी के उफान पर होने के कारण हेमा माजरा और गोला गाँवों में पानी घुस गया। इसी तरह, कुरुक्षेत्र के तंगोर, कठवा, कलसाना, गुमटी और मलिकपुर में खेतों में पानी घुसने की खबरें हैं। अंबाला छावनी में टांगरी नदी भी उफान पर आ गई, जिससे नदी तल पर बसी कॉलोनियों की गलियों में पानी घुस गया।