कठुआ और मंडी में बादल फटे, चार लोगों की मौत, मैदानी सूबा हरियाणा भी बाढ़ की चपेट में, अब चेतावनी-राहत जारी
पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड में मानसूनी बारिश तबाही मचा रही है। हद ये कि मैदानी सूबे हरियाणा में भी बाढ़ आ गई है। यहां इस प्रकोप से प्रभावित आम और खास लोग सिर्फ एक ही दोटूक सवाल कर रहे हैं कि आखिर राज्यों और केंद्र की सरकारें आपदा आने के बाद ही क्यों जागती हैं ?
बादल फटने के ताजा मामले जम्मू-कश्मीर के कठुआ और हिमाचल के मंडी से सामने आए हैं। जबकि हरियाणा के यमुनानगर में सोम नदी उफान पर है। जेएंडके में किश्तवाड़ इलाके में बादल फटने से 55 लोगों के मरने के कुछ दिन बाद कठुआ में अब चार लोगों की मौत हो गई। हालांकि शुक्र यह रहा कि हिमाचल मंडी में बादल फटने से किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। उधर, लगातार भारी बारिश के बाद, रविवार को यमुनानगर में सोम नदी उफान पर है। धनौरा गांव में सोम नदी का पानी पुल के ऊपर से बहता हुआ देखा गया, जिससे निवासियों में दहशत फैल गई। नदी के किनारे बसे गांवों में रहने वाले लोग बाढ़ के कहर के डर में जी रहे हैं। दरअसल तटबंध में कोई भी बड़ा दरार बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर सकती है और फसलों को नुकसान पहुंच सकता है। चिंता को और बढ़ाते हुए, पथराला नदी भी पानी के तेज़ बहाव के कारण उफान पर है।
वहीं, जम्मू-कश्मीर के कठुआ ज़िले के सुदूर गांव में बादल फटने से आई बाढ़ में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात जंगलोट के एक गांव में बादल फटने की घटना हुई। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, जो जम्मू-कश्मीर के उधमपुर से सांसद हैं, उन्होंने कहा कि बादल फटने से एक रेलवे ट्रैक, राष्ट्रीय राजमार्ग-44 और एक पुलिस स्टेशन भी क्षतिग्रस्त हो गया। प्रशासन ने वहां भी रस्मी-तौर पर मृतकों के परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना जताई है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर दुख व्यक्त किया और अधिकारियों को बादल फटने और भूस्खलन प्रभावित कठुआ ज़िले में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राहत, बचाव और निकासी के उपाय करने का निर्देश दिया।
चिंता की बात, कठुआ प्रशासन ने मौसम संबंधी चेतावनी जारी कर कहा कि पूरे जिले में बहुत भारी बारिश होने की सूचना है। साथ ही, जनता से जल निकायों से दूर रहने का अनुरोध भी किया है। जनता को नदियों, नालों, नालों और अन्य जल निकायों के पास जाने से बचने की सख्त सलाह दी जाती है। साथ ही, पहाड़ी और भूस्खलन व अन्य जोखिम-प्रवण क्षेत्रों से भी दूर रहने की सलाह दी जाती है। भारी बारिश के कारण जल स्तर तेज़ी से बढ़ सकता है, जिससे अचानक बाढ़ और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही, हेल्पलाइन नंबर 01922-238796 और 9858034100 भी जारी किए हैं। यहां भारी बारिश के कारण अधिकांश जल निकायों का जल स्तर तेज़ी से बढ़ा है और उझ नदी खतरे के निशान के पास बह रही है।
इसी हफ़्ते, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटने से आई अचानक बाढ़ में 50 से ज़्यादा लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा घायल हो गए थे। यह त्रासदी उस समय हुई जब 14 अगस्त को मचैल माता मंदिर की वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग चिसोती में एकत्र हुए थे। कम से कम 82 लोग अभी भी लापता हैं। यात्रा पहले से तय होने और मौसम विभाग के अलर्ट भी पहले ही जारी होने के बावजूद आखिर शासन-प्रशासन पहाड़ी राज्यों में पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आमद रोकने की अधिकारिक सूचना क्यों जारी नहीं करता ? क्या पर्यटकों और श्रद्धालुओं से हासिल होने वाले राजस्व के लालच इन राज्यों की सरकारें उनकी जान दांव पर लगा रही हैं, लोगों के जहन में यही बड़ा सवाल कौंध रहा है।
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