चंडीगढ़, 13 अगस्त:
पंजाब के श्रम मंत्री तरुणप्रीत सिंह सोंद ने कहा कि श्रमिकों की पहुँच आसान बनाने के लिए कई योजनाओं का सरलीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि पंजाब भवन निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की ‘शगुन योजना’ में, तहसीलदार द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। अब, जिस धार्मिक संस्थान में विवाह संपन्न हुआ है, वहाँ से प्राप्त प्रमाण पत्र और दोनों परिवारों की स्व-घोषणा ही पर्याप्त होगी।
सोंड ने बताया कि इस योजना के तहत 51,000 रुपये की राशि प्रदान की जाती है। इसी प्रकार, महिला निर्माण श्रमिकों को 21,000 रुपये और पुरुष श्रमिकों को 5,000 रुपये का मातृत्व लाभ अब केवल बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर प्रदान किया जाता है, जिससे पहले बच्चे के आधार कार्ड की आवश्यकता समाप्त हो गई है।
इसी तरह, शगुन योजना का लाभ पाने के लिए पंजाब श्रम कल्याण बोर्ड में पंजीकृत विवाह प्रमाण पत्र की शर्त भी समाप्त कर दी गई है। अब मज़दूर धार्मिक स्थलों और विवाह संपन्न करवाने वाले धार्मिक व्यक्तियों की तस्वीरें जमा करके शगुन योजना का लाभ उठा सकते हैं।
श्रम मंत्री ने आगे बताया कि पंजाब श्रम कल्याण बोर्ड ने मजदूरों के बच्चों के लिए ‘वजीफा योजना’ के अंतर्गत दो साल की सेवा शर्त भी समाप्त कर दी है। मजदूरों को योगदान देने के दिन से ही वजीफा योजना का लाभ मिल सकेगा।
सोंड ने आगे बताया कि 90 दिन से ज़्यादा काम पूरा कर चुके मनरेगा मज़दूरों को भवन एवं अन्य निर्माण कामगार कल्याण बोर्ड में पंजीकरण कराने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि वे सभी संबंधित लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने बताया कि फरवरी 2025 में होने वाली 55वीं पंजाब श्रम कल्याण बोर्ड की बैठक में कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता के लिए 1 करोड़ रुपये का बजट पारित किया गया है।