बिहार में सब मुमकिन ! बिल्ली-कुमार और कुत्ता-बाबू जैसे नामों से आवासीय-जाति प्रमाणपत्र के आवेदन चर्चा में

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राज्य में मतदाता सूची संशोधन मामले में कथित गड़बड़ी के बाद रोज नए हैरान करने वाले खुलासे

चंडीगढ़, 11 अगस्त। सियासी-नजरिए से बेहद अहम सूबे बिहार में मतदाता सूची संशोधन में कथित गड़बड़ी का मामला गर्माया हुआ है। दूसरी तरफ, राज्य के रोहतास जिले में गत दिनों बिल्ली कुमार के नाम से आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया गया।

जानकारी के मुताबिक आवेदक का नाम कैट-कुमार है। जिसमें पिता के रूप में कैटी बॉस और माता के रूप में कैटिया देवी का उल्लेख है। असामान्य आवेदन का पता चलने पर रोहतास की ज़िला मजिस्ट्रेट उदिता सिंह ने राजस्व अधिकारी से पुलिस स्टेशन में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया। अब मामले की जांच जारी है।

कौशल पटेल नामक एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई कि वह अपने आवेदन के बारे में जानकारी लेने आरटीपीएस काउंटर पर गया। वहां पता चला कि उसी पते से ‘बिल्ली कुमार’ नाम से एक ऑनलाइन आवेदन  किया गया था, उसमें माता-पिता का विवरण भी गलत था। यह आवेदन रोहतास जिले के मोकर थाना के अहिबरन गांव में जाति प्रमाण पत्र के लिए था। उसमें आवेदक की तस्वीर सही थी, लेकिन नाम और पिता का नाम गलत था।

शिकायतकर्ता ने संदेह जताया कि आरोपी ने जान-बूझकर सरकारी सुविधाओं का दुरुपयोग करने और ऑनलाइन प्रतियोगी परीक्षाओं में अनुचित लाभ लेने को उसकी तस्वीर और गलत विवरण का इस्तेमाल किया।

यह घटना दो समान फर्जी आवेदनों के दाखिल होने के कुछ बाद हुई। एक आवेदन में पटना में ‘डॉग बाबू’ और दूसरे में पूर्वी चंपारण में ‘सोनालिका ट्रैक्टर’ नाम से किए फर्जी आवेदनों के बाद जांच शुरू हुई थी। साथ ही दो अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई।

विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन की शुरुआत से ही आवासीय आवेदन बड़ी संख्या में दाखिल किए गए। इसका कारण यह है कि यह चुनाव आयोग द्वारा स्वीकृत 11 दस्तावेजों में से एक है।

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