कार्यकारी इंजीनियर ने अकाउंटेंट के साथ मिल पत्नी के नाम पर ली फर्जी इन्वेस्टमेंट कंपनी की एजेंसी, चारगुना का लालच दे पैसा हड़प की बंद

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निगम अफसर अपने ही मुलाजिमों को लगा गए करोड़ों का चूना, लगे आरोप

लुधियाना 7 अगस्त। लुधियाना नगर निगम के अफसरों के कारनामे आए दिन शहर में सुनने को मिलते हैं। इनके अजीबोगरीब कारनामे ऐसे होते हैं, जो आम जनता की सोच से भी परे हैं। ऐसा ही एक नया मामला सामने आया है। जिसमें निगम के कार्यकारी इंजीनियर और अकाउंटेंट पर गंभीर आरोप लगे हैं। जिसमें अफसरों ने अपने ही विभाग के मुलाजिमों और ठेकेदारों को ही करोड़ों रुपए का चूना लगा डाला। आरोप है कि कार्यकारी इंजीनियर ने अकाउंटेंट के साथ मिलकर पहले अपनी पत्नी के नाम से इन्वेस्टमेंट कंपनी की एक एजेंसी खोली। जिसके बाद निगम के ही मुलाजिमों और ठेकेदारों को पैसा तीन से चार गुना करने का लालच देकर इन्वेस्टमेंट करवा दी। बाद में रिफंड देना ही बंद कर डाला। फिर पता चला कि जिस कंपनी की एजेंसी ली थी, वे फर्जी निकली और वे भाग गई। जिसके चलते अधिकारियों ने अपनी एजेंसी भी बंद कर डाली। जबकि उपभोक्ताओं के करोड़ों रुपए उसमें फंसा दिए। इस संबंध में लोकल बॉडी मंत्री रवजोत सिंह, मुख्य सेक्रेटरी के.पी. सिन्हा, एडीजीपी प्रवीन सिन्हा, सेक्रेटरी तेजवीर सिंह, मेयर नगर निगम लुधियाना और निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल को शिकायत दी गई है। अब देखना होगा कि क्या इस मामले में सरकार व प्रशासनिक अधिकारी कोई एक्शन लेंगे या नहीं। लोगों में चर्चा है कि यह न हो कि पहले के कई मामलों की तरह इस मामले को भी दबा दिया जाए।

पत्नी के नाम पर खोली थी एजेंसी
सरकार व अफसरों को दी शिकायत में पीड़ित ने कहा कि निगम के कार्यकारी इंजीनियर की और से अपनी पत्नी के नाम पर इन्वेस्टमेंट कंपनी की एजेंसी ली गई थी। जिसमें अकाउंटेंट भी उनके साथ मिला हुआ था। कंपनी का मुख्य ऑफिस चंडीगढ़ रोड स्थित राजपुरा में खोला गया था। जबकि अधिकारियों द्वारा एजेंसी लुधियाना में चलाई जा रही थी।

साढ़े चार प्रतिशत तक ब्याज का झांसा दे जमा करवाई पेमेंट
शिकायत में बताया गया कि कार्यकारी इंजीनियर और अकाउंटेंट की और से इस इन्वेस्टमेंट कंपनी में मुलाजिमों और ठेकेदारों की जमकर इन्वेस्टमेंट करवाई। उनकी और से साढ़े तीन से साढ़े चार प्रतिशत तक ब्याज देने का झांसा दिया गया था। इसी के साथ लोगों को कई तरह के लालच दिए गए। उनके झांसे में आकर मुलाजिम व ठेकेदार जमकर पैसा इन्वेस्ट करने लगे।

पद्द और पॉवर का किया गलत इस्तेमाल
पीड़ितों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि कार्यकारी इंजीनियर और अकाउंटेंट की और से अपने पद्द और पॉवर का गलत इस्तेमाल किया गया। अधिकारी होने के चलते वे जिस भी मुलाजिम और ठेकेदार को इन्वेस्टमेंट के लिए कहते थे, तो वे उनके डर से ही पैसा लगा देते थे। क्योंकि इन्वेस्टमेंट न करने पर उनसे रंजिश निकालने का खतरा रहता था। इसी डर से सभी बिना कुछ सोचे समझे पैसा इन्वेस्ट करते रे। पीड़ितों की मांग है कि मामले की जांच कर दोनों अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।

कुछ महीने देते थे रिफंड, फिर एजेंसी की बंद
पीड़ितों का आरोप है कि उक्त अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपए इन्वेस्ट करवाए गए। जिसके बाद कुछ महीने तो ब्याज के तौर पर रिफंड देते रहे। फिर एकदम से देना बंद कर दिया। बाद में पता चला कि कंपनी भाग गई और एजेंसी भी बंद कर दी। जबकि लोगों का पैसा दोनों अधिकारी हड़प कर गए। चर्चा है कि यह खेल पिछले काफी समय से अधिकारियों द्वारा खेला जा रहा था। जिसके जरिए उनकी और से मोटी कमाई भी की गई है।

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