सेवा का अधिकार आयोग ने झज्जर नगर निकाय विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध की कार्रवाई

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चंडीगढ़, 7 अगस्त —

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने एक शिकायत के निराकरण में नगर निकाय विभाग के अधिकारियों द्वारा बरती गई लापरवाही पर संज्ञान लेते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। आयोग ने एक अधिकारी पर आर्थिक दंड लगाया है, दूसरे के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है तथा एक अन्य को भविष्य के लिए परामर्श (एडवाइजरी) जारी की है।

आयोग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया आयोग ने शिकायत में पाया कि संबंधित जूनियर इंजीनियर (नगर निकाय विभाग) ने यह गलत जानकारी दी कि संबंधित स्ट्रीट लाइट मरम्मत योग्य नहीं है, जबकि बाद में उसी स्ट्रीट लाइट की मरम्मत कर दी गई। यह स्पष्ट संकेत है कि मरम्मत पूर्व में भी संभव थी और निर्धारित समय-सीमा के भीतर की जा सकती थी। साथ ही, पोर्टल पर अपलोड की गई तस्वीर, शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत की गई तस्वीर से मेल नहीं खाती। सेवा समय पर न देने और अपने दायित्वों में लापरवाही बरतने के कारण आयोग ने अधिनियम की धारा 17(1)(ह) के तहत जूनियर इंजीनियर (नगर निकाय विभाग) पर 5 हजार रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया है। यह राशि अगस्त माह के वेतन से काटकर राज्य कोष में जमा की जाएगी। जिला नगर आयुक्त, झज्जर को 10 सितंबर तक इस संबंध में अनुपालन रिपोर्ट आयोग को भेजनी होगी।

इसी मामले में संबंधित प्रथम शिकायत निवारण प्राधिकरण-कम-म्यूनिसिपल इंजीनियर (नगर निकाय विभाग) ने भी सेवा न मिलने के बावजूद केवल इस आधार पर अपील खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं हुआ। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह रुख सेवा का समाधान करने के दायित्व से बचने का प्रयास है, जबकि अधिनियम में यह अपेक्षा की गई है कि अपील का निर्णय तथ्यों के आधार पर किया जाए। इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए आयोग ने अधिनियम की धारा 17(1)(d) के अंतर्गत राज्य सरकार को उनके विरुद्ध उपयुक्त विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है। नगर निकाय विभाग के आयुक्त एवं सचिव को 30 दिनों के भीतर की गई कार्रवाई की जानकारी आयोग को देना अनिवार्य होगा।

इसके अतिरिक्त, आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि उक्त अवधि में झज्जर जिले में जिला नगर आयुक्त का पद रिक्त था और कार्य लिंक अधिकारी द्वारा किया जा रहा था। आयोग ने यह अवलोकन किया कि लिंक अधिकारी द्वारा द्वितीय शिकायत निवारण प्राधिकरण के रूप में हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत अपेक्षित गंभीरता नहीं बरती। जांच में यह भी पाया गया कि संबंधित अधिकारी अन्य महत्वपूर्ण दायित्वों के साथ यह कार्यभार संभाल रहे थे, जिसे ध्यान में रखते हुए आयोग ने इस मामले में नरमी बरतते हुए उन्हें भविष्य के लिए परामर्श जारी किया है कि वे लिंक अधिकारी के रूप में कार्य करते समय भी हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत सौंपे गए दायित्वों का गंभीरता से निर्वहन करें। यह परामर्श एकतरफा रूप से जारी किया गया है और संबंधित अधिकारी को आयोग के समक्ष पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की स्वतंत्रता दी गई है।